महिला दिवस 2025: 'त्वरित कार्रवाई' के साथ भारत में स्त्री सशक्तिकरण के लिए बड़ी घोषणाएँ
Posted on नव॰ 21, 2025 by Devendra Pandey
8 मार्च, 2025 को दुनिया भर में मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक आयोजन की घोषणा की है। इस बार का विषय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा चुना गया है — 'त्वरित कार्रवाई' — जो स्त्रियों के लिए अवसरों को तेजी से बढ़ाने की एक वैश्विक अपील है। इसके साथ ही एक दूसरा विषय 'सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार। समानता। सशक्तिकरण।' भी चर्चा में है, जो युवा पीढ़ी को बदलाव का नेतृत्व करने के लिए तैयार करने पर जोर देता है।
भारत की बड़ी घोषणा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का शीर्ष भाषण
भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित इस विशेष कार्यक्रम का नाम है — 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: भारत पर एक निरीक्षण'। इसकी शुरुआत द्रौपदी मुर्मू, भारत की राष्ट्रपति, द्वारा एक प्रमुख भाषण से होगी। इसके बाद एक उच्च स्तरीय पैनल में अन्नपूर्णा देवी और अर्जुन राम मेघवाल जैसे केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे, जबकि विश्व बैंक की अध्यक्ष एन्ना बर्जडे भारत के लिए वैश्विक रणनीति पर अपना विश्लेषण प्रस्तुत करेंगी।
इस कार्यक्रम का एक विशेष फोकस वित्तीय समावेशन पर होगा — विशेषकर बैंक खाते, निवेश और डिजिटल साक्षरता के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने के तरीके। एक अलग पैनल में वैज्ञानिक, उद्यमी और स्वास्थ्य क्षेत्र की ऐसी महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने अपने क्षेत्र में लिंग असमानता को तोड़ा है। ये सभी बातें इस बात को साबित करती हैं कि भारत केवल निर्णय नहीं, बल्कि कार्रवाई के लिए तैयार है।
30 साल का बीजिंग दस्तावेज: भारत का रास्ता
2025 का महिला दिवस एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बीजिंग घोषणा और कार्य योजना के 30वें वर्षगांठ का भी समारोह है। यह 1995 में अपनाई गई वह दस्तावेज है, जिसने दुनिया भर में महिला अधिकारों के लिए एक नया मानक तय किया। भारत ने इस दस्तावेज को अपनाया, और आज तक इसके तहत कई योजनाएँ लागू हुईं।
जैसे — बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP), जिसे 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था। इसके तहत सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) के जरिए बच्ची के जन्म के साथ ही उसके नाम पर बैंक खाता खोला जाता है, जिससे उसके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में पहले बच्चे के लिए 5,000 रुपये की नकद राशि तीन किश्तों में दी जाती है। यह धन गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए है।
स्वावलंबन का नया रास्ता: मुद्रा योजना और किशोरी शक्ति
एक और बड़ी योजना है प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), जिसके तहत महिला उद्यमियों को बिना किसी जमानत के 20 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। 2024-25 के बजट में इस सीमा को बढ़ाया गया, जिससे छोटे व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।
किशोरियों के लिए किशोरी शक्ति योजना भी एक बड़ा कदम है। 11 से 18 साल की लड़कियों को न केवल पोषण और स्वास्थ्य सुविधाएँ दी जाती हैं, बल्कि उन्हें जीवन कौशल, आत्मविश्वास और सामाजिक अधिकारों के बारे में प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यह उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रहा है — न केवल एक गृहिणी बनने के लिए, बल्कि एक नेता, वैज्ञानिक या उद्यमी बनने के लिए।
इतिहास की धारा: कैसे बना मार्च 8 को महिला दिवस?
महिला दिवस की शुरुआत 1911 में हुई थी, जब संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में इसे 19 मार्च को मनाया गया। लेकिन 1917 में रूस में महिलाओं ने एक बड़ी धरने के साथ इसे अपना दिन बना लिया — उन्होंने युद्ध के खिलाफ आवाज उठाई और उस दिन जनता के सामने अपनी आवश्यकताओं को रखा। उस बार जब वे बर्फ से ढकी सड़कों पर चलीं, तो उन्होंने इतिहास बदल दिया। उसके बाद मार्च 8 को वैश्विक रूप से महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
1975 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे औपचारिक रूप से मान्यता दी, और 1977 में इसे अंतर्राष्ट्रीय शांति और महिला अधिकारों के लिए एक दिन घोषित किया। भारत में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने कहा था — 'मैं एक समुदाय की प्रगति को उसकी महिलाओं की प्रगति के आधार पर मापता हूँ।' आज भी यह विचार बरकरार है।
अभी भी कितनी चुनौतियाँ?
हालांकि योजनाएँ बन रही हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। आज भी भारत में महिलाओं की औसत आय पुरुषों की तुलना में 30% कम है। केवल 18% महिलाएँ वित्तीय संस्थानों तक पहुँच पाती हैं। STEM क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 25% से भी कम है। गाँवों में अभी भी बेटी के जन्म पर उत्सव नहीं, बल्कि दुःख की बात होती है।
इसलिए इस बार का महिला दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। यह देखने का समय है कि योजनाएँ बस कागज पर नहीं, बल्कि गाँव की हर गली तक कैसे पहुँच रही हैं। क्या बेटी के नाम पर खाता खुला है? क्या माँ को 5,000 रुपये मिले? क्या लड़की स्कूल जा रही है, या बारह साल की उम्र में शादी के लिए बाध्य हो रही है?
अगला कदम: युवा को शक्ति देना
संयुक्त राष्ट्र का एक स्पष्ट संदेश है — भविष्य की लड़कियाँ ही बदलाव की कुंजी हैं। इसलिए 2025 के आयोजन में युवा महिलाओं को विशेष रूप से शामिल किया गया है। स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थिनियों के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। वे अपने स्वयं के नारे बना रही हैं, अपने अधिकारों के लिए गाने लिख रही हैं।
यही तो असली बदलाव है — जब एक लड़की अपने घर में कहे, 'मैं डॉक्टर बनूंगी', और उसके पिता उसे रोकें नहीं। जब एक गाँव की लड़की अपने नाम पर बैंक खाता खोले, और उसके लिए जमीन का नाम दर्ज हो। जब एक महिला अपने व्यवसाय के लिए मुद्रा ऋण ले, और उसका नाम गाँव के दुकानदारों की सूची में आ जाए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
महिला दिवस 2025 का विषय क्या है?
2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र ने दो विषय चुने हैं — 'त्वरित कार्रवाई' और 'सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार। समानता। सशक्तिकरण।' ये विषय युवा पीढ़ी को नेतृत्व देने के लिए प्रेरित करते हैं और लैंगिक समानता के लिए त्वरित कार्रवाई की मांग करते हैं।
भारत में महिलाओं के लिए कौन-सी प्रमुख योजनाएँ हैं?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (₹5,000 नकद राशि), किशोरी शक्ति योजना (11-18 वर्षीय लड़कियों के लिए जीवन कौशल प्रशिक्षण), और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (₹20 लाख तक का कोलैटरल-मुक्त ऋण) प्रमुख योजनाएँ हैं। इन्हें बैंकिंग, स्वास्थ्य और उद्यमिता के क्षेत्र में सशक्तिकरण के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत में महिलाओं की आर्थिक सहभागिता कितनी है?
भारत में महिलाओं की लेबर बल में भागीदारी केवल 30% है, और औसत आय पुरुषों की तुलना में 30% कम है। केवल 18% महिलाएँ बैंकिंग सुविधाओं का उपयोग करती हैं। यह दर्शाता है कि योजनाएँ अभी भी व्यापक रूप से लागू नहीं हो पा रही हैं।
क्या महिला दिवस केवल उत्सव है या इसका वास्तविक प्रभाव है?
यह सिर्फ उत्सव नहीं है। जब एक गाँव की लड़की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत अपने नाम पर खाता खोलती है, तो वह अपने परिवार के विचारों को बदल देती है। जब एक महिला मुद्रा ऋण लेकर दुकान खोलती है, तो वह अपने गाँव में एक नए मॉडल की शुरुआत करती है। यही वास्तविक प्रभाव है।
बीजिंग घोषणा क्या है और भारत के लिए इसका क्या महत्व है?
बीजिंग घोषणा 1995 में अपनाई गई दुनिया की सबसे प्रगतिशील महिला अधिकार रणनीति है। भारत ने इसे अपनाकर लैंगिक समानता, शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में कानूनी और सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए। आज भी यह भारत की नीतियों का आधार है।
2025 के आयोजन में युवा महिलाओं की भूमिका क्या है?
संयुक्त राष्ट्र ने युवा महिलाओं को 'बदलाव के उत्प्रेरक' बताया है। 2025 के कार्यक्रम में स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को सीधे शामिल किया गया है — उन्हें अपने अधिकारों के बारे में बात करने, नारे बनाने और अपने भविष्य की योजना बनाने का मौका दिया गया है। यही भविष्य की ताकत है।