UGC का सख्त आदेश: कॉलेजों में व्हाट्सएप ग्रुप्स की निगरानी, डिजिटल हैरेसमेंट को भी माना जाएगा रैगिंग
Posted on जुल॰ 21, 2025 by Devendra Pandey

कॉलेज कैंपस में रैगिंग के बदलते रूप: अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी रडार पर
अगर आपको लगता है कि रैगिंग सिर्फ हॉस्टल रूम या कॉलेज के कॉरिडोर तक ही सीमित है, तो अब तस्वीर काफी बदल चुकी है। UGC ने हाल ही में एक सख्त निर्देश जारी किया है, जिससे देशभर के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में डिजिटल माध्यमों पर होने वाली परेशानियों पर भी सख्त कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।
UGC ने कॉलेज प्रशासन से साफ कहा है कि वे व्हाट्सएप और इसी तरह के मैसेजिंग ग्रुप्स पर नजर रखें। अकसर सीनियर छात्र जूनियर्स को इन ग्रुप्स के जरिए धमकाते हैं या अलग-अलग तरीके से मानसिक प्रताड़ना देते हैं। जैसे- ग्रुप से बाहर करने की धमकी, अजीबो-गरीब काम करने के लिए मजबूर करना, सबके सामने अपमानजनक बातें कहना, या पूरी रात जागने के लिए कहना। अब ये सभी चीजें रैगिंग की ही कैटेगरी में आएंगी।
यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब हर साल देशभर के तमाम कॉलेजों में फ्रेशर्स की ऑनलाइन शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। कई छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, जैसे- WhatsApp या Telegram ग्रुप, सोशल बॉयकॉट की धमकी और निजी फोटो या वीडियो के जरिए ब्लैकमेलिंग के लिए तेजी से इस्तेमाल हो रहे हैं। छात्र-छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।
संस्थानों पर जिम्मेदारी बढ़ी, लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी
UGC ने advisory में साफ कर दिया है कि छात्र सुरक्षा किसी भी हालत में अनदेखी नहीं की जा सकती। साथ ही, कॉलेजों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे इन नए नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उनकी फंडिंग या ग्रांट रोकी जा सकती है। यानी, अब संस्थानों के लिए भी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
इस आदेश में कॉलेजों से यह भी कहा गया है कि वे हर नए छात्र को उसके अधिकार और सुरक्षा के तरीके बताएं। इसके अलावा, कॉलेजों को चाहिए कि वे एक स्पष्ट और गोपनीय शिकायत प्रणाली रखें, ताकि पीड़ित छात्र बिना डर के शिकायत कर सकें।
- हर WhatsApp और Telegram ग्रुप की एक्टिविटी पर नजर रखना अनिवार्य
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिंसा या अपमानजनक भाषा की मॉनिटरिंग
- हर शिकायत को गंभीरता से लेना और जल्द कार्रवाई करना
- पीड़ित छात्रों को काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम मुहैया कराना
UGC की गाइडलाइन्स के बाद अब छात्रों को ज्यादा सुरक्षित माहौल मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। नई पीढ़ी के लिए यह संदेश भी साफ है कि रैगिंग सिर्फ शारीरिक नहीं, डिजिटल भी बहुत खतरनाक है। ऐसे मामलों में चुप रहना अब विकल्प नहीं है—खुलकर शिकायत करें, क्योंकि अब आपके हक की रक्षा के लिए सख्त नियम मौजूद हैं।