ICC को खुला पत्र: हारीस रऊफ़ पर बैन क्यों नहीं?

27सितंबर

Posted on सित॰ 27, 2025 by Devendra Pandey

ICC को खुला पत्र: हारीस रऊफ़ पर बैन क्यों नहीं?

मैच के दौरान हुए विवादास्पद इशारे

21 सितंबर 2025 को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए एशिया कप के सुपर‑4 मैच में, पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारीस रऊफ़ ने भारतीय दर्शकों और खिलाड़ियों के प्रति कई ऐसे संकेत दिए जो खेल के शिष्टाचार से बरेतर थे। भारतीय झुंड जब ‘कोहली, कोहली’ का नारा लगा रहा था—जो 2022 T20 वर्ल्ड कप में विराट कोहली के रऊफ़ के खिलाफ छक्के की याद दिलाता है—तो रऊफ़ ने विमान‑ड्रॉप की नकल करने वाले हावभाव किए, जिससे कई लोगों ने इसे ‘युद्ध‑संदर्भ’ माना।

इसके अलावा, युवा भारतीय ओपनिंग जोड़ी शुबमन गिल और अभिषेक शर्मा के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया, पर दोनों ने अपना खेल दिखाकर प्रतिक्रिया दी। रऊफ़ के साथ-साथ टीम साथी साहिबजादा फरहान ने भी ‘बंदूक‑फायर’ जैसा इशारा किया, जिससे BCCI ने तुरंत ICC के पास औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।

ICC की कार्यवाही और संभावित दंड

ICC की कार्यवाही और संभावित दंड

26 सितंबर को हुए ICC सुनवाई में रऊफ़ ने स्वयं को निर्दोष घोषित किया, पर समीपवर्ती स्रोतों के अनुसार तीन मैच की सज़ा पर विचार किया जा रहा है, जिसमें 28 सितंबर के फाइनल से बाहर करना भी शामिल है। इसके साथ ही 21 सितंबर के मैच के वेतन को पूरी तरह रोका जाएगा।

ICC ने इस घटना को ‘बेशर्म और शर्मनाक’ करार दिया, यह स्पष्ट किया कि ‘युद्ध‑संदर्भ’ जैसे इशारों से क्रिकेट की अंतरराष्टीय प्रतिष्ठा धूमिल होती है। संगठित निकाय ने सभी टीमों को चेतावनी दी है कि वह किसी भी राजनीतिक या राष्ट्रीय‑धर्म‑संबंधी टिप्पणी से दूर रहे, क्योंकि ऐसी हरकतें न केवल दंडनीय हैं बल्कि क्षेत्रीय तनाव को भी बढ़ा सकती हैं।

क्रिकेट विश्लेषक का मानना है कि इस तरह के कठोर शब्दों के बाद भी यदि दंड पर्याप्त नहीं रहा तो भविष्य में समान घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर खेल का उद्देश्य एकता और सम्मान होना चाहिए, न कि राष्ट्रीय‑भू‑राजनीतिक दिखावा।

फाइनल की टकराव तैयारियों के बीच, यह मामला दर्शकों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर फैंस ने दोनों ओर से तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया, कुछ ने ICC की सख्त टिप्पणी की प्रशंसा की, तो कुछ ने कहा कि सज़ा पर्याप्त नहीं है। इस प्रकार, हारीस रऊफ़ और साहिबजादा फरहान के खिलाफ उठाए जाने वाले कदम, एशिया कप के फाइनल की रोमांचक पृष्ठभूमि में एक गंभीर प्रश्न को उठाते हैं—क्या क्रिकेट में राजनीति का दावा अब निरंतर रहेगा?

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