डोनाल्ड ट्रम्प: पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को सजा, चार साल की सजा का सामना

1जून

Posted on जून 1, 2024 by मेघना सिंह

डोनाल्ड ट्रम्प: पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को सजा, चार साल की सजा का सामना

अमेरिकी इतिहास के अनोखे और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चरण में, डोनाल्ड ट्रम्प पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्हें आपराधिक सजा दी गई है। 30 मई, 2023 को न्यूयॉर्क की एक जूरी ने उन्हें व्यवसायिक दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने का दोषी ठहराया। यह फर्जीवाड़ा वह इसलिए कर रहे थे ताकि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक पॉर्न स्टार को चुप रहने के लिए भुगतान किए गए पैसे को छिपा सकें।

जूरी ने दो दिनों की विचार-विमर्श के बाद यह फैसला दिया। फैसला सुनाए जाने के वक्त ट्रम्प का चेहरा बिना किसी भाव के था, लेकिन अदालत छोड़ने के बाद उन्होंने बहुत गुस्से में बात की। उन्होंने कहा कि असली फैसला 5 नवंबर को होगा जब लोग यह तय करेंगे कि वास्तव में क्या हुआ। न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन ने 11 जुलाई की तारीख सजा सुनाने के लिए तय की है, जो रिपब्लिकन राष्ट्रीय सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले होगी।

संभावित सजा चार साल की जेल है, लेकिन इस तरह के मामलों में अक्सर कम सजा, जुर्माना, या प्रोबेशन दी जाती है। ट्रम्प की कानूनी टीम ने फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बनाई है, और उनके अभियान ने उन्हें 'राजनीतिक कैदी' घोषित करके इस सजा का विरोध करते हुए फंड रेजिंग शुरू कर दी है।

ट्रम्प का सामना इस सजा के अलावा तीन और गंभीर आरोपों से है, लेकिन हर बार उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है। उनका कहना है कि ये सभी कानूनी मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और उनका उद्देश्य केवल उन्हें नीचा दिखाना है।

जो बाइडेन के अभियान ने कानून को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया है, जबकि व्हाइट हाउस ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। ट्रम्प के रिपब्लिकन सहयोगियों ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है।

कानूनी विशेषज्ञों की मानें, तो हालांकि यह फैसला ट्रम्प की छवि पर गहरा असर डाल सकता है, लेकिन उनके पुनः चुनाव की संभावनाओं पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। अमेरिकी संविधान किसी भी उम्मीदवार को आपराधिक सजा के कारण चुनाव लड़ने से नहीं रोकता।

इस मामले का मुख्य मुद्दा यही है कि क्या ट्रम्प की परेशानी वास्तव में राजनीति से प्रेरित है या यह कानून की प्रभावी कार्रवाई है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह सब राजनीति का हिस्सा है, जबकि विपक्ष का मानना है कि कानून के ऊपर कोई नहीं हो सकता। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला और कैसे मोड़ लेता है और किस प्रकार के राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव डालता है।

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