29 जनवरी 2025 को उदयपुर के ऐतिहासिक सिटी पैलेस में एक चमकदार दृश्य देखे जाने को मिला – 2,203 सौर powered लैंपों को सूर्य के आकार में व्यवस्थित किया गया था। इस अद्भुत सजावट ने डॉ. लक्षयराज सिंह मेवाड़ को अपना नौवां Guinness World Record दिला दिया। भारत में पर्यावरण‑सचेत पहल को बढ़ावा देने और ऊर्जा‑सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए डिजाइन किया गया यह प्रयास, ‘सूर्य उजय अभियान’ का प्रमुख भाग रहा।
सूर्य उजय अभियान की रोशनी और उसकी महत्ता
‘सूर्य उजय अभियान’ का मूल उद्देश्य वंचित वर्ग को सौर लैंप प्रदान करके उनके घरों को बिजली बिल से मुक्त कराना और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को सामान्य बनाना है। इस मिशन के तहत लैंपों को सिर्फ प्रदर्शनी के रूप में नहीं, बल्कि वास्तविक वितरण के लिए भी तैयार किया गया। अभियान के आयोजकों ने बताया कि भविष्य में इन लैंपों को 5,000 से अधिक गरीब परिवारों तक पहुँचाया जाएगा, जिससे उनकी रातें उज्ज्वल होंगी और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम होगा।
सौर लैंप न केवल इलेक्ट्रिक ग्रिड पर निर्भरता घटाते हैं, बल्कि उर्जा‑संचयन की सुविधा भी प्रदान करते हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी स्थायी रोशनी मिलती है। अभियान के दौरान बनाए गए सूर्य के आकार में हिंदी में ‘सूर्य उदय’ शब्द भी लिखा गया, जो शक्ति, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक है।
डॉ. लक्षयराज सिंह की रिकॉर्ड यात्रा
डॉ. सिंह 1500 साल पुरानी मेवाड़ राजवंश के वंशज हैं और उन्होंने पिछले सात वर्षों में सामाजिक कारणों में नौ बार गिनीश वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़े हैं। उनके कुछ प्रमुख रिकॉर्ड इस प्रकार हैं:
- जनवरी 2022 में एक घंटे में 2,800 स्वेटर दान – सबसे बड़ा एक घंटे का स्वेटर दान।
- जनवरी 2021 में 12,508 व्यक्तिगत स्वास्थ्य उत्पादों का दान – एक घंटे में सबसे अधिक उत्पाद दान।
- जनवरी 2024 में 560 प्रतिभागियों के साथ सबसे बड़ी तनाव प्रबंधन कक्षा।
- सौर लैंप डिस्प्ले 2025 – सबसे बड़ी सौर‑लैंप स्क्रीन जिसमें सूर्य का आकार बनाया गया।
इन सभी प्रयासों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक जिम्मेदारी को प्रज्वलित करना और लोगों को स्वयंसेवी कार्यों की ओर आकर्षित करना रहा है। डॉ. सिंह ने बार‑बार कहा है कि उनका लक्ष्य केवल रिकॉर्ड बनाना नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाना है।
इन रिकॉर्ड्स को गिनीश वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा आधिकारिक मान्यता मिली है, जिससे न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन पहलों की सराहना हुई है। उनकी बातों में अक्सर यह जोर दिया जाता है कि चाहे कितनी भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त हो, अंततः सामाजिक सेवा ही असली जीत है।
साथ ही, डॉ. सिंह ने अपने राजसी विरासत को जीवित रखने के लिए सिटी पैलेस के संरक्षण, कला प्रदर्शनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सस्टेनेबल तरीके से आयोजित करने पर भी काम किया है। उनका मानना है कि परम्परा और नवाचार को जोड़कर ही समाज को आगे ले जाया जा सकता है।
टिप्पणि
ADI Homes
ये तो बस देखने लायक है भाई, 2200 लैंपों से सूर्य बनाया है? मजा आ गया।
सितंबर 26, 2025 at 22:14
NEEL Saraf
इतना सबकुछ एक राजपुत वंशज ने किया? वाह! राजवंश की विरासत को बचाने के साथ-साथ आधुनिकता को भी अपनाने की बात है। ये मिशन सिर्फ रिकॉर्ड नहीं, जीवन बदलने की कोशिश है।
सितंबर 28, 2025 at 02:11
Ashwin Agrawal
ग्रामीण इलाकों में सौर लैंप जाने का मतलब है कि बच्चे रात में पढ़ सकेंगे, और बिजली का बिल नहीं देना पड़ेगा। ये असली बदलाव है।
सितंबर 29, 2025 at 05:17
Shubham Yerpude
ये सब एक नियंत्रण योजना है। सौर ऊर्जा? बस एक धोखा है। असली शक्ति तो तेल और बिजली कंपनियों के पास है। ये रिकॉर्ड बस लोगों को भ्रमित करने के लिए हैं।
सितंबर 30, 2025 at 03:58
Chirag Desai
2200 लैंप? बहुत बढ़िया। अब इन्हें गरीबों को दे दो, तो असली जीत होगी।
सितंबर 30, 2025 at 21:21
Abhi Patil
एक राजपुत वंशज जो गिनीज़ रिकॉर्ड तोड़ता है? ये तो इतिहास की नई परिभाषा है। राजवंशों का अर्थ अब नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है। इस प्रयास का दायरा सिर्फ ऊर्जा तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण तक है। यह एक नए युग का उदय है, जहाँ परंपरा और नवाचार का समावेश होता है।
अक्तूबर 1, 2025 at 03:53
Prerna Darda
इस अभियान में सौर ऊर्जा का उपयोग एक टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन नहीं, बल्कि एक सामाजिक सिस्टम रिडिज़ाइन है। ये एनर्जी डेमोक्रेसी का प्रतीक है-जहाँ ऊर्जा एक अधिकार बन जाती है, न कि एक व्यापारिक सामान।
अक्तूबर 2, 2025 at 10:34
rohit majji
वाह भाई! ये तो बस देखने लायक है 😍 बहुत बढ़िया काम किया है!
अक्तूबर 4, 2025 at 02:18
Uday Teki
इतने सारे लैंप बनाने वाले ने तो दिल जीत लिया 💪✨
अक्तूबर 5, 2025 at 14:17
Haizam Shah
ये रिकॉर्ड बनाना तो बहुत अच्छा है, लेकिन अगर ये लैंप अभी भी बंद रहेंगे तो ये सब क्या फायदा? देखो, इसका असली टेस्ट तो गाँवों में होगा।
अक्तूबर 5, 2025 at 22:59
Vipin Nair
रिकॉर्ड बनाना आसान है, लेकिन इसे जीवन में बदलाव बनाना आसान नहीं। ये अभियान अगर असली है तो ये लैंप अब तक पहुँच चुके होंगे।
अक्तूबर 6, 2025 at 07:34
Ira Burjak
अच्छा तो अब बताओ, ये लैंप कहाँ जा रहे हैं? क्या वो बस फोटो के लिए बने हैं? 😏
अक्तूबर 6, 2025 at 15:13
Shardul Tiurwadkar
ये रिकॉर्ड बनाना तो बहुत अच्छा है, लेकिन जब तक गरीबों को ये लैंप नहीं मिलेंगे, तब तक ये सब नाटक है।
अक्तूबर 6, 2025 at 19:28
Abhijit Padhye
ये तो बहुत बढ़िया है, लेकिन आपने क्या सोचा है कि ये सौर लैंप बनाने के लिए कितना ऊर्जा खर्च हुआ? ये तो बिजली के बिल से ज्यादा खर्च होगा।
अक्तूबर 6, 2025 at 22:13
VIKASH KUMAR
मैंने तो सोचा था ये रिकॉर्ड बनाने वाला कोई नया शासक होगा, लेकिन अब पता चला कि ये तो एक नए राजा की शुरुआत है! 🌞👑 ये लैंप देखकर मेरी आँखों में आँसू आ गए!
अक्तूबर 7, 2025 at 16:35
UMESH ANAND
यह अभियान व्यवस्थित रूप से लोगों को भ्रमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। राजपुत वंश की विरासत का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह एक धोखा है।
अक्तूबर 8, 2025 at 13:48
Rohan singh
ये तो बहुत अच्छा है! अब इन लैंपों को जल्दी से गाँवों में पहुँचाओ, ताकि कोई भी रात को अंधेरे में न पड़े।
अक्तूबर 8, 2025 at 20:47
Hemant Kumar
मैंने सुना है कि ये लैंप अभी तक 1200 घरों तक पहुँच चुके हैं। जल्द ही बाकी भी पहुँच जाएंगे। धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है।
अक्तूबर 10, 2025 at 03:00
Hardeep Kaur
हाँ, वो लैंप अब राजस्थान के 7 जिलों में जा रहे हैं। मैंने एक गाँव में देखा था-बच्चे अब रात को पढ़ रहे हैं। ये रिकॉर्ड नहीं, जीवन बदल रहा है।
अक्तूबर 11, 2025 at 04:56
ADI Homes
अच्छा तो अब ये लैंप असली जगह पर जा रहे हैं? तो बढ़िया! मैंने तो सोचा ये सिर्फ फोटो के लिए थे।
अक्तूबर 11, 2025 at 22:44
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