लोकसभा 2024: पश्चिम बंगाल में चुनाव पूर्वानुमान क्या बताते हैं?
Posted on जून 2, 2024 by मेघना सिंह
पश्चिम बंगाल में चुनावी संग्राम की तैयारी
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल एक बार फिर से राष्ट्रव्यापी ध्यान आकर्षित कर रहा है। यह राज्य ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच एक महत्वपूर्ण लड़ाई का मैदान बनने की संभावना है। 2019 में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीती थीं, जिससे राज्य में उसकी मौजूदगी मजबूत हुई थी। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि बंगाल उनकी पार्टी के लिए सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला राज्य बनेगा।
भाजपा का आक्रामक अभियान
भाजपा ने पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के मुद्दे और हालिया संदीशखाली घटना पर आक्रामक अभियान चलाया है। पार्टी का लक्ष्य 370 सीटों तक पहुंचना है, और इसे हासिल करने के लिए भाजपा ने बंगाल को एक प्रमुख प्राथमिकता दी है। पार्टी ने कुछ नए चेहरों को सामने लाकर अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। इनमें प्रमुख नाम पूर्व कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गांगोपाध्याय और संदीशखाली घटना की पीड़िता रेखा पात्रा हैं।
ममता बनर्जी और टीएमसी की रणनीति
तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने चुनाव में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को प्रमुख मुद्दा बनाया है। उन्होंने इस अधिनियम की खुलेआम आलोचना की है और इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे कदमों का प्रस्थान बिंदु बताया है। टीएमसी का मानना है कि यह अधिनियम अप्रवासियों को भ्रमित करने के लिए एक जुमला है। टीएमसी ने राज्यभर में इस मुद्दे को उठाकर सरकार पर हमला जारी रखा है।
विपक्ष की रणनीति और सीट-बंटवारा
विपक्षी दलों के गठबंधन, इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (INDIA) में सामंजस्य की कमी नजर आती है। इसमें कांग्रेस और टीएमसी दोनों शामिल हैं, लेकिन दोनों ने सीट बंटवारे के मुद्दे पर किसी सहमति तक नहीं पहुंच पाए हैं। इससे भाजपा के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाने की उनकी योजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
चुनावी प्रक्रिया और प्रत्याशी
पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव सात चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून तक हुए। चुनावों के दौरान हिंसा की घटनाओं ने भी राजनीतिक माहौल को गरमाया रखा। इस बार चुनावी मैदान में कई दिग्गज उम्मीदवार शामिल थे, जैसे तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, मौजूदा सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय, सुगत रॉय, माला रॉय, पूर्व केंद्रीय मंत्री देबश्री चौधरी और वरिष्ठ सीपीआई (एम) नेता सुझन चक्रवर्ती।
चुनावी परिणाम और भविष्य की संभावनाएं
2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम क्या रहेंगे, यह समय ही बताएगा। लेकिन इतना स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल का चुनावी गढ़ इस बार भी राष्ट्रीय राजनीति की धुरी बनेगा। चाहे भाजपा हो या टीएमसी, दोनों ही पार्टी अपने-अपने अस्तित्व की लड़ाई में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। ऐसे में मतदाताओं का निर्णय बताने वाला होगा कि कौन-सी पार्टी इसके बाद सत्ता के करीब होगी।