पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का 8 अगस्त 2024 को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे एक अनुभवी और प्रसिद्ध नेता थे, जिन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके निधन ने राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीतिक बिरादरी को स्तब्ध कर दिया है।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत और प्रगति
भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर बहुत ही प्रेरणादायक और संघर्षशील रहा है। वे साल 2000 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने और 2011 तक इस पद पर बने रहे। इस महत्वपूर्ण अवधि में उन्होंने राज्य में कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं को कार्यान्वित किया। वे न सिर्फ एक समाजवादी नेता थे बल्किइ एक प्रतिभासंपन्न साहित्यकार भी थे, जिन्होंने व्लादिमीर मायाकोवस्की और गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ जैसे महान रचनाकारों के कार्यों का अनुवाद किया था।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
उनके मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान, कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई। वे 2006 के नंदिग्राम और सिंगुर आंदोलन के लिए विशेष रूप से याद किए जाएंगे। इन आंदोलनों ने उनकी सरकार के औद्योगिकीकरण नीति पर गहरा प्रभाव डाला। उनके शासनकाल के अंत में, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया।
संघर्ष और विवादित मुद्दे
बुद्धदेव भट्टाचार्य का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। नंदिग्राम और सिंगुर में किसानों की जमीन अधिग्रहण और उससे उत्पन्न विरोध प्रदर्शन उनकी सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद, उन्होंने इस मुद्दे को संभालने का प्रयास किया, लेकिन अंततः इसे उनके लिए राजनीतिक तोर पर नुकसानदायक माना गया।
स्वास्थ्य के मुद्दे
उनका स्वास्थ्य कई वर्षों से खराब चल रहा था। दिसंबर 2020 में वे गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में अस्पताल में भर्ती किए गए थे। लंबे समय से बीमार होने के बावजूद, वे पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा में कमी नहीं आने दी। उनके अंतिम समय में, उनकी पत्नी और बेटी उनके पास थे।
साहित्यिक योगदान
उनका साहित्य के प्रति लगाव भी उल्लेखनीय था। वे न केवल एक राजनीतिज्ञ, बल्कि एक साहित्यकार भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों का अनुवाद किया और अपनी साहित्यिक रुचियों के कारण वे साहित्यिक जगत में भी प्रसिद्ध थे।
समाज और राजनीति में योगदान
बुद्धदेव भट्टाचार्य का समाज और राजनीति में बड़ा योगदान था। वे एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने अपने विचारों और कार्यों से सदैव लोगों को प्रभावित किया। उनकी विचारधारा ने न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश की राजनीति को दिशा दी।
पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर शोक
उनके निधन के बाद सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक जगत में शोक की लहर है। कई प्रमुख नेताओं और साहित्यकारों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
अंतिम संस्कार
उनका अंतिम संस्कार कोलकाता में विधिपूर्वक सम्पन्न किया गया। इस दौरान बड़े संख्या में उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे।
बुद्धदेव भट्टाचार्य की विरासत सदैव जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा लेंगी। उनकी जीवन यात्रा न केवल एक राजनेता के रूप में बल्कि एक साहित्यकार के रूप में भी याद की जाएगी। उनके संघर्ष और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
टिप्पणि
Ira Burjak
बुद्धदेव भट्टाचार्य जी का अनुवाद कार्य तो बस जबरदस्त था। मायाकोवस्की के कविताओं का बांग्ला में अनुवाद पढ़कर मेरी आत्मा ने एक नया स्वर पाया। राजनीति के साथ-साथ साहित्य को इतना प्यार देना कम ही किसी को मिलता है।
शायद आज के राजनेता तो ट्विटर पर लिख रहे हों, वो तो कविता नहीं, मीम बना रहे हैं।
अगस्त 9, 2024 at 12:39
Shardul Tiurwadkar
सिंगुर और नंदिग्राम के बारे में बात करने से पहले ये समझ लो कि उनकी नीति का मकसद बंगाल को औद्योगिक बनाना था। लेकिन लोगों को डर लगा कि उनकी जमीन चली जाएगी।
अब देखो बाकी राज्य क्या कर रहे हैं? निवेश आ रहा है, लेकिन जनता की आवाज़ कहाँ है? बुद्धदेव ने जो किया, वो गलत नहीं था... बस उसका तरीका अच्छा नहीं था।
अगस्त 10, 2024 at 13:15
Abhijit Padhye
अरे भाई, ये सब तो बस एक बात का चक्कर है - जो जमीन ले ली वो फैक्ट्री बन गई, और जमीन वाले लोग बेकार हो गए। लेकिन जिसने भी फैसला लिया, उसका दिमाग तो अंग्रेज़ों के समय का ही रह गया।
क्या तुम्हें लगता है कि अगर आज तुम एक बंगाली किसान होते तो तुम फैक्ट्री के लिए जमीन देते? नहीं न? तो फिर बुद्धदेव को क्यों याद कर रहे हो? वो तो एक नेता थे, न कि जादूगर।
अगस्त 12, 2024 at 11:30
VIKASH KUMAR
मैंने उन्हें एक बार टीवी पर देखा था... बिल्कुल एक शानदार शख्स थे! बोलते वक्त आँखें चमक रही थीं, जैसे वो अपने अनुवाद की हर लाइन को जी रहे हों।
और फिर जब उन्हें सत्ता से उतार दिया गया... अरे भाई, वो तो बस एक गाना बन गया - जिसे लोग गाते हैं लेकिन अब भूल गए कि वो क्या था।
मैं रोया था उस दिन 😭😭😭
अगस्त 12, 2024 at 21:58
UMESH ANAND
श्रद्धांजलि के लिए अपील करने के बजाय, यह आवश्यक है कि हम उनके जीवन के व्यावहारिक आयामों का विश्लेषण करें। जमीन अधिग्रहण के विवादों ने नागरिक अधिकारों के सिद्धांतों को बाधित किया, जिसके लिए उनकी सरकार के द्वारा जवाबदेही नहीं रखी गई।
अगस्त 14, 2024 at 01:21
Rohan singh
उनकी आत्मा अब शांत होगी। जिसने अनुवाद किया, जिसने संघर्ष किया, जिसने बिना चिल्लाए लोगों के लिए लड़ा... वो कभी नहीं भूला जाएगा।
हमें बस ये याद रखना है कि अच्छा नेता वो होता है जो लोगों के साथ खड़ा होता है, भले ही उसकी नीतियाँ विवादित हों।
अगस्त 14, 2024 at 05:04
Karan Chadda
कम्युनिस्ट नेता का निधन? अरे भाई, ये तो बस एक दिन की खबर है। अब तो सब बीजेपी के बारे में बात कर रहे हैं। इतना शोक क्यों? जब वो सत्ता में थे तो किसानों को तोड़ डाला था।
अब बस निशान बना रहे हो और चिट्ठी लिख रहे हो।
अगस्त 14, 2024 at 06:24
Shivani Sinha
बुद्धदेव भट्टाचार्य जी ने जो किया वो बहुत बड़ा था पर लोगों को बात समझ नहीं आई। जमीन लेने के लिए बोले तो लोग भागे, अब जब फैक्ट्री चल रही है तो कोई नहीं बोल रहा।
अब तो वो लोग जो आज उनकी तारीफ कर रहे हैं, वो तो तब शायद उनके खिलाफ थे 😅
अगस्त 15, 2024 at 09:28
Tarun Gurung
मैंने उनके अनुवाद की किताबें पढ़ी हैं - वाकई जादू था। एक राजनेता जो व्लादिमीर मायाकोवस्की की कविता को बांग्ला में लाया... ये तो बस एक जीवन है जिसे तुम भूल नहीं सकते।
कल एक दोस्त ने बताया कि उनके घर के बाहर एक छोटा सा फूलों का स्मारक लगा है। बिना किसी आयोजन के, बस लोग जा रहे हैं।
ये तो सच्ची श्रद्धा है।
अगस्त 16, 2024 at 21:23
Rutuja Ghule
क्या आप जानते हैं कि इस तरह के नेताओं के लिए लोगों की भावनाओं को नज़रअंदाज़ करना एक अपराध है? उन्होंने निर्णय लिए जो वैज्ञानिक थे, लेकिन मानवीय नहीं।
उनके अनुवाद की बात करना बेकार है - अगर आप जमीन छीन रहे हैं, तो आपकी कविता बस एक झूठ का आवरण है।
अगस्त 16, 2024 at 22:03
vamsi Pandala
सिंगुर का जो जमीन लिया गया, वो अब खाली पड़ा है। बुद्धदेव का सपना तो धूल में मिल गया।
अब तो बाबा बन गए, लेकिन जो बात बनी नहीं, वो तो जाने दो।
अगस्त 17, 2024 at 18:46
nasser moafi
बंगाल का एक ऐसा नेता जो रूसी कविता पढ़ता था और फैक्ट्री लगाना चाहता था... ये तो बस एक अनोखा मिश्रण है।
अगर आज कोई ऐसा नेता होता, तो लोग उसे इंस्टाग्राम पर ट्रेंड करवा देते 😎🔥
अगस्त 18, 2024 at 06:10
Ira Burjak
बुद्धदेव जी के बारे में बात करने से पहले एक बात साफ कर देती हूँ - जो लोग आज उनकी तारीफ कर रहे हैं, वो उनके ज़माने में बिल्कुल नहीं थे।
लेकिन अब जब वो नहीं हैं, तो हम सब उन्हें एक नेक आत्मा बना देते हैं। शायद यही इंसानियत है।
अगस्त 19, 2024 at 07:29
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