भूस्खलन की पूरी जानकारी – कारण, नुक़सान और रोकथाम
When working with भूस्खलन, पानी, मिट्टी और चट्टानों का अचानक नीचे की ओर सरकना. Also known as लैंडस्लाइड, it एक प्राकृतिक आपदा है जो जीवन, संपत्ति और पर्यावरण को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती है.
भूविज्ञान की दृष्टि से देखे तो भूविज्ञान, धरती की संरचना, उसकी प्रक्रियाओं और परिवर्तन को पढ़ता है बताता है कि किस प्रकार की चट्टानें, झुकाव और जलनिकासी पैटर्न भूस्खलन की संभावना बढ़ाते हैं। वहीँ मौसम विज्ञान यह स्थापित करता है कि वर्षा, बारिश की मात्रा और उसकी तीव्रता सीधे मिट्टी की स्थिरता को प्रभावित करती है। जब भारी वर्षा मिट्टी के बीच की क्षमता से अधिक जलभरण कर देती है, तो वह भारी वजन लेकर नीचे की ओर फिसलना शुरू कर देती है – यही वह मुख्य कारण है जिसे वैज्ञानिक "वर्षा‑प्रेरित भूस्खलन" कहते हैं। इसके अलावा, मानवीय गतिविधियों जैसे बंजर भूमि पर बंजारों की कटाई, बड़बड़ निर्माण या पहाड़ियों पर अनुचित ढलान पर बुनियादी ढाँचा बनाना भी जोखिम को दोगुना कर देता है। इन सब कारणों का मिलाजुला प्रभाव ही भू‑सुरक्षा का चैलेंज बनता है, जहाँ प्रत्येक कारक घटक‑पर‑गुज़रता है।
भूस्खलन से बचाव के प्रमुख कदम
रोकथाम के लिए सबसे पहले जोखिम मूल्यांकन जरूरी है – यानी यह समझना कि कौन‑से क्षेत्र में किन‑किन शर्तों में भूस्खलन हो सकता है। इसके लिये भू‑विज्ञान, जल‑विज्ञान और सामाजिक‑आर्थिक आँकड़े मिलाकर एक समग्र मॉडल तैयार किया जाता है। इस मॉडल के आधार पर स्थानीय प्रशासन और योजना विभाग "भू‑सुरक्षा मानचित्र" बनाते हैं, जिसमें हाई‑रिस्क ज़ोन को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जाता है। तदनुसार, इन क्षेत्रों में अनावश्यक निर्माण पर पाबंदी, कड़ी नियामक नीति और पर्यावरण‑सुरक्षित विधि लागू की जाती है। आधुनिक तकनीक भी मददगार है – रिमोट‑सेंसिंग सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्वे और भू‑इंजिनियरिंग सेंसर लगातार जमीन की गति को मापते हैं। जब कोई असामान्य गति या जल‑संकलन देखा जाता है, तो जल्दी अलर्ट जारी करके प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाता है। सामुदायिक भागीदारी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए; स्थानीय लोग अक्सर शुरुआती संकेतों को पहले पहचान लेते हैं, इसलिए नियमित जागरूकता कार्यक्रम और आपातकालीन तैयारी प्रशिक्षण से जनता को तैयार रखना आवश्यक है। अंत में, अगर भूस्खलन हो ही जाता है, तो शीघ्र राहत कार्य, आवास पुनर्निर्माण और दीर्घकालिक पुनरुद्धार योजना नहीं छोड़ी जानी चाहिए। जल‑निकासी नहरों की साफ‑सफाई, ढलान स्थिरीकरण के लिए जड़‑भारी पेड़ लगाना और भविष्य में समान आपदाओं को रोकने के लिए नीतियों को सख्त करना इन उपायों का अहम हिस्सा है। नीचे आप देखेंगे कि हमने किन‑किन लेखों में इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझाया है, ताकि आप अपने क्षेत्र या काम में तुरंत लागू कर सकें।
दार्जिलिंग‑मिरिक में बारिश के भूस्खलन से 23 मौत, ममता बनर्जी करेंगे क्षेत्रीय दौरा
प्रकाशित किया गया अक्तू॰ 6, 2025 द्वारा Devendra Pandey
5 अक्टूबर को दार्जिलिंग‑मिरिक में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में 23 लोग मारे गए। ममता बनर्जी ने मुआवजा व दौरे की घोषणा की, बचाव कार्य एनडीआरएफ जारी।