डॉ. लक्षयराज सिंह मेवाड़ ने सौर लैंप से सूर्य का आकार बना कर नवां Guinness World Record स्थापित किया
Posted on सित॰ 26, 2025 by Devendra Pandey

29 जनवरी 2025 को उदयपुर के ऐतिहासिक सिटी पैलेस में एक चमकदार दृश्य देखे जाने को मिला – 2,203 सौर powered लैंपों को सूर्य के आकार में व्यवस्थित किया गया था। इस अद्भुत सजावट ने डॉ. लक्षयराज सिंह मेवाड़ को अपना नौवां Guinness World Record दिला दिया। भारत में पर्यावरण‑सचेत पहल को बढ़ावा देने और ऊर्जा‑सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए डिजाइन किया गया यह प्रयास, ‘सूर्य उजय अभियान’ का प्रमुख भाग रहा।
सूर्य उजय अभियान की रोशनी और उसकी महत्ता
‘सूर्य उजय अभियान’ का मूल उद्देश्य वंचित वर्ग को सौर लैंप प्रदान करके उनके घरों को बिजली बिल से मुक्त कराना और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को सामान्य बनाना है। इस मिशन के तहत लैंपों को सिर्फ प्रदर्शनी के रूप में नहीं, बल्कि वास्तविक वितरण के लिए भी तैयार किया गया। अभियान के आयोजकों ने बताया कि भविष्य में इन लैंपों को 5,000 से अधिक गरीब परिवारों तक पहुँचाया जाएगा, जिससे उनकी रातें उज्ज्वल होंगी और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम होगा।
सौर लैंप न केवल इलेक्ट्रिक ग्रिड पर निर्भरता घटाते हैं, बल्कि उर्जा‑संचयन की सुविधा भी प्रदान करते हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी स्थायी रोशनी मिलती है। अभियान के दौरान बनाए गए सूर्य के आकार में हिंदी में ‘सूर्य उदय’ शब्द भी लिखा गया, जो शक्ति, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक है।

डॉ. लक्षयराज सिंह की रिकॉर्ड यात्रा
डॉ. सिंह 1500 साल पुरानी मेवाड़ राजवंश के वंशज हैं और उन्होंने पिछले सात वर्षों में सामाजिक कारणों में नौ बार गिनीश वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़े हैं। उनके कुछ प्रमुख रिकॉर्ड इस प्रकार हैं:
- जनवरी 2022 में एक घंटे में 2,800 स्वेटर दान – सबसे बड़ा एक घंटे का स्वेटर दान।
- जनवरी 2021 में 12,508 व्यक्तिगत स्वास्थ्य उत्पादों का दान – एक घंटे में सबसे अधिक उत्पाद दान।
- जनवरी 2024 में 560 प्रतिभागियों के साथ सबसे बड़ी तनाव प्रबंधन कक्षा।
- सौर लैंप डिस्प्ले 2025 – सबसे बड़ी सौर‑लैंप स्क्रीन जिसमें सूर्य का आकार बनाया गया।
इन सभी प्रयासों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक जिम्मेदारी को प्रज्वलित करना और लोगों को स्वयंसेवी कार्यों की ओर आकर्षित करना रहा है। डॉ. सिंह ने बार‑बार कहा है कि उनका लक्ष्य केवल रिकॉर्ड बनाना नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाना है।
इन रिकॉर्ड्स को गिनीश वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा आधिकारिक मान्यता मिली है, जिससे न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन पहलों की सराहना हुई है। उनकी बातों में अक्सर यह जोर दिया जाता है कि चाहे कितनी भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त हो, अंततः सामाजिक सेवा ही असली जीत है।
साथ ही, डॉ. सिंह ने अपने राजसी विरासत को जीवित रखने के लिए सिटी पैलेस के संरक्षण, कला प्रदर्शनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सस्टेनेबल तरीके से आयोजित करने पर भी काम किया है। उनका मानना है कि परम्परा और नवाचार को जोड़कर ही समाज को आगे ले जाया जा सकता है।