पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का निधन: एक बहुआयामी व्यक्तित्व का अंत

12अगस्त

Posted on अग॰ 12, 2024 by मेघना सिंह

पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का निधन: एक बहुआयामी व्यक्तित्व का अंत

भारत के पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का शनिवार रात 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली के पास स्थित गुड़गाँव के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी लंबी बीमारी के बाद उनके निधन की खबर ने राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर द्वार दी है। के नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था।

कैरियर डिप्लोमैट से राजनीतिज्ञ तक का सफर

के नटवर सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय में एक करियर डिप्लोमैट के रूप में अपनी शुरुआत की। उनके राजनीतिक सफर का आरंभ इंदिरा गांधी की सरकार में 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने से हुआ। बाद में, उन्हें पाकिस्तान में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। इनके अलावा, उन्होंने विभिन्न वरिष्ठ कूटनीतिक पदों पर भव्य सेवाएं दीं।

राजीव गांधी की कैबिनेट और यू.पी.ए में योगदान

1984 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। राजीव गांधी की कैबिनेट में भी उन्होंने मंत्री के रूप में विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। 2004 से 2005 के बीच उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश मंत्री का पद संभाला। हालांकि 2005 में 'ऑयल-फॉर-फूड' कांड के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और 2008 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।

लेखन और संस्मरण

लेखन और संस्मरण

के नटवर सिंह न केवल एक सफल राजनीतिज्ञ थे बल्कि एक उत्कृष्ट लेखक भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं जिनमें 'द लीगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माय चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं। उनकी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' भी विशेष प्रशंसा पाई। उनकी लेखनी में कूटनीति और राजनीति की गहन समझ झलकती है।

विदेशी मामलों में उनके योगदान और उनकी व्यक्तिगत दृष्टिकोण का लोग काफी सम्मान करते थे। उनकी लेखनी, भाषण और विचार-विमर्श में उनकी गहरी ज्ञानवर्धक सोच और व्यंग्यात्मक शैली का अनोखा मेल देखने को मिलता था।

परिवार और व्यक्तिगत जीवन

परिवार और व्यक्तिगत जीवन

नटवर सिंह के निधन के बाद उनके परिवार में उनकी विरासत को संभालने के लिए उनके बेटे जगत सिंह शामिल हैं, जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। 2008 में, के नटवर सिंह और उनके बेटे ने बहुजन समाज पार्टी के साथ भी कुछ समय के लिए जुड़ाव रखा, लेकिन अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित करना पड़ा।

विवादिता और आलोचना

कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद, के नटवर सिंह ने सोनिया गांधी के प्रति अपनी नाराजगी खुलेआम जाहिर की। यह नाराजगी उनकी आत्मकथा और कई इंटरव्यूज में भी स्पष्ट होती है। हालांकि उनके विवादित बयानों के बावजूद, राजनीति और कूटनीति में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

राजनीतिक नेताओं की श्रद्धांजलि

राजनीतिक नेताओं की श्रद्धांजलि

के नटवर सिंह के निधन पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश ने उनके योगदान की सराहना करते हुए शोक संवेदना व्यक्त की। इन नेताओं ने नटवर सिंह की गहरी कूटनीतिक समझ और उनके जिंदादिल व्यक्तित्व को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

राजनीति, कूटनीति और साहित्य के विभिन्न आयामों में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके विचार, लेखनी और राजनैतिक सफर हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। के नटवर सिंह का निधन भारतीय राजनीति और विदेशी मामलों के क्षेत्र में एक युग का अंत है। उनकी यादें और उनकी विरासत हमें सदैव प्रेरित करती रहेंगी।

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