दिल्ली में भव्य पुरस्कार समारोह
23 सितंबर 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में 71वें National Film Awards की धूमधाम से ओत-प्रोत शाम हुई। राष्ट्रपति द्रुपदी मुर्मु ने अध्यक्षता में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का संचालन किया, जहाँ 2023 के फिल्मी साल की सर्वश्रेष्ठ कृतियों को सम्मानित किया गया। लाल कार्पेट पर कई बड़े सितारे आए, कैमरा फ़्लैशों की बौछार और ताली की गड़गड़ाहट माहौल को और भी ऊर्जा से भर देती रही।
शाहरुख़ ख़ान ने ‘जवान’ में निभाए गए दमदार किरदार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड प्रथम बार जीता। यह जीत विक्रांत मैसी के साथ साझा किया गया, जिन्हें ‘12th Fail’ में बेहतरीन अभिनय के लिए सम्मान मिला। दो अलग‑अलग शैलियों की फिल्मों को एक साथ मान्य किया जाना इस साल के दावों की विविधता को दिखाता है। शाहरुख़ के चेहरे पर मिले भावनात्मक महसूस हुए; उन्होंने मंच पर अपने करियर की उपलब्धियों को संक्षेप में कहा और दर्शकों को धन्यवाद दिया।
रानी मुखर्जी को ‘Mrs Chatterjee vs Norway’ में दिखाए गए दिल छू लेने वाले प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। इस फिल्म ने सामाजिक मुद्दों को संवेदनशीलता से पेश किया था, और रानी की भूमिका ने कई लोगों को प्रभावित किया था। उनके पति ने मंच से भावनात्मक शब्दों में उनका समर्थन किया, जबकि रानी ने फिल्म के संदेश को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई।
विक्टोरिया, श्रद्धांजलि और भविष्य की दिशा
विक्रांत मैसी ने अवॉर्ड प्राप्त करते समय कहा, "यह अनजाने में एक सपने का सच होना है। मैं इस सम्मान को अपनी माँ और पत्नी को समर्पित करता हूँ।" उनका भावनात्मक धन्यवाद नोट सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स ने साझा किया। उनका इमोशनल स्पीच दर्शकों के दिल को छू गया, क्योंकि कई युवा कलाकारों के लिए यह सच्ची प्रेरणा बन सकता है।
इस समारोह का सबसे बड़ा क्षण मोहनलाल को दादासाहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित करना रहा। कई भाषाओं में काम करने वाले इस दिग्गज को अब तक के सबसे प्रतिष्ठित जीवन‑उपलब्धि पुरस्कार से नवाज़ा गया। मोहनलाल ने दर्शकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनका सफर कई चुनौतियों और सफलताओं से भरा रहा, और उन्होंने भारतीय सिनेमा के भविष्य को उज्ज्वल देखते हुए संदेश दिया।
समारोह का प्रसारण राष्ट्रभर में लाइव हुआ, जिससे लाखों दर्शकों ने इस अद्भुत आयोजन को घर-बैठे देखा। विभिन्न भाषाओं में बनी फिल्मों को समान मान्यता मिली, जिससे भारतीय सिनेमा की बहु‑भाषीय शक्ति स्पष्ट हुई। इस साल की जीत ने दिखाया कि वाणिज्यिक ब्लॉकबस्टर और सामग्री‑प्रधान फिल्में दोनों ही मंच पर बराबर खड़ी हो सकती हैं।
शाहरुख़ के परिवार – अریان, सहाना और गौरी खान – ने सोशल मीडिया पर खुशी के जज़्बात साझा किए, जहाँ उन्होंने पिता की इस नई उपलब्धि को "एक नई शुरुआत" कहा। कुल मिलाकर, 71वां नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड्स न केवल सितारों के लिए बल्कि पूरे इंडस्ट्री के लिए एक प्रेरक मंच साबित हुआ, जो विविधता, प्रतिभा और कलात्मक परिपूर्णता को सम्मानित करता है।
टिप्पणि
rohit majji
शाहरुख़ का अवॉर्ड देखकर मेरा दिल भर गया भाई 😭 ये आदमी हर बार नया इतिहास लिख रहा है
सितंबर 25, 2025 at 14:33
Prerna Darda
इस बार का नेशनल अवॉर्ड्स वास्तव में एक सांस्कृतिक रिवॉल्यूशन था। विक्रांत मैसी और शाहरुख़ का डुअल विनरशिप एक नए नियम की शुरुआत है - बॉलीवुड की एक्सप्रेशनिस्ट वैल्यूज़ और इंडी फिल्म की ऑथेंटिसिटी का सिंथेसिस। रानी का अवॉर्ड भी सिर्फ एक्टिंग नहीं, बल्कि एक फेमिनिस्ट नैरेटिव का रिकग्निशन है। इस तरह के अवॉर्ड्स ही इंडस्ट्री को डायवर्सिफाई करते हैं।
मोहनलाल को दादासाहेब फाल्के देना एक जीवित इतिहास को सम्मानित करने जैसा था। उनकी फिल्मों ने केरल के लोकल नैरेटिव्स को नेशनल स्क्रीन पर लाया। ये नहीं कि बॉलीवुड ने नियम बदले, बल्कि इंडियन सिनेमा ने अपने आप को रीडिफाइन किया।
सितंबर 26, 2025 at 19:57
Uday Teki
वाह भाई वाह 😍 शाहरुख़ का अवॉर्ड देखकर मैं रो पड़ा... मोहनलाल का दादासाहेब तो दिल छू गया ❤️
सितंबर 28, 2025 at 03:29
Haizam Shah
अरे ये सब फिल्मों का नहीं, बस प्रचार का खेल है। शाहरुख़ को अवॉर्ड मिला क्योंकि उसकी फिल्म ने 1000 करोड़ कमाए। विक्रांत की फिल्म तो किसी को नहीं देखी। ये सब लोग अपने नाम के लिए नेशनल अवॉर्ड्स को बेच रहे हैं। असली टैलेंट तो ओल्ड साउथ में है, जिन्हें कोई नहीं जानता।
सितंबर 28, 2025 at 15:01
Vipin Nair
इस बार के अवॉर्ड्स में एक नया ट्रेंड दिखा जो पिछले दशकों में नहीं देखा गया - वाणिज्यिक और सामग्री प्रधान फिल्मों का समान दर्जा। शाहरुख़ की जवान और 12th Fail का एक साथ चयन इंडस्ट्री के विकास का संकेत है। रानी का अवॉर्ड भी सिर्फ अभिनय नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक मुद्दे को भारतीय सिनेमा ने अपनाया है। यह एक अहम बदलाव है।
मोहनलाल को दादासाहेब फाल्के देना एक जरूरी और सही निर्णय था। उनका काम भाषा के पार गया है। इस अवॉर्ड के बाद अब दक्षिण भारतीय अभिनेता भी इस श्रेणी में आएंगे। ये भारतीय सिनेमा का असली भविष्य है।
सितंबर 29, 2025 at 14:10
Ira Burjak
अरे शाहरुख़ को अवॉर्ड मिला तो खुश हो गए ना? पर रानी के लिए तो दुनिया भर में बहुत सारे लोगों ने रोया... और तुम लोग बस फिल्म के नाम से जुड़े हो।
मोहनलाल के लिए तो दादासाहेब फाल्के बस एक फॉर्मलिटी थी - वो तो पहले से ही देवता हैं।
सितंबर 29, 2025 at 16:48
Shardul Tiurwadkar
क्या आपने देखा कि शाहरुख़ ने अपने अवॉर्ड के बाद कहा - "ये एक नई शुरुआत है"? बस यही बात है। वो अब बस बॉलीवुड के बाद नहीं, भारतीय सिनेमा के बाद चल रहे हैं।
और हाँ, विक्रांत मैसी का अवॉर्ड देखकर लगा जैसे किसी ने अपने दादा को याद कर दिया हो - जिन्होंने अपने घर से निकलकर सिर्फ एक टिकट खरीदा और सिनेमा देखने आ गए।
सितंबर 30, 2025 at 22:41
Abhijit Padhye
तुम सब बस शाहरुख़ के अवॉर्ड पर फोकस कर रहे हो... लेकिन क्या आप जानते हैं कि नेशनल अवॉर्ड्स के इतिहास में पहली बार एक दक्षिण भारतीय अभिनेता ने दो अलग-अलग फिल्मों में दो अलग-अलग अवॉर्ड्स जीते? विक्रांत मैसी ने तो एक फिल्म में एक अनजान आदमी का किरदार निभाया जिसकी जिंदगी के लिए कोई भी लिखने को तैयार नहीं था। और फिर भी वो जीत गया।
अब बताओ कौन असली अभिनेता है? शाहरुख़ जो एक ब्लॉकबस्टर में बॉडीगार्ड बन रहे हैं या विक्रांत जो एक गाँव के लड़के के दिल की धड़कन बन गए? ये सवाल तुम लोगों को जवाब देना होगा।
अक्तूबर 1, 2025 at 19:02
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