दिल्ली‑जयपुर में सोने की कीमत 10 ऑक्टूबर तक ₹1.3 लाख पकड़ गई, चांदी के दाम भी नया रिकॉर्ड

18अक्तूबर
दिल्ली‑जयपुर में सोने की कीमत 10 ऑक्टूबर तक ₹1.3 लाख पकड़ गई, चांदी के दाम भी नया रिकॉर्ड

जब अखिल भारतीय सराफा संघ ने 10 ऑक्टूबर 2025 को दिल्ली के सराफा बाजार में 99.9 % शुद्धता वाले सोने की कीमत ₹2,850 बढ़ाकर ₹1,30,800 पर बंद होने की सूचना दी, तो बाजार में हलचल मच गई। इसी दिन Indian Bullion and Jewellers Association ने 3 % GST सहित राष्ट्रीय औसत ₹89,306 बताया, जबकि Multi Commodity Exchange (MCX) के फ्यूचर‑कॉन्ट्रैक्ट पर साल‑दर‑साल 35 % उछाल दर्ज हुआ। दिल्ली के सराफा बाजार से लेकर जयपुर के चमकते काउंटर तक, सोने की कीमतें अब ₹1.3 लाख/10 ग्राम के स्तर को छू रही हैं, और चांदी भी ₹1.85 लाख/किग्रा का सर्वकालिक ऊँचा मुकाम पार कर चुकी है।

इतिहास और पृष्ठभूमि

2010‑की दशक में भारत में 10 ग्राम 24 कैरेट शुद्ध सोने की कीमत आमतौर पर ₹40,000‑₹50,000 के बीच रहती थी। 2019‑2020 में काफ़ी उतार‑चढ़ाव आया, लेकिन पिछले पाँच सालों में कीमतें लगभग दोगुनी होकर 2024‑पर्यंत ₹70,000‑₹80,000 के आसपास स्थिर रही। फिर 2023‑की शुरुआत में डॉलर‑रुपया दर में अचानक गिरावट, वैश्विक भू‑राजनीतिक तनाव, और महामारी‑के‑बाद निवेशकों की सुरक्षित संपत्ति की इच्छा ने सोने की कीमत को तेज़ वसूली की राह पर धकेल दिया।

द्वीप के कई प्रमुख सराफा बाजारों में, खासकर दिल्ली और जयपुर में, अभ्यागतों की भीड़ और मौसमी मांग ने इस उछाल को और तेज़ किया। अतीत में, धनतेरस से पहले सोने की मांग में अक्सर 20‑30 % की बढ़ोतरी देखी जाती थी; इस बार वह वृद्धि दो‑तीन गुना अधिक रही।

वर्तमान कीमतों का विस्तृत विवरण

10 ऑक्टूबर 2025 को:

  • दिल्ली के सराफा बाजार में 99.9 % सोना ₹1,30,800 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
  • 99.5 % शुद्धता वाला सोना ₹1,30,200 पर बेचा गया।
  • जयपुर में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹91,600 पर स्थिर रही, जबकि राष्ट्रीय औसत ₹92,150 था।
  • MCX फ्यूचर‑कॉन्ट्रैक्ट में 10 ग्राम सोने की कीमत प्रतिदिन ₹2,850‑₹3,000 के बीच उतरी‑चढ़ी।
  • चांदी के मामले में 31 डिसेंबर 2024 को ₹89,700 प्रति किलोग्राम से शुरू होकर आज ₹1,85,000/किग्रा तक पहुंची है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि एक साल में सोने की कीमत लगभग 32 % और चांदी की कीमत 106 % बढ़ी है। कुछ महीनों में ही वर्ष‑दर‑वर्ष वृद्धि 35 % तक पहुँच गई, जिससे निवेशकों को ऐतिहासिक लाभ मिला।

विशेषज्ञों की राय

राकेश सिंह, प्रमुख कमोडिटी एनालिस्ट, ने कहा, "इज़राइल‑इरान के बीच तानावली, डॉलर‑रुपया की निरंतर गिरावट, और मौद्रिक नीति की अनिश्चितताएँ सभी मिलकर सोने और चांदी को ‘सुरक्षित आश्रय’ बना रही हैं। अगर यह रफ़्तार बनी रहती है, तो दिवाली तक चांदी ₹2 लाख/किग्रा को भी छू सकती है।"

इसी बीच नंदिनी गुप्ता, अर्थशास्त्री, ने टिप्पणी की, "रुपए का लगातार कमजोरी और आयात‑निर्यात पर बड़े स्तर पर प्राइस कैपिटैलाइजेशन के कारण सोने की मांग में मौसमी उछाल आया है। लेकिन ध्यान रखें, अगर वैश्विक वित्तीय बाजार में स्थिरता आती है, तो अगले साल कीमतों में थोड़ा‑संतुलन देखना संभव है।"

निवेशकों पर असर और बाजार प्रतिक्रिया

कीमतों में इस तीव्र उछाल के बावजूद, भारतीय निवेशकों का व्यवहार पहले जैसा नहीं बदल रहा। रिटेल गोल्ड खरीदारी में 2024‑25 वित्तीय वर्ष में 22 % की वृद्धि दर्ज हुई, जबकि जेवर‑लोक के रूप में खरीदे गए सामान में गिरावट आई। मतलब, लोग शुद्ध सोने, सिक्के, और बार में अधिक निवेश कर रहे हैं।

बैंक‑आधारित गोल्ड लोन की ब्याज दरें भी करीब 7‑8 % पर स्थिर हैं, जिससे उपभोक्ताओं को मौजूदा कीमतों पर खरीदारी करना आसान हो गया। कुछ बड़े बैंकों ने सोने‑सिक्के‑भंडारण पैकेज लॉन्च किए हैं, जिससे निवेशकों को सुरक्षित स्टोरेज का भरोसा मिला।

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौर में ‘डिविडेंड‑ड्रेसिंग’ वाले बैंकों के साथ साथ, व्यक्तिगत निवेशकों को भी अपने पोर्टफोलियो में सोना तथा चांदी को एक एसेट क्लास के रूप में जोड़ना चाहिए। यह वैरायटी, उच्च रिटर्न और आर्थिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित कवरेज प्रदान करता है।

भविष्य की दिशा और संभावित जोखिम

भविष्य की दिशा और संभावित जोखिम

यदि मौजूदा रफ़्तार बनी रहती है, तो 2025‑की अंत में सोने की कीमत ₹1,50,000‑₹1,60,000/10 ग्राम तक पहुँच सकती है। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर फेडरल रिज़र्व नीतियों में बदलाव आए या यू.एस. डॉलर की वैल्यू पुनः स्थिर हो, तो सोने की कीमतों में थोड़ी गिरावट आँकी जा सकती है।

चांदी के संदर्भ में, विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर भौगोलिक तनाव जारी रहता है और औद्योगिक मांग में उछाल आता है, तो अगले साल तक ₹2,10,000/किग्रा का लक्ष्य साध्य हो सकता है। लेकिन यह जोखिम‑रहित नहीं है; विश्व स्तर पर उत्पादन में बढ़ोतरी, या नई तकनीकों (जैसे बैटरी‑सेक्टर) में कम सोने‑चांदी की आवश्यकता, कीमतों को नीचे ले जा सकती है।

कुल मिलाकर, निवेशकों को अपनी एसेट अलोकेशन को पुनः मूल्यांकित कर, पोर्टफोलियो में विविधता लाने की सलाह दी जाती है। सोना और चांदी को ‘सुरक्षित आश्रय’ माना जाता है, परन्तु किसी भी एसेट क्लास की तरह, ये भी बाजार सायकल और नीति परिवर्तन से प्रभावित होते हैं।

मुख्य बिंदु (Key Facts)

  • 10 ऑक्टूबर 2025 को दिल्ली में 99.9 % सोना ₹1,30,800/10 ग्राम पर बंद हुआ।
  • \n
  • जायपुर में 24 कैरेट सोना ₹91,600 पर रहा।
  • MCX फ्यूचर‑कॉन्ट्रैक्ट में साल‑दर‑साल 35 % वृद्धि।
  • चांदी ने 106 % की जबरदस्त वृद्धि करके ₹1,85,000/किग्रा पहुँचा।
  • विशेषज्ञ: राकेश सिंह (कमोडिटी एनालिस्ट), नंदिनी गुप्ता (अर्थशास्त्री)।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सोने की कीमतें इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ रही हैं?

वैश्विक भू‑राजनीतिक तनाव (इज़राइल‑इरान), डॉलर‑रुपया गिरावट और मौसमी मांग (धनतेरस‑दिवाली) मिलकर सोने को सुरक्षित आश्रय बना रही हैं। साथ ही, RBI की मौद्रिक नीति में धीमी गति ने निवेशकों को धातु में पूँजी लगानी के लिये प्रेरित किया है।

क्या चांदी का उछाल सोने को भी आगे बढ़ाएगा?

चांदी की कीमतें मौद्रिक नीति और औद्योगिक मांग दोनों से प्रभावित होती हैं। अगर चांदी का रफ़्तार जारी रहा, तो निवेशकों का आश्रय‑धातु पोर्टफोलियो विस्तार पाएगा, जिससे सोने की मांग और भी बढ़ सकती है।

क्या इस गति को रोकने के लिये RBI कोई कदम उठाएगा?

RBI ने अभी तक सोने‑शेयर या भौतिक धातु की कीमतों को सीधे नियंत्रित करने की घोषणा नहीं की। उसका मुख्य फोकस मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर है; इन‑बिंदुओं में बदलाव अप्रत्यक्ष रूप से धातु कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।

साधारण निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?

निवेशकों को पोर्टफोलियो में सोना‑बार, स्ट्रीप्ड सोना या गोल्ड‑ETF शामिल करने पर विचार करना चाहिए, साथ ही दीर्घकालिक लक्ष्य और जोखिम सहनशीलता को ध्यान में रख कर एसेट अलोकेशन समायोजित करना चाहिए।

भविष्य में कीमतें कब तक कम हो सकती हैं?

अगर यू.एस. डॉलर फिर से मजबूत होता है, या वैश्विक आर्थिक संकीर्णता कम होती है, तो अगले 12‑18 महीनों में सोने की कीमतों में 5‑10 % की सूक्ष्म गिरावट संभव है। परंतु कोई बड़ी गिरावट तभी आएगी जब भू‑राजनीति में स्थिरता आए।

टिप्पणि

Apurva Pandya
Apurva Pandya

सोने की कीमतों में इतना उछाल देखना हमारे सामाजिक मूल्यों पर प्रश्न उठाता है :) हमें लक्जरी की पौराणिक लहरी में नहीं फँसना चाहिए। आर्थिक असमानता को बढ़ावा देने वाले इस ट्रेंड को रोकना आवश्यक है।

अक्तूबर 18, 2025 at 18:30

Nishtha Sood
Nishtha Sood

वास्तव में यह बढ़ोतरी निवेशकों को एक सुरक्षित विकल्प देती है। यदि सही समय पर खरीदी जाए तो भविष्य में अच्छा रिटर्न मिल सकता है। आशा है लोगों को सही जानकारी मिलती रहेगी।

अक्तूबर 27, 2025 at 03:50

Hiren Patel
Hiren Patel

क्या बात है! आजकल सोना ही नहीं, चांदी भी हमें बिन ब्यूँके आकर्षित कर रही है। हर कोने में चमक, हर दिल में उत्साह, यही है बाजार की असली रौशनी!
इसे चमकते रहो!
धनतेरस की धूम से नहीं डरना चाहिए, बस समझदारी से निवेश करना चाहिए।

नवंबर 4, 2025 at 13:10

Heena Shaikh
Heena Shaikh

धन की मूल्यवृद्धि पर विचार करते हुए, क्या यह स्थायी समाधान है? यदि बाजार के झोंके लगातार आएँ तो क्या होगा?

नवंबर 12, 2025 at 22:30

Chandra Soni
Chandra Soni

बाजार की उछाल को देखते हुए, पोर्टफोलियो में गोल्ड ETF और फिजिकल गोल्ड दोनों का मिश्रण अपनाना चाहिए। यह हाई-टेक इनवेस्टमेंट की तरह है, जहाँ ROI को ऑप्टिमाइज़ किया जा सकता है।

नवंबर 21, 2025 at 07:50

Kanhaiya Singh
Kanhaiya Singh

सोने की मौजूदा कीमतों पर विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि वैश्विक अस्थिरता का सीधा असर परिलक्षित हो रहा है :) निवेशकों को सावधानीपूर्वक कदम बढ़ाना चाहिए।

नवंबर 29, 2025 at 17:10

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