पुनःप्रयोगी रॉकेट क्या हैं? आसान भाषा में जानें

जब आप पहली बार रॉकेट देखते हैं तो सोचना पड़ता है – उड़ेगा तो रहेगा, वापस आएगा तो क्या? दरअसल, पुनःप्रयोगी रॉकेट ऐसा ही एक विचार है जो रॉकेट को लैंड कर फिर से उपयोग में लाने की कोशिश करता है। इससे लागत कम होती है और अंतरिक्ष यात्रा तेज़ बनती है।

कैसे काम करता है पुनःप्रयोगी रॉकेट?

आमतौर पर रॉकेट के दो भाग होते हैं – पहला चरण (बॉडी) और दूसरा चरण (सैटेलाइट या पेलोड). पुनःप्रयोगी रॉकेट में पहला चरण को लैंडिंग योग्य बनाते हैं। लॉन्च के बाद, प्रॉपल्शन खत्म होते ही वही चरण थ्रस्ट उल्टा करके या पैराशूट से नीचे उतरता है। फिर वह फिर से जाँच कर अगली उड़ान के लिए तैयार हो जाता है। स्पेसएक्स का फाल्कन 9 इसका बेहतरीन उदाहरण है; हर बार यह लैंडिंग पर ठीक‑ठीक गिरता है।

फायदे और चुनौतियां

मुख्य फायदा यही है कि एक ही रॉकेट को कई बार इस्तेमाल करने से हर बार नई रॉकेट बनाने के खर्चे बचते हैं। इससे छोटे देशों या स्टार्ट‑अप्स के लिए अंतरिक्ष पहुंचना आसान हो जाता है। साथ ही, लॉन्च शेड्यूल में लचीलापन आता है क्योंकि रॉकेट तैयार रहने में कम समय लगता है। लेकिन चुनौतियां भी हैं – रॉकेट को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए उसे बहुत सटीक रूप से बनाना पड़ता है, बचाव तकनीक को मजबूत होना चाहिए, और लैंडिंग क्षेत्र साफ़ और सुरक्षित होना चाहिए। हर लैंडिंग पर रॉकेट को पूरी जाँच करनी पड़ती है, नहीं तो सुरक्षा जोखिम बढ़ जाता है।

भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुनःप्रयोगी रॉकेट 'आरएलवी' (री‑उसेबल लांच वैहिकल) की प्रोटोटाइप टेस्टिंग शुरू कर दी है। अगर यह सफल हो जाता है तो मंगा जैसे छोटे सैटेलाइट को भी कम लागत में लॉन्च किया जा सकेगा। इसरो की योजना में रॉकेट के पहले चरण को हवाई जहाज़ की तरह लैंड करना शामिल है, जिससे भविष्य में अंतरिक्ष मिशन जल्दी और सस्ता होगा।

कुल मिलाकर, पुनःप्रयोगी रॉकेट अंतरिक्ष की लागत को घटाकर इसे अधिक लोगों के पहुंच में लाने की कुंजी बन रहे हैं। चाहे वह स्पेसएक्स हो, ब्लू ओरिजिन, या इसरो का अपना प्रोजेक्ट, सभी का लक्ष्य है – एक बार उड़ाया, फिर लैंड किया, फिर से लॉन्च किया। इस तकनीक के साथ आगे आने वाले सालों में हम शायद चंद्रमा, मंग्ल ग्रह पर भी नियमित फेरे देखेंगे, वही पुराना रॉकेट बार‑बार इस्तेमाल करके। अगर आप अंतरिक्ष में रुचि रखते हैं, तो इस रिवॉल्यूशन को नजर में रखें – शायद अगले लॉंच में आपका फोन भी इस पुनःप्रयोगी रॉकेट से उड़ेगा!

14अक्तू॰

स्पेसएक्स ने अपने 'मेकाज़िला' रोबोट आर्म्स की मदद से मिड-एयर में सुपर हैवी बूस्टर को सफलतापूर्वक कैप्चर किया। यह सफलता पूरी तरह पुनःप्रयोगी और तुरंत लॉन्च योग्य रॉकेट्स के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अनुप्रयोग में, सुपर हैवी बूस्टर ने वापस उतरने और टेक्सस के तट पर लौटने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया।