India-Pakistan क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता: एकतरफा झलक और एशिया कप का नया अध्याय
Posted on सित॰ 26, 2025 by Devendra Pandey

जब भी भारत‑पाकिस्तान की बात आती है, दिलों में उत्साह की एक लहर दौड़ जाती है। लेकिन पिछले कई वर्षों में यह उत्साह धीरे‑धीरे कमज़ोर पड़ता दिख रहा है। एशिया कप के फाइनल में दोनों पक्षों की टक्कर इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जहाँ भारत ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है और प्रतिद्वंद्विता का स्वर अब ‘एकतरफा’ की ओर झुक रहा है।
हालिया परिणाम और आँकड़े
एशिया कप 2023 में भारत ने पाकिस्तान को 228 रन से हराया, 356/2 का अपना सबसे बड़ा ODI स्कोर बनाते हुए। 2024 के T20 वर्ल्ड कप में सिर्फ 6 रन से जीत, और 2025 के ICC चैंपियंस ट्रॉफी में 6 विकेट से जीत जैसी जीतें भारतीय टीम की ओवरवैल्मिंग ताकत को दर्शाती हैं। इन जीतों के पीछे कुछ प्रमुख आँकड़े हैं:
- भारत की औसत स्कोर 300+ जबकि पाकिस्तान अक्सर 150-180 के आसपास रहे।
- बैटिंग में भारत का स्ट्राइक रेट 140+ के करीब, जबकि पाकिस्तान का 120 के नीचे रहा।
- बॉलिंग में भारत ने मैच के पहले 10 ओवर में ही 80+ रन पर दबदबा बनाया।
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि India-Pakistan क्रिकेट में अब संतुलन बिगड़ चुका है। भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने खुद ही कहा कि “अब कोई वास्तविक प्रतिद्वंद्विता नहीं बची” – यह बयान इस बदलाव का सबसे बड़ा संकेतक बन गया है।

राजनीतिक व प्रशासनिक असर
क्रिकेट अब सिर्फ खेल नहीं रहा, बल्कि दो देशों के बीच नीति, मंच और भावनाओं का मिश्रण बन गया है। पिछले दशक में भारत‑पाकिस्तान ने एक भी द्विपक्षीय सीरीज़ नहीं खेली, अब मिल कर केवल बड़े टूर्नामेंट में ही मुलाकात होती है। इससे दोनों टीमों के बीच व्यक्तिगत संबंध कमज़ोर पड़ गए, जैसे पोस्ट‑मैच हैंडशेक न करना और विरोधी इशारे दिखाना।
बोर्ड-स्तर पर भी झड़पें तेज़ हुई हैं। BCCI ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर झगड़ालू इशारों के लिए शिकायत दर्ज की, जबकि PCB ने भारतीय खिलाड़ियों के खिलाफ समान शिकायतें उठाई। इन प्रशासनिक लड़ाइयों ने मैचों को सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उनके बाहर भी विवाद की हवा बढ़ा दी।
फिर भी, कुछ लोग आशा नहीं खोते। पुरानी यादें, युवाओं का उत्साह, और दोनों देशों के दर्शकों की धड़कनें अभी भी इस प्रतिद्वंद्विता को जीवित रखती हैं। अगर पाकिस्तान अगले फाइनल में अपनी रणनीति बदल कर, निर्णायक बल्लेबाजी या तेज़ बॉलिंग पर जोर दे, तो शायद इस एकतरफ़े क्रम को तोड़ा जा सके। लेकिन मौजूदा रुझान और भारतीय टीम की निरंतर फॉर्म इस बात को कठिन बनाते हैं।
भविष्य में क्या बदलता है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों बोर्ड निरंतर संवाद स्थापित कर सकें और खेल को फिर से निष्पक्ष मंच बना सकें। तब ही भारत‑पाकिस्तान की प्रतिद्वंद्विता फिर से वही रोमांचक स्वर ले सकेगी, जो कभी विश्व क्रिकेट के शिखर पर थी।