मौसम: आज के अपडेट और कल की भविष्यवाणी

जब हम मौसम, वायुमंडल की वह स्थिति जो तापमान, वर्षा, हवा और दबाव जैसे तत्वों से बनती है, हवा‑स्थिति की बात करते हैं, तो दो साइड कंडीशन तुरंत मन में आती हैं: मौसम पूर्वानुमान, वैज्ञानिक मॉडलों और रियल‑टाइम डेटा के आधार पर भविष्य की स्थिति का अनुमान और जलवायु परिवर्तन, दीर्घकालिक तापमान‑वर्षा पैटर्न में स्थायी बदलाव। ये तीनों आपस में जूड़े हुए हैं: बदलता मौसम जलवायु परिवर्तन के संकेत देता है, जबकि विश्वसनीय मौसम पूर्वानुमान लोगों को तैयारी में मदद करता है।

मौसम के मुख्य घटक और उनका असर

हर दिन के तापमान, डिग्री में मापी गई गर्मी या ठंडक और वर्षा, बारिश, बूँदें या बर्फ़ के रूप में गिरने वाला जल सीधे हमारे पहनावे, यात्रा या फसल उत्पादन को तय करते हैं। उदाहरण के लिए, 2025 की गर्मी में दो‑हजार डिग्री फ़ैरेनहाइट से ऊपर जाने वाली लहरें कई शहरों में बिजली काटने का कारण बनीं। वहीँ अचानक हुई तेज़ बौछार ने उत्तर-पूर्वी भारत में अवमुक्त बाढ़ को जन्म दिया। इस तरह मौसम की छोटी‑छोटी चालें बड़े‑बड़े सामाजिक‑आर्थिक प्रभाव डालती हैं।

हवाओं का दिशा‑वेग भी अनदेखा नहीं रहता। हवा, वायुमंडलीय दाब के कारण उत्पन्न गति समुद्र तटों पर लहरों की ऊँचाई बढ़ा देती है और कृषि क्षेत्रों में धूल के जुगानी को तेज़ कर देती है। विशेषज्ञ कहते हैं, समुद्र की सतह पर लगातार 30 km/h से अधिक वायु गति होने पर समुद्री परिवहन में देरी और मछली पकड़ने के नेटवर्क में व्यवधान हो सकता है। इसलिए मौसम का हर भाग—तापमान, वर्षा, हवा—एक-दूसरे को प्रभावित करके समग्र स्थिति बनाते हैं।

इन सभी कारकों को समझने के लिए मौसम विज्ञान, वायुमंडल की प्रक्रियाओं को अध्ययन करने वाला विज्ञान आवश्यक है। मौसम विज्ञानियों ने रडार, उपग्रह इमेज और मशीन लर्निंग का उपयोग करके अब मिनट‑दर‑मिनट अपडेट दे पाए हैं। एक लोकप्रिय मोबाइल ऐप, जो मौसम डेटा को यूज़र‑फ्रेंडली ग्राफ़ में दिखाता है, उसी कारण से लाखों लोगों के हाथ में है। इस तरह तकनीक ने मौसम पूर्वानुमान को सिर्फ वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की योजना बनाते समय एक साथी बना दिया है।

जब हम बात करते हैं जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीनहाउस गैसों के कारण आने वाले दीर्घकालिक बदलाव की, तो यह सिर्फ विज्ञान की बात नहीं रहती, बल्कि नीति‑निर्माताओं, किसान, स्वास्थ्य पेशेवर और आम नागरिकों के काम का हिस्सा बन जाता है। भारत में 2030 तक धूप‑संकट के कारण फसल उत्पादन में 12 % गिरावट की संभावना है, जबकि बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में जल संसाधन प्रबंधन पर दबाव बढ़ता है। इसलिए मौसम को समझना अब सामाजिक स्थिरता से भी जुड़ा हुआ है।

इसी कारण से आवधिक मौसम रिपोर्ट, हफ़्तावार या दैनिक अपडेट जो तापमान, वर्षा, हवा और चेतावनी प्रदान करते हैं हमारे दैनिक जीवन में अहम हो गई हैं। इस टैग के नीचे आप पाते हैं ताज़ा रिपोर्ट जो बताती हैं कि आज दिल्ली में कितनी डिग्री रहने वाली है, मुंबई में कब बारिश शुरू होगी, और कोलकाता में बाढ़ चेतावनी कब जारी हो सकती है। इन रिपोर्टों को पढ़कर आप अपने काम‑काज, यात्रा या घर की सुरक्षा के लिए सही कदम उठा सकते हैं।

नीचे आप देखेंगे विभिन्न लेख जो मौसम से जुड़ी विस्तृत जानकारी को कवर करते हैं: ताज़ा अपडेट, सटीक पूर्वानुमान, जलवायु परिवर्तन के स्थानीय असर, स्वास्थ्य पर तापमान‑वर्षा का प्रभाव और मौसम‑आधारित आर्थिक निर्णय। चाहे आप किसान हों, यात्रा प्रेमी, या बस अपने दैनिक ताल‑मेल को बेहतर बनाना चाहते हों, इन लेखों में आपके लिये उपयोगी टिप्स और वास्तविक डेटा मौजूद है। तो चलिए, नीचे दी गई सूची में डुबकी लगाते हैं और मौसम की हर बारीकी को समझते हैं।

6अक्तू॰
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 5 अक्टूबर से पूर्वी‑केन्द्रीय भारत में भारी बारिश की चेतावनी दी
Devendra Pandey

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 5 अक्टूबर से पूर्वी‑केन्द्रीय भारत में भारी बारिश की चेतावनी दी, विशेषकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली‑एनसीआर में तापमान गिरावट व तेज़ हवाओं की संभावना।