पंजाब बंद: किसान आंदोलन का असर, परिवहन और आवश्यक सेवाओं में रुकावट

30दिसंबर
पंजाब बंद: किसान आंदोलन का असर, परिवहन और आवश्यक सेवाओं में रुकावट

पंजाब में किसानों का बंद: एक व्यापक असर

पंजाब के किसानों ने 30 दिसंबर 2024 को राज्यभर में एक व्यापक बंद का आयोजन किया, जिससे परिवहन और विभिन्न आवश्यक सेवाओं में बड़ी रुकावट आई। यह बंद 7 बजे सुबह से लेकर शाम 4 बजे तक चला, जिसके दौरान लगभग 150 ट्रेन सेवाओं को रद्द किया गया, जिसमें प्रमुख ट्रेनें शताब्दी और वंदे भारत एक्सप्रेस भी शामिल थीं। यह बंद किसानों की लंबित मांगों के समर्थन में था, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि न करना, पुलिस मामलों की वापसी, और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय जैसी मांगे शामिल थीं।

बंद के दौरान राज्यभर में कई स्थानों पर किसानों ने सड़कों को अवरुद्ध किया, जैसे कि पटियाला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरने का आयोजन किया गया। इसी तरह अमृतसर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी यातायात ठप रहा। लुधियाना-जालंधर बाईपास और एयरपोर्ट रोड भी बंद के दौरान प्रभावित हुई।

संगठनों का सहयोग

इस बंद को व्यापक जन समर्थन मिला। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि यह बंद सफल रहा और इसे ट्रांसपोर्टर्स, कर्मचारी यूनियन, व्यापारी संघों और धार्मिक संगठनों का मजबूत समर्थन मिला। उन्होंने खासतौर पर जोर दिया कि आपातकालीन सेवाओं को बंद के दौरान काम करने की छूट दी गई थी। पंधेर ने युवाओं से शांति बनाए रखने और अधिकारियों के साथ किसी भी तरह के टकराव से बचने की भी अपील की।

इस बीच, 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दलेवाल का भूख हड़ताल भी 35वें दिन में प्रवेश कर गई है। दलेवाल ने चिकित्सा उपचार से इनकार कर रखा है जब तक कि सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती। पंजाब सरकार को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है कि वे दलेवाल को अस्पताल में भर्ती होने के लिए मनाएं।

आगे की राह

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की मांगों पर चर्चा करने के लिए 3 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बैठक निर्धारित की है। इस बीच, बंद के कारण कई क्षेत्रों में बाधाएं उत्पन्न हुईं, लेकिन इसे विभिन्न संगठनों, ट्रांसपोर्टर्स, और श्रमिक संघों से व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। इस बंद में किसानों की एकता और उनके आंदोलन की शक्ति का आभास हुआ।

टिप्पणि

Abhijit Padhye
Abhijit Padhye

ये बंद तो सिर्फ एक शो है, जिसमें सब कुछ दिखावा है। किसानों की मांगें समझने योग्य हैं, लेकिन राज्य की अर्थव्यवस्था को रोकना न्यायसंगत नहीं। ट्रेनें रद्द हो रही हैं, अस्पतालों तक दवाइयाँ नहीं पहुँच रहीं, और फिर भी लोग इसे 'संघर्ष' कह रहे हैं। अगर आपको न्याय चाहिए, तो डेमोक्रेसी के तरीके से लड़ो, सड़कें बंद करके नहीं।

जनवरी 1, 2025 at 11:32

VIKASH KUMAR
VIKASH KUMAR

बस रुको और सोचो... 😭💔 ये जगह अब एक अश्रु बहाने वाली जमीन बन गई है! 🌾😭 जगजीत सिंह दलेवाल जी जैसे वीरों को देखकर मेरा दिल टूट गया... वो भूख हड़ताल पर हैं और हम सब फोन चला रहे हैं! 🚨 ये बंद सिर्फ बंद नहीं, ये एक जागृति है! अगर तुम्हारे बाप की जमीन छीन ली जाए, तो तुम क्या करोगे? 🤔

जनवरी 1, 2025 at 17:49

UMESH ANAND
UMESH ANAND

सादर निवेदन है कि इस प्रकार के अवैध आंदोलनों के द्वारा जनहित को प्रभावित करना न्यायसंगत नहीं है। आंदोलन के उद्देश्य निस्संदेह वैध हो सकते हैं, लेकिन उन्हें विधिमान्य तरीकों द्वारा ही पूरा किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करना, ट्रेनों को रद्द करना और आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित करना, जनता के प्रति उत्तरदायित्व का उल्लंघन है। सरकार को निष्पक्ष रूप से इन मांगों का विश्लेषण करना चाहिए, लेकिन बंद का उपयोग सामाजिक अनुशासन के लिए अनुचित है।

जनवरी 1, 2025 at 18:54

Rohan singh
Rohan singh

बहुत अच्छा हुआ कि ये बंद हुआ। लोग अब जाग रहे हैं। ये सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं, ये हर उस आदमी का आंदोलन है जिसकी जमीन बेच दी जाती है, जिसका बच्चा खेत में काम करता है और उसे न्यूनतम मूल्य नहीं मिलता। मैंने अमृतसर में एक बूढ़े किसान को देखा - उसके हाथ में एक चावल का बोरा था, और आँखों में आँसू। वो बोला - 'मैं नहीं लड़ रहा, मैं बस जीने की मांग कर रहा हूँ।' ये बंद तो बस शुरुआत है। अगला कदम - सरकार के दरवाज़े पर चढ़ना।

जनवरी 3, 2025 at 13:54

Karan Chadda
Karan Chadda

ये सब बकवास है। देश का नाम बदल दो, अब ये 'किसान स्टेट' है। 🤦‍♀️

जनवरी 4, 2025 at 10:00

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