यूपी में 12 हजार में सोलर? दावा हेडलाइन में अच्छा, जमीन पर नहीं
सोशल मीडिया पर यह दावा तेज़ी से घूम रहा है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 12 हजार रुपये में सोलर रूफटॉप लग रहा है। सच यह है कि ऐसी कोई आधिकारिक स्कीम नहीं है जो इतने कम में पूरा सिस्टम लगवा दे। बाजार के ताज़ा रेट बताते हैं कि 1kW सिस्टम की कीमत आम तौर पर ₹75,000-85,000 के बीच पड़ती है। 10kW सिस्टम के लिए यह लागत ₹5.5-6.5 लाख तक जाती है। यह रेंज यूपी में डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी, रूफटॉप की बनावट, ब्रांड और साइट की जटिलता के हिसाब से ऊपर-नीचे हो सकती है।
तो 12 हजार की बात आई कहाँ से? अंदाजा यही है कि कुछ लोग सब्सिडी और नेट-मीटरिंग के कॉन्सेप्ट को मिला-जुला कर प्रस्तुत कर रहे हैं या इंस्टॉलेशन की आंशिक लागत बता रहे हैं। असलियत यह है कि पीएम सूर्य घर (मुफ्त बिजली) योजना के तहत अधिकतम ₹78,000 तक की केंद्रीय सब्सिडी मिलती है। यानी कीमत घटती है, खत्म नहीं होती। पैनल, इन्वर्टर, माउंटिंग स्ट्रक्चर, केबल-प्रोटेक्शन, इंस्टॉलेशन, और नेट-मीटर की लागत मिलाकर 12 हजार में पूरा सिस्टम संभव नहीं है।
कंपोनेंट्स का साधारण ब्रेक-अप समझें तो कुल लागत का बड़ा हिस्सा सोलर पैनल और इन्वर्टर पर जाता है। इसके बाद माउंटिंग स्ट्रक्चर, केबलिंग, earthing, सुरक्षा उपकरण (DC/AC DB, SPD, MCB/MCCB), इंस्टॉलेशन और इंजीनियरिंग लागत आती है। छत की कंडीशन, छाया, और केबल रन जितना मुश्किल होगा, खर्च उतना बढ़ेगा।
असली लागत, सब्सिडी का गणित, प्रक्रिया और आपकी बचत
यूपी में सामान्य बाजार रेंज इस तरह दिखती है:
- 1kW: करीब ₹75,000-85,000
- 2kW: करीब ₹1.3-1.6 लाख
- 3kW: करीब ₹1.8-2.2 लाख
- 5kW: करीब ₹3-3.8 लाख
- 10kW: करीब ₹5.5-6.5 लाख
केंद्रीय सब्सिडी (PM Surya Ghar) का सरल नियम: अधिकतम ₹78,000 तक। इसका मतलब—3kW तक सबसे ज्यादा राहत मिलती है, उसके बाद प्रति kW पर सब्सिडी घटती है और कुल कैप ₹78,000 तक सीमित रहती है।
एक व्यावहारिक उदाहरण: 3kW सिस्टम की क्वोटेड कीमत मान लें ₹1.9 लाख। सब्सिडी ₹78,000 घटने के बाद आपकी नेट लागत लगभग ₹1.12 लाख रह जाती है। इसके अलावा साइट के हिसाब से नेट-मीटरिंग चार्ज, अतिरिक्त earthing या केबलिंग जैसे खर्च 5-15 हजार तक जोड़ सकते हैं। यानी टोटल आउटगो लगभग ₹1.2-1.3 लाख।
बचत कैसे बनती है? 1kW सिस्टम औसतन 120-150 यूनिट/माह पैदा करता है (मौसम और छाया पर निर्भर)। 3kW इसी अनुपात से 360-450 यूनिट/माह दे सकता है। यदि घरेलू टैरिफ औसतन ₹6-8/यूनिट है, तो 3kW से आपकी मासिक बचत लगभग ₹2,000-3,500 तक बैठ सकती है। पेबैक आमतौर पर 3-5 साल के बीच रहता है—यह आपके उपभोग पैटर्न, नेट-मीटरिंग क्रेडिट और टैरिफ स्लैब पर निर्भर करता है।
योजना का “मुफ्त 300 यूनिट” वाला वादा कैसे काम करता है? सरकार का लक्ष्य है कि घरों में सोलर लगने से परिवार अपनी जरूरत के 300 यूनिट तक खुद पैदा करें या बिल में उतनी राहत पाएं। यह सीधी बिल माफी नहीं, बल्कि आपके रूफटॉप जनरेशन और सब्सिडी के मेल से मिलने वाला फायदा है।
प्रक्रिया का सरल रोडमैप:
- रजिस्ट्रेशन: राष्ट्रीय पोर्टल/डिस्कॉम पोर्टल पर आवेदन। हालिया गाइडलाइन के मुताबिक आवेदन, साइट विजिट और अप्रूवल ऑनलाइन ट्रैक होते हैं।
- वेंडर चयन: केवल empanelled वेंडर/एलएफसी से सिस्टम चुनें। ब्रांड, वॉरंटी (पैनल पर 25 साल तक का परफॉर्मेंस वॉरंटी, इन्वर्टर पर आमतौर पर 5-10 साल), और सर्विस नेटवर्क जांचें।
- टेक्निकल अप्रूवल: डिस्कॉम की साइट इंस्पेक्शन और टेक्निकल क्लियरेंस।
- इंस्टॉलेशन और कमीशनिंग: स्ट्रक्चर-इंस्टॉलेशन, earthing, सुरक्षा उपकरण, और इन्वर्टर इंटीग्रेशन के बाद टेस्टिंग।
- नेट-मीटरिंग: डिस्कॉम से बिडायरेक्शनल मीटर की इंस्टॉलेशन। यह चरण 2-8 हफ्ते ले सकता है, डिस्कॉम पर निर्भर।
- सब्सिडी क्रेडिट: सिस्टम कमीशन होने और दस्तावेज़ों के सत्यापन के बाद सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में आती है।
किस बात पर खास ध्यान दें?
- कोटेशन पारदर्शी हो: “after subsidy” कीमत लिखी हो तो ग्रॉस कीमत और नेट कीमत अलग-अलग स्पष्ट हों। छुपे हुए चार्ज (नेट-मीटर फीस, सिविल वर्क, अतिरिक्त केबल) लिखित में लें।
- प्रोडक्ट सर्टिफिकेशन: पैनल और इन्वर्टर MNRE/ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स मानकों पर खरे हों।
- छाया एनालिसिस: आसपास के पेड़/डिश/पैरापेट से शेडिंग न हो। थोड़ा शेड भी आउटपुट गिरा देता है।
- वॉरंटी और AMC: परफॉर्मेंस गारंटी, सर्विस कॉल-टाइम, स्पेयर पार्ट उपलब्धता लिखित में लें।
- भुगतान की सेफ्टी: इंस्टॉलेशन और कमीशनिंग के माइलस्टोन के अनुसार चरणबद्ध भुगतान करें, पूरा पैसा अग्रिम न दें।
फाइनेंसिंग के विकल्प भी मिल रहे हैं—कई बैंक/एनबीएफसी सोलर लोन ऑफर करते हैं। EMI लेने से पहले कुल ब्याज, प्रोसेसिंग फीस, प्री-पेमेंट शर्तें और सब्सिडी के समय का कैश-फ्लो समझ लें, ताकि आपकी जेब पर अनावश्यक दबाव न पड़े।
यूपी के बड़े शहर—लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा—में पिछले एक साल में इंस्टॉलेशन्स बढ़े हैं, खासकर 2-5kW सेगमेंट में। जहां छत साफ और खुली मिलती है, वहां 3kW सिस्टम परिवार के औसत घरेलू लोड (फ्रिज, पंखे, टीवी, वॉशिंग मशीन, कभी-कभार एसी) को काफी हद तक कवर कर देता है। दिन में ज्यादा खपत शिफ्ट कर पाएंगे तो नेट-मीटर क्रेडिट पर निर्भरता घटेगी और पेबैक तेज होगा।
अगर आपके पास 12 हजार वाली पोस्ट आई है, तो उसे एक चेतावनी संकेत मानें। सही फैसले के लिए अपने बिजली बिल का वार्षिक डेटा निकालें, छत की उपलब्ध जगह नापें (लगभग 1kW के लिए 80-100 वर्ग फुट), 2-3 empanelled वेंडरों से साइट विजिट और लिखित क्वोट लें, और डिस्कॉम/राष्ट्रीय पोर्टल पर आवेदन की स्थिति खुद ट्रैक करें। यही रास्ता आपको वाकई सस्ती और भरोसेमंद हरित ऊर्जा तक ले जाएगा—अफवाह नहीं, सही जानकारी।
टिप्पणि
Ashwin Agrawal
इस पोस्ट को पढ़कर लगा जैसे किसी ने मुझे सच बता दिया। मैंने भी 3kW सिस्टम लगवाया था, और वो 12 हजार की बात सुनकर मैंने भी जल्दी में अप्लाई कर दिया था। फिर पता चला कि ये सब्सिडी के बाद की कीमत है, न कि टोटल। अब बिल लगभग 2500 रुपये कम हो गया है, और सब्सिडी भी मिल गई। बस धैर्य रखो, डिस्कॉम का जवाब आने में 6 हफ्ते लग जाते हैं।
सितंबर 17, 2025 at 09:37
Shubham Yerpude
यह सब एक राजनीतिक धोखा है। सरकार लोगों को यह बता रही है कि ऊर्जा स्वतंत्रता संभव है, लेकिन वास्तव में यह एक बड़ा व्यावसायिक जाल है जिसमें बड़े निवेशक और वेंडर फायदा उठा रहे हैं। आपकी छत पर पैनल लगाने के बाद भी आप बिजली कंपनी के लिए बिजली बेच रहे होते हैं, और वे उसे बाजार में दुगुना दाम लगाकर बेचते हैं। यह एक नया उपनिषद है, जिसे नाम दिया गया है 'हरित ऊर्जा'।
सितंबर 18, 2025 at 06:56
Hardeep Kaur
आपकी जानकारी बहुत उपयोगी है। मैं अभी अपनी छत की जांच कर रहा हूँ। एक सवाल है - अगर मेरी छत पर छाया आ रही है तो क्या बाहर लगाने का विकल्प है? क्या कोई ग्राउंड-माउंटेड सिस्टम भी सुझाते हैं? मैं बहुत डर रहा हूँ कि अगर मैंने गलत चुना तो बहुत पैसा बर्बाद हो जाएगा।
सितंबर 19, 2025 at 16:43
Chirag Desai
12k में नहीं होता, लेकिन 1.2 लाख में हो जाता है। और वो भी 3 साल में वापस। बस अच्छा वेंडर चुनो। मैंने लखनऊ में लगवाया, 5kW, बिल 4000 से 800 तक आ गया। अब बस बरसात में भी बिजली है। 😎
सितंबर 21, 2025 at 09:40
Abhi Patil
यह सब बहुत बेसिक जानकारी है, लेकिन आपने जो विस्तार से बताया, उसमें एक गहराई है जो आम लोगों को नहीं मिलती। मैंने अपने गाँव में 10kW सिस्टम लगवाया है - और यह न केवल हमारे घर की बिजली को लाइव करता है, बल्कि गाँव के दो दुकानदारों को भी बिजली देता है। यह एक नया नागरिक अधिकार है। आपके जैसे लोगों के बिना, भारत का ऊर्जा संकट अभी तक अपरिहार्य रहता।
सितंबर 23, 2025 at 04:53
Devi Rahmawati
आपने जो प्रक्रिया बताई है, वह बहुत स्पष्ट है। मैं एक शिक्षिका हूँ और मेरे घर में बच्चों के लिए इंटरनेट और लैपटॉप का उपयोग होता है। मैं चाहती हूँ कि हम अपनी बिजली की लागत कम करें। क्या आप बता सकते हैं कि क्या 2kW सिस्टम हमारे लिए पर्याप्त होगा? मैंने अपने बिल का विश्लेषण किया है - महीने में लगभग 220 यूनिट खपत होती है।
सितंबर 23, 2025 at 15:59
Prerna Darda
सोलर एक तकनीकी विस्फोट नहीं, बल्कि एक नैतिक अवसर है। आप जो भी बता रहे हैं, वह एक नए नागरिक के जीवन के लिए एक नया आधार है। जब आप अपनी छत पर पैनल लगाते हैं, तो आप बस बिजली नहीं, बल्कि एक नए जीवन शैली का निर्माण कर रहे हैं। यह एक अर्थव्यवस्था का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। जो लोग 12 हजार की बात करते हैं, वे इस अर्थ को नहीं समझते। वे एक उत्पाद खरीदना चाहते हैं, जबकि आप एक जीवन देख रहे हैं।
सितंबर 24, 2025 at 18:48
rohit majji
bro 12k me nahi hota lekin 1.2L me hota hai aur 3 saal me paise wapas! maine bhi lagwaya hai 5kW, bill 5000 se 900 ho gya 😍🔥
सितंबर 24, 2025 at 21:29
Uday Teki
बहुत अच्छा लगा! 😊 मैंने भी 3kW लगवाया था और सब्सिडी मिल गई। अब बिल लगभग 1500 रुपये ही आता है। और बारिश में भी बिजली है! 🌞💧 अगर कोई भी शक हो तो बस डिस्कॉम पोर्टल पर जाएं - सब कुछ दिख जाता है।
सितंबर 25, 2025 at 21:49
Haizam Shah
ये सब बकवास है। 12 हजार की बात करने वाले लोग नहीं जानते कि इन्वर्टर कितना महंगा होता है। और जो लोग यहां सच बता रहे हैं, वे भी वेंडर्स के पैसे खा रहे हैं। मैंने एक छोटे वेंडर से लगवाया - कुल 1.1 लाख में हो गया। बिना किसी फीस के। अगर आप बड़े वेंडर के पास जाते हैं, तो आपको 1.8 लाख तक दे देंगे। इसलिए बात करने के बजाय, खुद जांचो।
सितंबर 27, 2025 at 10:40
Vipin Nair
सब्सिडी कैप 78k है ये सही है। लेकिन अगर आप 5kW लगाते हैं तो आपको 52k मिलता है। बाकी 26k आपको खुद देना पड़ता है। इसलिए 3kW सबसे बेस्ट है। मैंने 2023 में लगवाया था, अभी तक कोई सर्विस नहीं चाहिए। पैनल ठीक हैं। बस डिस्कॉम के नेट मीटर का इंतजार 45 दिन लग गया।
सितंबर 28, 2025 at 12:05
Ira Burjak
अच्छा लगा, लेकिन आपने एक बात छोड़ दी - अगर आपकी छत पर पानी जमा होता है? मैंने अपने घर में लगवाया था और बारिश में पानी जम गया, तो एक पैनल थोड़ा उखड़ गया। इसलिए माउंटिंग का डिजाइन बहुत जरूरी है। और हां, वेंडर को बोलें कि वो ड्रेनेज के लिए भी सोचे। धन्यवाद आपको, बहुत जानकारीपूर्ण है।
सितंबर 28, 2025 at 22:59
Shardul Tiurwadkar
अरे भाई, 12 हजार की बात सुनकर मैंने तो अपना निर्णय बदल दिया। अब जब मैं यह पढ़ रहा हूँ, तो लगता है जैसे किसी ने मुझे एक बड़ा धोखा देने की कोशिश की हो। लेकिन आपने इसे सच में बाहर निकाल दिया। अब मैं अपने घर के लिए 3kW के लिए अप्लाई कर रहा हूँ। आपके लिए एक बड़ा धन्यवाद।
सितंबर 29, 2025 at 16:07
Abhijit Padhye
आप सब गलत बात कर रहे हो। यह सब सिर्फ एक राजनीतिक लॉबी है। सोलर नहीं, बल्कि निवेशकों के लिए एक नया व्यापार है। आप जो बचत का दावा करते हो, वह आपके बिजली बिल के अनुसार है। अगर आपके घर में एसी नहीं है, तो आपको बचत नहीं, बल्कि एक नया बोझ मिल रहा है। और जो लोग सब्सिडी के बारे में बोल रहे हैं, वे नहीं जानते कि यह सब्सिडी किसी के खाते में जाती है, न कि आपके।
सितंबर 30, 2025 at 10:21
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