स्विट्जरलैंड में हिंदुजा परिवार के 4 सदस्यों को किया गया जेल, घरेलू नौकरों का शोषण करने का आरोप
Posted on जून 22, 2024 by मेघना सिंह
स्विट्जरलैंड की अदालत का हिंदुजा परिवार पर बड़ा फैसला
स्विट्जरलैंड के जिनेवा की एक अदालत ने ब्रिटेन के सबसे धनी व्यापारिक परिवारों में शुमार हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को घरेलू नौकरों के शोषण के मामले में कठोर सजा सुनाई है। इस परिवार के सदस्य- अजय हिंदुजा, उनकी पत्नी नम्रता, और उनके बुजुर्ग माता-पिता प्रकाश (78) और कमल (75)- को अदालत ने दोषी करार दिया है। परिवार के इन सदस्यों पर आरोप था कि उन्होंने भारत से आए अपने घरेलू नौकरों को न्यूनतम वेतन से बहुत कम वेतन देकर उनका शोषण किया।
अजय हिंदुजा और उनकी पत्नी नम्रता को 4 साल की सजा सुनाई गई है, जबकि उनके माता-पिता को 4.5 साल की सजा दी गई है। परिवार के मैनेजर नजीब जिआज़ी को 18 महीने की सजा दी गई है। अदालत ने परिवार को अपने नौकरों को 850,000 फ्रैंक (लगभग $950,000) का मुआवजा और 270,000 फ्रैंक की कानूनी फीस अदा करने का आदेश दिया है।
घर पर नौकरों को कैसे रखा गया?
अदालत ने पाया कि हिंदुजा परिवार ने भारत से आए नौकरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए थे, उन्हें भारतीय रुपये में वेतन दिया, और उनके बैंक खातों तक पहुंच नहीं दी। नौकरों को मासिक ₹22,000 से ₹37,500 तक भुगतान किया गया, जोकि स्विट्जरलैंड के मानक वेतन से लगभग 90% कम है। यह स्पष्ट रूप से घोर शोषण का मामला था और अदालत ने इन तत्वों को गंभीरता से लिया।
इस सजा के बाद हिंदुजा परिवार ने आरोपों से इनकार करते हुए इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। वे इस निर्णय को 'हैरान' करने वाला और 'निराशाजनक' करार दे रहे हैं। स्विट्जरलैंड के इस फैसले के बाद, विश्वभर में श्रम कानूनों के पालन और मानवाधिकारों के सम्मान को लेकर एक बड़ा संदेश गया है। यह मामला उनके जैसे अनेक परिवारों के लिए चेतावनी साबित हो सकता है।
सोचने को मजबूर करने वाले मुद्दे
यह मामला सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि अमीर और प्रभावशाली लोगों द्वारा किस प्रकार निर्धन और कमजोर वर्गों का शोषण किया जाता है। इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि आर्थिक शक्ति का प्रयोग कई बार मानवाधिकार हनन के लिए किया जाता है। परिवार के बाकी सदस्य जिन्होंने इस घटना को जानबूझकर होने दिया, उनकी भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि भारत जैसे देशों से आए घरेलू नौकरों का विदेशों में शोषण होना आम बात है। विचारणीय बात यह है कि ये नौकर उन परिवारों के साथ काम करने आते हैं जो उन्हें बेहतर जीवन का सपना दिखाते हैं, लेकिन सच्चाई में उन्हें दासता जैसी स्थितियों में बंधे रहना पड़ता है। सरकारों और अंतराष्ट्रीय संगठनों को ऐसे मामले और घटनाओं पर कार्रवाई करनी चाहिए।
अंतराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी
अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों का भी इस मामले में दखल आवश्यक है। ऐसे सभी मूलभूत मानवाधिकार हनन के मामलों में कड़ी नजर रखनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति का शोषण न हो।
हिंदुजा परिवार के मामले ने एक बड़ी चर्चा को जन्म दिया है और यह आवश्यक है कि हम सभी इस घटना से सीख लें और अपने समाज में बदलाव के लिए प्रयास करें। हमें समझना होगा कि मानवाधिकार, न्याय और समानता के मूल्य सबसे महत्वपूर्ण हैं और इन्हें हर हाल में बनाए रखना होगा।