Freshworks की छंटनी और शेयर बायबैक योजना पर Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू का कड़ा प्रहार

9नवंबर
Freshworks की छंटनी और शेयर बायबैक योजना पर Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू का कड़ा प्रहार

Freshworks की छंटनी और शेयर बायबैक: श्रीधर वेम्बू की आलोचना

भारत के तेजी से बढ़ते सॉफ्टवेयर उद्योग में हाल ही के घटनाक्रम ने हमेशा की तरह गहराई की ओर ध्यान खींचा है। Zoho के CEO श्रीधर वेम्बू ने Freshworks की छंटनी और $400 मिलियन के शेयर बायबैक योजना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे ‘खुली लालच’ बताते हुए सवाल उठाए हैं कि क्या यह व्यावसायिक दृष्टिकोण सही है।

Freshworks ने हाल ही में घोषणा की कि वे कुल 13% कर्मचारियों यानी करीब 660 लोगों को निकालने जा रहे हैं। इसके साथ ही, कंपनी ने $400 मिलियन का शेयर बायबैक करने का प्लान घोषित किया, जबकि इसकी आय 20% वार्षिक दर से बढ़ रही है और कम्पनी मुनाफे में भी है। इस नीति पर श्री वेम्बू ने गहरी आलोचना की है, उन्हें यह निर्णय कर्मचारियों की वफादारी और नैतिकता पर सवाल खड़ा करने वाला लगता है।

वेम्बू का विरोध

वेम्बू ने सोशल मीडिया मंच X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर अपने विचार प्रकट किए। उनका मानना है कि जिस कंपनी के पास $1 बिलियन से अधिक कैश है, और जो सक्षम रूप से बढ़ रही है, उसे कर्मचारियों को निकालने की आवश्यकता नहीं है। वेम्बू के बयान में उन्होंने Freshworks के प्रबंधन की दूरदृष्टि पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि वे फारغ कर्मचारियों को नए व्यापार क्षेत्रों में उपयोग करने का मार्ग नहीं देख सकते हैं, तो यह न सिर्फ नाकाम मैनेजमेंट का आरोप है, बल्कि कर्मचारियों के प्रति जिम्मेदारी की भावना की भी कमी दर्शाता है।

इनके विपरीत, Zoho ने अपनी प्राथमिकता में कर्मचारियों और ग्राहकों को रखा है, न कि शेयरधारकों को। Zoho आज भी एक प्राइवेट कंपनी है और इससे वे उम्मीद करते हैं कि यह उनके फीनेन्डियल और सामाजिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाकर चलेगी। उनके लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कंपनी का विकास उसके लोगों की कीमत पर नहीं हो।

साम्प्रतिक परिप्रेक्ष्य

Freshworks के CEO डेनिस वुडसाइड ने हाल ही में एक नई रणनीति के तहत छंटनी की घोषणा की है, जिसका मकसद टीमों की जटिलताओं को कम करके समग्र दक्षता में सुधार करना है। Freshworks के पास 5,000 से अधिक कर्मचारी हैं और इस साल के दौरान उसने कई छंटनी और प्रबंधन परिवर्तनों को अंजाम दिया है। इस मई में, संस्थापक गिरीश मातरुबूथम मुख्य कार्यकारी अधिकारी से पोर्टफोलियो को कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बदल दिया गया था, जिससे वुडसाइड ने कंपनी का शीर्ष पद ग्रहण किया।

Freshworks और Zoho के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्ते रहे हैं। Freshworks के संस्थापक, गिरीश मातरुबूथम, Zoho में एक वरिष्ठ कार्यकारी रह चुके हैं। 2020 में, Zoho ने Freshworks पर गोपनीय जानकारी चुराने का आरोप लगाया था, जो 2021 में एक समझौते के माध्यम से सुलझा लिया गया था। Freshworks ने यह स्वीकार किया था कि उनके एक पूर्व कर्मचारी ने गलत तरीके से Zoho की जानकारी सहेज और इस्तेमाल की थी।

व्यापक मुद्दों की चर्चा

श्री वेम्बू का यह बयान कंपनी संस्कृतियों में एक व्यापक मुद्दे को भी उजागर करता है, विशेष रूप से तकनीकी उद्योग में, जहां कंपनियां अल्पकालिक लाभ और शेयरधारक मूल्य को कर्मचारियों की भलाई और दीर्घकालिक स्थिरता से ऊपर रखती हैं। उन्होंने यह भी इंगित किया कि यह प्रवृत्ति, जो अमेरिका के कॉर्पोरेट जगत में आम है, भारत में भी प्रवेश कर रही है, जिससे बड़े पैमाने पर कर्मचारी असंतोष उत्पन्न हो रहा है। इस प्रकार की एस्पेक्ट्स तकनीकी क्षेत्र में संगठनों को मानव संसाधन और कंपनी नैतिकता के संतुलन को फिर से सोचना आवश्यक बनाती है।

टिप्पणि

Abhilash Tiwari
Abhilash Tiwari

ये तो सच में दिल टूट गया... एक कंपनी जिसके पास 1 बिलियन डॉलर कैश है और मुनाफा भी है, फिर भी लोगों को निकाल रही है? ये बिजनेस नहीं, बल्कि बेइंसाफी है।

जब तक हम लोगों को एक एसेट के तौर पर नहीं समझेंगे, तब तक ये चक्र बना रहेगा।

नवंबर 10, 2024 at 14:45

raman yadav
raman yadav

अरे भाई ये सब तो बस शो है। Freshworks के लोगों को निकालने के बाद शेयर बायबैक कर रहे हैं? ये तो बिल्कुल वो चीज है जो Wall Street करता है। अमेरिका का वातावरण भारत में आ गया है और हम सब इसे अच्छा मान रहे हैं।

क्या कोई सोचता है कि जिन लोगों को निकाला गया, उनके पास अब क्या होगा? बिल्कुल नहीं। बस शेयर वैल्यू बढ़ेगी। ये तो गैंगस्टर बिजनेस है।

नवंबर 12, 2024 at 13:26

Disha Thakkar
Disha Thakkar

मुझे लगता है श्रीधर वेम्बू बहुत अच्छे हैं... लेकिन उनका Zoho भी कितना परफेक्ट है? 😏

मैंने उनकी वेबसाइट देखी थी, उनकी UI तो 2012 की लग रही थी। लोगों को रखना तो अच्छी बात है, लेकिन अगर तकनीक पीछे रह गई तो क्या होगा? 😅

नवंबर 13, 2024 at 01:52

Chandra Bhushan Maurya
Chandra Bhushan Maurya

इस दुनिया में जब तक लाभ का भगवान नहीं बैठ जाएगा, तब तक लोगों की जिंदगी की कीमत नहीं बढ़ेगी।

मैंने एक दोस्त को एक कंपनी में नौकरी के लिए रेफर किया था, जहां उन्होंने एक बार गर्मी में बिना एसी के ऑफिस रखा था। उसने कहा, 'हम तो बस बचाने के लिए ये कर रहे हैं।'

और अब ये Freshworks का नया फैसला? ये सिर्फ बदलाव नहीं, बल्कि एक अपराध है।

नवंबर 14, 2024 at 21:46

Ajay Kumar
Ajay Kumar

ये सब बस एक डिस्ट्रक्शन फैक्टर है। अगर आप एक कंपनी को शेयरधारकों के लिए चला रहे हैं, तो आपको लोगों को निकालना ही पड़ेगा। ये नहीं कि वो बुरे हैं... बस ये सिस्टम ही ऐसा है।

जब तक हम इसे बदल नहीं देंगे, तब तक ये चलता रहेगा। Zoho भी एक बार बड़ा हो जाएगा तो वो भी यही करेगा। बस अभी नहीं किया।

नवंबर 16, 2024 at 09:38

Shweta Agrawal
Shweta Agrawal

मुझे लगता है दोनों तरफ कुछ सच है... Freshworks को अपनी एफिशिएंसी बढ़ानी होगी और Zoho को भी अपडेट करना होगा।

लेकिन ये जो बात हुई है, वो बहुत दुखद है। बस इतना कहना चाहूंगी कि हम सब थोड़ा ज्यादा इंसानियत बरतें।

नवंबर 17, 2024 at 15:50

Anmol Madan
Anmol Madan

अरे भाई ये तो बस दो भाई के बीच झगड़ा है। गिरीश ने Zoho छोड़ा था और अब वो Freshworks चला रहा है... और श्रीधर अभी भी उस पर नाराज हैं।

ये बिजनेस नहीं, ये फैमिली ड्रामा है। बस इतना ही।

नवंबर 18, 2024 at 23:36

Hemanth Kumar
Hemanth Kumar

कंपनी के वित्तीय निर्णयों का मूल्यांकन करते समय नैतिकता के साथ-साथ व्यावसायिक स्थिरता को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। एक कंपनी जिसका विकास अत्यधिक तेज है, उसके लिए ऑपरेशनल एफिशिएंसी का अनुकूलन अनिवार्य है।

शेयर बायबैक एक रणनीतिक उपकरण है जो कंपनी के बाजार मूल्य को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है, और यह अनिवार्य रूप से कर्मचारी निकासी के साथ समानांतर नहीं होता।

नवंबर 19, 2024 at 04:23

kunal duggal
kunal duggal

ये बात तो बहुत गहरी है। हम अक्सर लोगों को एक रिसोर्स के रूप में देख लेते हैं।

लेकिन अगर हम एक ऑर्गनाइजेशन को एक लाइव सिस्टम के रूप में समझें, तो हर कर्मचारी एक न्यूरॉन है। जब आप उन्हें काटते हैं, तो सिस्टम का नेटवर्क टूट जाता है।

ये तो बस शॉर्ट-टर्म गेम है। लॉन्ग-टर्म में ये बहुत खराब होगा।

नवंबर 20, 2024 at 16:10

Ankush Gawale
Ankush Gawale

मैं दोनों तरफ की बात समझता हूं। Freshworks को बदलाव की जरूरत थी, और Zoho का दृष्टिकोण बहुत इंसानी है।

लेकिन शायद इसका एक बेहतर तरीका होता... जैसे रिस्क शेयरिंग या फ्लेक्सिबल वर्किंग घंटे।

नवंबर 21, 2024 at 10:41

रमेश कुमार सिंह
रमेश कुमार सिंह

ये तो बस दो अलग दुनियाओं का टकराव है। एक तरफ वो जो लाभ को ईश्वर मानता है... और दूसरी तरफ वो जो इंसान को ईश्वर मानता है।

हम सब इस बीच फंसे हुए हैं। क्या हम अपने जीवन को बिजनेस के लिए बेच रहे हैं? या बिजनेस को हमारे लिए बना रहे हैं?

मुझे लगता है, जब तक हम ये सवाल नहीं पूछेंगे, तब तक ये दर्द बना रहेगा।

नवंबर 23, 2024 at 00:46

Krishna A
Krishna A

Zoho के लोगों को बहुत बड़ा बाप बना लिया गया है। लेकिन अगर आपको लगता है कि ये सब बिना किसी लाभ के हो रहा है, तो आप बहुत निराश हैं।

नवंबर 23, 2024 at 20:20

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