भारत के पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का शनिवार रात 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली के पास स्थित गुड़गाँव के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी लंबी बीमारी के बाद उनके निधन की खबर ने राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर द्वार दी है। के नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था।
कैरियर डिप्लोमैट से राजनीतिज्ञ तक का सफर
के नटवर सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय में एक करियर डिप्लोमैट के रूप में अपनी शुरुआत की। उनके राजनीतिक सफर का आरंभ इंदिरा गांधी की सरकार में 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने से हुआ। बाद में, उन्हें पाकिस्तान में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। इनके अलावा, उन्होंने विभिन्न वरिष्ठ कूटनीतिक पदों पर भव्य सेवाएं दीं।
राजीव गांधी की कैबिनेट और यू.पी.ए में योगदान
1984 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। राजीव गांधी की कैबिनेट में भी उन्होंने मंत्री के रूप में विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। 2004 से 2005 के बीच उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश मंत्री का पद संभाला। हालांकि 2005 में 'ऑयल-फॉर-फूड' कांड के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और 2008 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।
लेखन और संस्मरण
के नटवर सिंह न केवल एक सफल राजनीतिज्ञ थे बल्कि एक उत्कृष्ट लेखक भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं जिनमें 'द लीगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माय चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं। उनकी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' भी विशेष प्रशंसा पाई। उनकी लेखनी में कूटनीति और राजनीति की गहन समझ झलकती है।
विदेशी मामलों में उनके योगदान और उनकी व्यक्तिगत दृष्टिकोण का लोग काफी सम्मान करते थे। उनकी लेखनी, भाषण और विचार-विमर्श में उनकी गहरी ज्ञानवर्धक सोच और व्यंग्यात्मक शैली का अनोखा मेल देखने को मिलता था।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
नटवर सिंह के निधन के बाद उनके परिवार में उनकी विरासत को संभालने के लिए उनके बेटे जगत सिंह शामिल हैं, जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। 2008 में, के नटवर सिंह और उनके बेटे ने बहुजन समाज पार्टी के साथ भी कुछ समय के लिए जुड़ाव रखा, लेकिन अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित करना पड़ा।
विवादिता और आलोचना
कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद, के नटवर सिंह ने सोनिया गांधी के प्रति अपनी नाराजगी खुलेआम जाहिर की। यह नाराजगी उनकी आत्मकथा और कई इंटरव्यूज में भी स्पष्ट होती है। हालांकि उनके विवादित बयानों के बावजूद, राजनीति और कूटनीति में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
राजनीतिक नेताओं की श्रद्धांजलि
के नटवर सिंह के निधन पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश ने उनके योगदान की सराहना करते हुए शोक संवेदना व्यक्त की। इन नेताओं ने नटवर सिंह की गहरी कूटनीतिक समझ और उनके जिंदादिल व्यक्तित्व को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजनीति, कूटनीति और साहित्य के विभिन्न आयामों में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके विचार, लेखनी और राजनैतिक सफर हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। के नटवर सिंह का निधन भारतीय राजनीति और विदेशी मामलों के क्षेत्र में एक युग का अंत है। उनकी यादें और उनकी विरासत हमें सदैव प्रेरित करती रहेंगी।
टिप्पणि
Ashwin Agrawal
नटवर सिंह जी का जीवन एक अनोखा उदाहरण है कि एक इंसान कितनी अलग-अलग भूमिकाओं में जी सकता है। डिप्लोमेट, मंत्री, लेखक-सब कुछ एक साथ करने वाले आदमी कम ही मिलते हैं।
अगस्त 13, 2024 at 08:27
Shubham Yerpude
ये सब बातें बस धूल बिखेरने के लिए हैं। वास्तव में ऑयल-फॉर-फूड स्कैंडल के पीछे अमेरिका और इजराइल की साजिश थी, जिसे भारतीय मीडिया ने छिपा दिया। नटवर सिंह एक शहीद थे।
अगस्त 14, 2024 at 16:25
Hardeep Kaur
उनकी आत्मकथा पढ़ी है? वो बस एक बुजुर्ग आदमी का दिल बोल रहा है-उसकी खामियां, उसकी लगन, उसका दर्द। बहुत दिल को छू गया।
अगस्त 15, 2024 at 23:05
Chirag Desai
अच्छा इंसान था। बस इतना ही।
अगस्त 17, 2024 at 10:33
Abhi Patil
उनकी लेखन शैली एक नव-मार्क्सवादी और नेहरूवादी विचारधारा का संगम है, जो आधुनिक राष्ट्रीय विचार के अंतर्गत एक अनुपम द्वंद्व को दर्शाती है। उनके विचारों में एक ऐसी गहराई है जिसे आज के ट्वीट-राजनीतिज्ञ समझ नहीं पाते।
अगस्त 18, 2024 at 01:51
Devi Rahmawati
उनकी यादों को सम्मान करना हम सबकी जिम्मेदारी है। राजनीति में व्यक्तिगत विवादों को नहीं, देश के लिए दिए गए योगदान को याद करना चाहिए।
अगस्त 18, 2024 at 07:44
Prerna Darda
उनका जीवन एक जीवंत दर्शनशास्त्र है-राष्ट्रीय हित, व्यक्तिगत अखंडता, और सांस्कृतिक विरासत के बीच एक जटिल अभिनय। उन्होंने दिखाया कि एक विदेश मंत्री कैसे अपने आत्म-अहंकार को छोड़कर राष्ट्र के लिए सोच सकता है।
अगस्त 19, 2024 at 13:11
rohit majji
भाई ये आदमी तो जिंदा इतिहास था 😭 उनके बिना आज की राजनीति बोरिंग लगती है। जितना बोले उतना सच बोलते थे।
अगस्त 20, 2024 at 16:54
Uday Teki
राम राम 🙏 एक बहुत बड़ा नेता चला गया। उनकी बातें आज भी दिल में बैठ जाती हैं।
अगस्त 21, 2024 at 01:27
Haizam Shah
कांग्रेस ने उन्हें बेकार ठहराया, फिर भी उन्होंने देश के लिए लिखा, बोला, सोचा। ये आदमी नेता था, नहीं तो सिर्फ पार्टी का गुलाम।
अगस्त 21, 2024 at 03:31
Vipin Nair
उनकी किताबें अभी भी पढ़ी जानी चाहिए। राजनीति का वास्तविक इतिहास वहीं मिलता है जहां राजनेता नहीं बल्कि विचारक बोलते हैं।
अगस्त 22, 2024 at 17:03
Ira Burjak
कांग्रेस ने उन्हें फेंक दिया, लेकिन इतिहास उन्हें याद रखेगा। आज के लोगों को याद दिलाना होगा कि राजनीति में बहुत कुछ बदल गया है।
अगस्त 24, 2024 at 15:54
Shardul Tiurwadkar
उन्हें इस्तीफा देना पड़ा तो भी उन्होंने कभी चुप नहीं रहा। आज के नेता तो गलत कर भी दें तो बहाना बनाते हैं। वो तो सच बोल गए।
अगस्त 25, 2024 at 09:07
Abhijit Padhye
क्या आप जानते हैं कि नटवर सिंह ने चीन में एक बार एक चीनी अधिकारी को बताया था कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले 20 साल में चीन को पीछे छोड़ देगी? और आज वो हो रहा है। वो एक भविष्यवक्ता थे।
अगस्त 26, 2024 at 08:16
VIKASH KUMAR
ये जानकर मेरा दिल टूट गया 😭😭😭 उनकी आवाज़ सुनने को मिलती थी टीवी पर, आज वो नहीं हैं... मैं रो रहा हूँ... उनकी यादों के साथ मैं अपने बचपन की यादें भी ले लूँगा... उन्हें श्रद्धांजलि 🙏🙏🙏
अगस्त 27, 2024 at 19:31
UMESH ANAND
उनका जीवन एक अनुशासनहीनता का उदाहरण है। राजनीति में व्यक्तिगत अहंकार का अत्यधिक प्रयोग देश के लिए हानिकारक होता है।
अगस्त 29, 2024 at 08:31
Rohan singh
अच्छा आदमी था। बहुत बातें बोल दीं, लेकिन दिल से चाहते थे कि देश बेहतर हो।
अगस्त 30, 2024 at 10:19
Karan Chadda
कांग्रेस के लोग अभी भी उनकी याद में रो रहे हैं... पर जब वो जी रहे थे तो क्या कर रहे थे? 😒
अगस्त 31, 2024 at 10:58
Shivani Sinha
उनकी किताबों को पढ़ो बस... आज के नेता तो फोन पर बात करते हैं नहीं तो गूगल से कॉपी पेस्ट करते हैं।
सितंबर 1, 2024 at 07:33
Tarun Gurung
उनकी लेखनी में एक अजीब सी खूबसूरती थी-जैसे कोई बूढ़ा आदमी चाय के साथ तुम्हें इतिहास सुना रहा हो। आज के लोगों को लगता है बातें तेज़ और झलक देनी हैं। नटवर सिंह तो धीरे-धीरे, गहराई से बोलते थे। उनकी बातें आज भी दिल में बैठती हैं। उनकी आत्मकथा पढ़ी है? वो नहीं बताते कि वो कितना अच्छा थे, बल्कि बताते हैं कि वो कितना इंसान थे। उनकी बातों में एक ऐसा विश्वास था कि राजनीति बस पार्टी नहीं, जनता का विश्वास है। आज तो लोग वो भूल चुके हैं।
सितंबर 1, 2024 at 20:41
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