DMRC-DAMEPL मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ

12जून

Posted on जून 12, 2024 by मेघना सिंह

DMRC-DAMEPL मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ

DMRC-DAMEPL मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट का क्यूरेटिव जजमेंट

सुप्रीम कोर्ट का ताजा क्यूरेटिव जजमेंट DMRC-DAMEPL मध्यस्थता मामले में आया है, जिसमें लगभग ₹3000 करोड़ रुपये का पुरस्कार रद्द कर दिया गया है। इस फैसले के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं, खासकर वे जो सरकारी अनुबंधों से जुड़ी मध्यस्थताओं पर होंगे। इस निर्णय का घरेलू और विदेशी निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सरकारी अनुबंधों के लिए संदेश

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह संकेत मिल रहा है कि सरकार और उसके विभिन्न विभाग निजी क्षेत्र के साथ किए गए अनुबंधों में आसानी से हस्तक्षेप कर सकते हैं। यह मामला यह भी दर्शाता है कि सरकारी संस्थाओं के साथ कार्य करना निजी कंपनियों के लिए कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि भविष्य में निजी कंपनियाँ सरकारी अनुबंधों में शामिल होने से पीछे हट जाएँ।

भारत की मध्यस्थता समर्थक छवि पर प्रभाव

भारत की मध्यस्थता समर्थक छवि पर प्रभाव

भारत का न्यायिक तंत्र अब तक मध्यस्थता को प्रोत्साहित करता रहा है। White Industries मामले में आये फैसले ने इसे और मजबूत किया था। लेकिन DMRC-DAMEPL मामले में आए इस फैसले से वह प्रवृत्ति उलट सकती है। यह निर्णय भारत की मध्यस्थता समर्थक छवि पर करारा प्रहार है और निश्चित रूप से यह संकेत देता है कि भारत में व्यापारिक विवादों का समाधान अब कठिन हो सकता है।

निजी कंपनियों के लिए जोखिम

यह निर्णय घरेलू और विदेशी, दोनों प्रकार की निजी कंपनियों के लिए जोखिम बढ़ा सकता है। उन्हें यह संदेह हो सकता है कि अगर वे भारतीय सरकार से जुड़े किसी भी मामले में जीत भी जाते हैं, तो उसे भी आसानी से निरस्त किया जा सकता है। इससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है और वे अपने निवेश को जोखिम में नहीं डालना चाहेंगे।

अति-मुकदमेबाजी का खतरा

अति-मुकदमेबाजी का खतरा

यह निर्णय ज्यादा मुकदमेबाजी को भी प्रोत्साहित कर सकता है। सरकारी विभाग अब आसानी से अपने खोये हुए मामलों को पुनः उठाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया पर और अधिक दबाव बढ़ सकता है और न्यायिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ सकते हैं।

विदेशी मध्यस्थताओं का प्रवर्तन

यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस निर्णय का विदेशी सीटिड मध्यस्थताओं के प्रवर्तन पर भी प्रभाव हो सकता है। अगर विदेशी कंपनियाँ यह समझेंगी कि भारतीय न्याय प्रणाली उनके पक्ष में आये किसी भी निर्णय को निरस्त कर सकती है, तो वे भारत में निवेश करने से कतराएंगी।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, DMRC-DAMEPL मध्यस्थता मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का ताजा क्यूरेटिव जजमेंट विशेष रूप से सरकारी अनुबंधों पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकता है। यह फैसला न सिर्फ मध्यस्थता के मौजूदा सिद्धांतों पर असर डाल सकता है, बल्कि निवेशकों के विजय एकारंटियों पर भी संकट खड़ा कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह निर्णय समय के साथ अधिक मुकदमेबाजी को बढ़ावा देगा, जो न्यायिक प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव डालेगा।

एक टिप्पणी लिखें