फरीदाबाद बारिश: दोपहर की तेज बौछारों से गर्मी टूटी, अगले 3-4 दिन रहेगा मॉनसून का असर
Posted on अग॰ 25, 2025 by Devendra Pandey

दोपहर की तेज बारिश से पारा फिसला, सड़कों पर दिखी रफ्तार की जगह रुक-रुक
गर्मी से झुलस रहे फरीदाबाद में शनिवार, 23 अगस्त 2025 की दोपहर मौसम ने करवट ली। तेज फुहारें आईं, फिर रुक-रुककर बरसात होती रही और शहर ने खुलकर राहत की सांस ली। मौसम केंद्र के मुताबिक कांवरा क्षेत्र में 4.3 मिमी बारिश दर्ज हुई। दिन का अधिकतम तापमान शुक्रवार के 36°C से घटकर 33.6°C रहा, जबकि नमी बढ़कर 71% तक पहुंच गई। यह साफ बताता है कि फरीदाबाद बारिश ने हीटवेव का असर तोड़ा, हालांकि उमस बनी रही।
बारिश की शुरुआत दोपहर करीब 12 बजे के बाद हुई और शाम तक कई दौर चले। कहीं हल्की बौछारें, तो कहीं तेज बारिश—नतीजा, सड़कों पर पानी की परत और ट्रैफिक की रफ्तार धीमी। सेक्टर 15A और ओल्ड फरीदाबाद जैसे निचले इलाकों में पानी भरने लगा तो निकासी के लिए निगम की टीमें मोटर-पंप और कर्मियों के साथ मैदान में उतरीं। कंट्रोल रूम से सलाह दी गई कि लोग पानी भरे हिस्सों से बचें, अनावश्यक यात्रा न करें और आधिकारिक अपडेट ही फॉलो करें।
शहर में लंबे वक्त से 35°C से ऊपर तापमान चल रहा था। ऐसे में दोपहर की इस ठंडी बौछार ने सड़क किनारे ठेलों से लेकर पार्कों तक राहत का माहौल बना दिया। कुछ जगहों पर पेड़ों की पत्तियां और कचरा नालियों के मुहानों पर जमा हो गया, जिससे पानी उतरने में देरी हुई। जहां ढलान कम हैं, वहां गाड़ियां करीब-करीब रेंगती दिखीं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इसे सक्रिय मॉनसून का असर बताया। ट्रफ लाइन मैदानों के करीब है और बंगाल की खाड़ी से आने वाली आर्द्र पूर्वी हवाएं नमी बढ़ा रही हैं। पूर्वानुमान है कि अगले 3-4 दिन हल्की से मध्यम बारिश के और दौर आएंगे। तापमान 25°C से 31°C के बीच रह सकता है। दोपहर-शाम के समय गर्जन के साथ बरसात और 25-35 किमी/घंटा की रफ्तार तक की हवाएं चलने की संभावना भी जताई गई है।
बारिश के बाद आमतौर पर हवा का प्रदूषण स्तर कुछ समय के लिए सुधरता है। धूल कण बैठ जाते हैं, दृश्यता बेहतर लगती है। लेकिन नमी बढ़ने से मच्छरों का खतरा भी बढ़ता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ हर बरस यही सलाह देते हैं—घर के आसपास पानी जमा न होने दें, कूलर-गमलों का ठहरा पानी खाली करें और रात में मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट और निजी वाहनों दोनों को बारिश की वजह से धीमा होना पड़ा। प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस ने तैनाती बढ़ाई ताकि जलभराव वाले पैच पर वाहन सुरक्षित निकल सकें। कई सोसायटी परिसर और बेसमेंट पार्किंग में भी पानी घुसने की खबरें आती रहीं, जहां जनरेटर और विद्युत प्रणाली को अस्थायी रूप से बंद कर सुरक्षा बरती गई।

जलभराव क्यों बढ़ रहा है, और आगे की तैयारी क्या
फरीदाबाद का Climate Change Severity Score इस साल 62/100 दर्ज हुआ है—श्रेणी ‘बहुत उच्च’। पिछले 15 साल के औसत की तुलना में 19.3% बिगड़ाव, यानी ज्यादा तेज गर्मी और ज्यादा अनियमित बारिश के दौर। शहरी गर्मी (अर्बन हीट आइलैंड) और तेजी से कंक्रीट होती जमीन मिलकर बारिश का पानी सोखने नहीं देती। जो पानी पहले जमीन में रिसता था, अब सीधे सड़कों पर बहता है और नालियों पर दबाव बढ़ाता है।
बरसात के समय ड्रेनेज की असल परीक्षा होती है। जहां नालों की नियमित डी-सिल्टिंग नहीं हुई या इनलेट बंद हैं, वहां 30-40 मिनट की जोरदार बारिश भी जलभराव बना देती है। पुराने मोहल्लों में ढलान की प्लानिंग आधुनिक मानकों जैसी नहीं है, इसलिए पानी की निकासी धीमी पड़ती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि स्टॉर्म-वॉटर नेटवर्क की क्षमता बढ़ाए बिना, ग्रीन कवरेज और परकोलेशन जोन (जैसे पार्क, रेन गार्डन, परमेएबल पाथवे) बढ़ाए बिना, ऐसी स्थितियां बार-बार लौटेंगी।
मॉनसून के इस सक्रिय चरण में आप क्या सावधानी रखें? ये सरल कदम मदद करेंगे:
- अंडरपास, फ्लाईओवर की रैंप और निचले कट-पॉइंट पर भरे पानी में वाहन न उतारें। पानी की गहराई का अंदाजा गलत लगना आम है।
- बेसमेंट में पानी घुसे तो मेन स्विच बंद करें और केवल सुरक्षित व सूखे माहौल में ही पावर दोबारा चालू करें।
- जहां पार्किंग खुली है, वहां गाड़ी थोड़ी ऊंचाई पर लगाएं।
- बच्चों और बुजुर्गों को पानी भरी गलियों से दूर रखें; खुले बिजली के बॉक्स या ढीले तारों के पास न जाएं।
- अनावश्यक यात्रा टालें। निकलना हो तो रेन जैकेट/छाता और फोन की बैटरी फुल रखें।
- गहराई वाले जलभराव में दोपहिया न ले जाएं; इंजन में पानी घुसने का खतरा रहता है।
- मैनहोल/नाली के ढक्कन हटाकर पानी निकालने की कोशिश न करें; यह जानलेवा साबित हो सकता है।
- आईएमडी और नगर निगम के अलर्ट पर नजर रखें; अफवाहों पर नहीं, आधिकारिक सूचना पर भरोसा करें।
शहर की तैयारी का दूसरा पहलू—तेजी से रेस्पॉन्स। जहां-जहां पानी भरता है, वहां पोर्टेबल पंप, बैकअप जनरेटर, सैंडबैग और ऑन-कॉल टीम होनी ही चाहिए। सोसायटी स्तर पर भी मिनी पंप, डॉक स्टैण्डपाइप और आपातकालीन लाइटिंग रखना अब लक्जरी नहीं, जरूरत है। जितनी जल्दी पानी हटेगा, उतना कम नुकसान होगा—सड़क की परतें कम उखड़ेंगी, घरों की दीवारें कम सीलन छोड़ेंगी, शॉर्ट-सर्किट के खतरे घटेंगे।
बारिश के अगले कुछ दिनों में तापमान नीचे रहेगा, लेकिन उमस चुभेगी। काम-धंधे सामान्य रहेंगे, बस समय का मैनेजमेंट और रूट की समझदारी जरूरी होगी। मॉनसून का यह चरण राहत भी लाया है और जिम्मेदारी की याद भी—ताकि अगली तेज बौछार आते ही शहर फिर से ठहर न जाए।