Pope Francis का निधन: नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू, भारत की क्या भूमिका होगी?
Posted on अप्रैल 22, 2025 by Devendra Pandey
पोप फ्रांसिस का निधन और पूरी दुनिया की नजरें वेटिकन पर
कैथोलिक चर्च के इतिहास में 21 अप्रैल 2025 एक बड़ा दिन बन गया, जब Pope Francis का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वेटिकन के अनुसार, उन्हें स्ट्रोक आया, फिर कोमा और अचानक दिल की गंभीर समस्या ने उनकी जिंदगी छीन ली। पहले से ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियां थीं, जो उनकी हालत को और बिगाड़ गईं। जैसे ही उनकी मौत की खबर आई, वेटिकन सिटी की गलियों में सन्नाटा छा गया। सरकरी तौर पर उनका निवास सील किया गया। उनके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो गई।
कैथोलिक चर्च के प्रमुख के रूप में Pope Francis ने पूरी दुनिया में शांति, गरीबों की मदद और चर्च में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए। उनके जाने के बाद लाखों लोग शोक में डूब गए। इसी बीच चर्च का सबसे रहस्यमयी और पारंपरिक कदम भी सक्रिय हो गया—नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया।
पोप के चुनाव की पुरानी परंपरा और भारत का संभावित योगदान
अब चर्च की कमान किसके हाथ आएगी, ये सवाल सबके मन में है। इस प्रक्रिया को कॉन्क्लेव कहा जाता है। नए पोप के चयन के लिए 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल्स को बुलाया जाता है। पूरी दुनिया के लिए ये एक बेहद गोपनीय व ऐतिहासिक क्षण है—सिस्टीन चैपल में बंद कमरे में, केवल कार्डिनल्स ही वोट करते हैं। कोई बाहरी दखल नहीं। बाहर का दुनिया बस धुएं के रंग के सहारे अनुमान लगाती है, क्योंकि पोप चुनाव प्रक्रिया के दौरान हर वोट के बाद चिमनी से काला या सफेद धुआं निकलता है: काला यानी फैसला नहीं हुआ, सफेद मतलब नया पोप मिल गया।
करीब 120 वोटिंग कार्डिनल्स में से भारत के भी कुछ कार्डिनल्स—जैसे कार्डिनल ओस्वाल्ड ग्रेसियस—शामिल हैं। वे अपने देश के विचार और अनुभव लेकर वेटिकन जाते हैं, हालांकि उनका रोल भी बाकी वोटर्स जैसा ही है। भारत की रोमन कैथोलिक आबादी दुनिया में अहम मानी जाती है, ऐसे में भारतीय कार्डिनल्स की मौजूदगी बड़ा संकेत देती है कि चर्च के फैसलों में भारत की आवाज सुनी जा सकती है। हालांकि भारत के कार्डिनल सीधे तौर पर पोप बनने की दौड़ में नहीं हैं, फिर भी उनका समर्थन, अनुभव और नेटवर्क किसी भी प्रबल दावेदार के लिए जरूरी हथियार साबित हो सकते हैं।
नया पोप बनने के लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी होता है। कभी-कभी दिन-रात की वोटिंग भी कई दिनों या हफ्तों तक खिंच जाती है। इस चुनाव में बेहद पारंपरिक रस्में बरती जाती हैं, जिन्हें बदलना लगभग नामुमकिन है। मीडिया, आम लोग और चर्च के अनुयायी सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं कि अंदर क्या चल रहा है।
फिलहाल कुछ ही दिन में ये रहस्य खुल जाएगा कि Pope Francis के बाद चर्च की कमान किसके हाथ में जाएगी और अगले सुप्रीम पोंटिफ की राह में भारत का कितना योगदान रहेगा, इस पर हर भारतीय कैथोलिक की नजर टिकी है।
टिप्पणि
VIKASH KUMAR
पोप फ्रांसिस की मौत ने तो दुनिया का दिल तोड़ दिया 😭 अब नया पोप कौन बनेगा? भारत का कार्डिनल भी चाहिए था... अब तो हमारे देश की आवाज़ भी सुनी जाए ना! 🙏🇮🇳
अप्रैल 23, 2025 at 10:20
UMESH ANAND
इस प्रक्रिया में कोई भी राष्ट्रीय हित या राजनीति का समावेश नहीं होना चाहिए। कॉन्क्लेव एक पवित्र प्रक्रिया है, जिसमें केवल आध्यात्मिक योग्यता मापदंड होनी चाहिए। भारत की भूमिका को अतिरंजित न करें।
अप्रैल 24, 2025 at 02:07
Rohan singh
अच्छा हुआ कि भारत के कार्डिनल्स भी वोट कर रहे हैं। ये छोटा सा कदम बड़ी बात है। चाहे पोप बने या न बने, भारत की आवाज़ अब वेटिकन में गूंज रही है। इसे सराहना चाहिए। 🌏❤️
अप्रैल 24, 2025 at 10:46
Karan Chadda
अरे यार भारत का कार्डिनल बनेगा तो क्या होगा? यहाँ तो भाई को बाप बनाने की कोशिश है 😂 जब तक आम आदमी का भोजन नहीं बन रहा, तब तक पोप की चिंता करना बंद करो। #RealIssues
अप्रैल 25, 2025 at 04:54
Shivani Sinha
पोप बनने के लिए क्या जरूरी है? क्या भारत में भी ऐसे लोग हैं जो ईसाई धर्म को समझते हैं? या फिर बस नाम के लिए रख दिए गए हैं? ये सब बातें बस दिखावा है।
अप्रैल 26, 2025 at 06:58
Tarun Gurung
सुनो, भारत के कार्डिनल्स का वोट बस एक नाम नहीं, बल्कि एक दर्शन है। वो दुनिया के गरीबों, अल्पसंख्यकों, और जलवायु परिवर्तन के बारे में बोलने वाले लोग हैं। जो भी पोप बने, उन्हें ये बात याद रखनी होगी - ईसाई धर्म की जड़ें अब दक्षिण एशिया में हैं। भारत का योगदान सिर्फ वोट नहीं, दिशा है।
अप्रैल 26, 2025 at 15:16
Rutuja Ghule
ये सब नाटक है। जिन्होंने पोप फ्रांसिस को बेइज्जत किया, उन्हीं के बेटे अब नया पोप बनने की उम्मीद कर रहे हैं। चर्च की गुप्त व्यवस्था अब एक राजनीतिक खेल बन चुकी है। और हाँ, भारत का रोल? बस एक टैगलाइन।
अप्रैल 27, 2025 at 22:37
vamsi Pandala
पोप के चुनाव में भारत का क्या लेना-देना? यहाँ तो बाइबल की जगह बॉलीवुड फिल्में देख रहे हैं। अब इनका नाम लेना शुरू कर दिया। बस दिखावा है।
अप्रैल 28, 2025 at 02:57
nasser moafi
भारत का कार्डिनल वोट कर रहा है? बहुत अच्छा! अब अगला स्टेप: वेटिकन में एक भारतीय भोजन केंद्र बनाओ, जहाँ बिरयानी और पानी पिपासा बिके 😎🇮🇳✨
अप्रैल 29, 2025 at 00:48
Saravanan Thirumoorthy
भारत के कार्डिनल को वोट देने का अधिकार है तो उसकी आवाज़ भी सुनी जानी चाहिए। हमारे लोग भी ईसाई हैं। ये बात भूल गए होंगे वेटिकन वाले।
अप्रैल 30, 2025 at 17:35
Tejas Shreshth
मैंने देखा है कि भारत के कार्डिनल्स की बातें बहुत अच्छी होती हैं... लेकिन वे क्या जानते हैं लैटिन ट्रैडिशन के गहरे रहस्यों के बारे में? ये सब आधुनिकता का शोर है। असली शक्ति तो यूरोप में है।
मई 2, 2025 at 12:55
Hitendra Singh Kushwah
पोप फ्रांसिस के बाद नया पोप बनना है तो उसे यूरोपीय शैली में सोचना चाहिए। भारत की सांस्कृतिक अलगाववादी दृष्टि इस प्रक्रिया में नहीं आनी चाहिए।
मई 4, 2025 at 00:42
sarika bhardwaj
इस प्रक्रिया में भारतीय कार्डिनल्स का शामिल होना एक प्रतीकात्मक बदलाव है। लेकिन ये अभी भी एक बड़े रूढ़िवादी संरचना के भीतर एक छोटा सा सुधार है। जब तक लिंग और लैंगिक असमानता नहीं खत्म होगी, तब तक ये सब नाटक है।
मई 4, 2025 at 15:57
Dr Vijay Raghavan
क्या आप जानते हैं कि भारत में लगभग 2 करोड़ कैथोलिक हैं? और फिर भी हमारी आवाज़ नहीं सुनी जाती? ये निर्मम है। अगर भारत के कार्डिनल वोट कर रहे हैं, तो उनका वोट उनकी आत्मा की आवाज़ है - न कि राष्ट्रीयता का दावा।
मई 6, 2025 at 11:25
Partha Roy
भारत के कार्डिनल्स को वोट देने का मौका दिया गया तो भी वो बस एक बैग बने हुए हैं। वेटिकन के अंदर कोई भी फैसला यूरोपीय लोग ही लेते हैं। ये सब बस एक नाटक है।
मई 7, 2025 at 00:27
Kamlesh Dhakad
अच्छा हुआ कि भारतीय कार्डिनल भी इसमें शामिल हैं। अगर कोई नया पोप बने जो गरीबों के लिए लड़े, तो उसका एक हिस्सा भारत का भी होगा। ये बात समझो।
मई 7, 2025 at 07:27
ADI Homes
मैं तो सोच रहा था कि अब वेटिकन में कौन बनेगा। लेकिन जब मैंने पढ़ा कि भारत के कार्डिनल भी हैं, तो लगा जैसे कोई अच्छी खबर आ गई। अब तो बस देखना है कि ये आवाज़ कैसे बदलती है।
मई 8, 2025 at 00:30
Hemant Kumar
कोई भी देश नहीं बना सकता कि नया पोप उसका हो। लेकिन एक देश बन सकता है कि नया पोप उसके लोगों की ज़रूरतों को समझे। भारत ऐसा देश है। इसकी आवाज़ सुनो।
मई 9, 2025 at 07:00