भारतीय महिला पहलवान – सफलता की कहानियाँ और अपडेट

लगभग हर साल नई महिला पहलवान अंतरराष्ट्रीय मंच पर छा रही हैं। ये लड़कियाँ सिर्फ मैच नहीं जीततीं, बल्कि हमारे समाज में बदलाव की मिसाल भी बनती हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कौन‑कौन सी पहलवानें हमारी ध्वज को ऊँचा करती हैं, तो नीचे पढ़िए।

मुख्य सितारे: भारत की महिला पहलवानें

वर्ल्ड चैंपियन मन्या सिंह, ओलिंपिक में ग्रैजुएट मेडल जीतने वाली साक्षी सर्वेकर, और गिंजर फाल्कोना जैसी नामों ने इतिहास रचा है। इनके अलावा, अन्ना सान्याली (वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप 2022), नेनु पावले (आसियान गेम्स में गोल्ड) और सुजना रुई (एशिया के प्रीमीयर इवेंट में सिंगल्स में जीत) भी चमक रहे हैं। इन सभी ने कठिन ट्रेनिंग, पोषण और मानसिक मजबूती से अपने लक्ष्य तक पहुँचाया।

ट्रेनिंग और सपोर्ट सिस्टम

भारत की महिला पहलवानें अब केवल स्टेडियम में नहीं, बल्कि गाँव‑गाँव में प्रशिक्षण ले रही हैं। सरदार सरोजिनी नाडू अकादमी, क्लम्बा, हरियाणा में उपलब्ध उन्नत सुविधाएँ उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाती हैं। कई बार, सरकार की योजनाओं जैसे ‘स्टेट फैशन फंड’ और ‘खेल निधि’ ने इन लड़कियों को बेहतर कोच, डाइट और मेडिकल सपोर्ट दिया है। यदि आप अपने बच्चे को पहलवानी में उतारना चाहते हैं, तो निकटवर्ती सपोर्ट क्लब या सरकारी अकादमी से संपर्क कर सकते हैं।

एक बात याद रखें – अच्छी कॉम्बैट स्ट्रैटेजी सिर्फ ताकत नहीं, बल्कि तकनीक और रिवर्स की समझ पर भी निर्भर करती है। इसलिए कई पहलवानें जिम के साथ‑साथ योग और मानसिक ट्रेनिंग भी करती हैं। इससे उनका स्टैमिना और फोकस दोनों बढ़ता है।

अगर आप इन पहलवानों के मैच देखना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट का टाइमटेबल अक्सर स्वर्ण समाचार पर अपडेट रहता है। यहाँ आप लाइव स्कोर, रेज़ल्ट और व्यक्तिगत इंटरव्यू भी पा सकते हैं।

आखिर में, अगर आप महिला पहलवानों की कहानी को शेयर करना चाहते हैं, तो सोशल मीडिया पर #IndianFemaleWrestlers या #MahilaPahlwan टैग इस्तेमाल कर सकते हैं। यह छोटी सी पहल उन्हें और बड़ी पहचान दिला सकती है।

तो अब जब भी आप टाइगर के जैसे आवाज़ वाले कोच को सुनें, याद रखें कि उनका अगला सितारा शायद आपके आस‑पास ही ट्रेनिंग कर रहा है।

6अग॰

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने जापान की मौजूदा गोल्ड मेडलिस्ट यूई सुसाकी को हराकर 50 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। सुसाकी अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में पहली बार हारी हैं। विनेश का यह सफर कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रतिक है, जिसमें उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया है।