राहुल द्रविड़: क्रिकेट का शांत सिंगर और कोचिंग का बेस्ट गुरु
क्या आपने कभी सोचा है कि "कीपर्स का भाई" क्यों कहलाते हैं? राहुल द्रविड़, जिनको अक्सर कॉकपिट सिंगर कहा जाता है, अपनी स्थिरता और धैर्य से हर दौर में टीम को संभालते रहे। उनका खेल एक शांतियों का सार है, जिससे वह बहुत सारे मैचों में ‘अटल’ बने रहे।
करियर की सबसे बड़ी हाइलाइट्स
द्रविड़ ने 1996 में टेस्ट डेब्यू किया और जल्दी ही अपनी जगह बना ली। 1999 में उनका 233* बनाकर भारत को आंशिक अंडरटर्न से बचाने का कब्रिज़ेदार इनिंग आज भी चर्चित है। कुल 164 टेस्ट मैचों में उन्होंने 13,288 रन बनाए, औसत 52.31 के साथ। इस आँकड़े को देखते ही पता चलता है कि वह कितना भरोसेमंद बॅटर थे।
वनडे में भी द्रविड़ का योगदान कम नहीं था। 200 टेस्टों में 6,218 रन, 2000 में 1992 की विश्व कप में टीम को राउंड को क्वालिफाई करने में मदद की। उनका सबसे तेज़ 50 केवल 21 गेंदों में आया, जो उन पलों में से एक है जब उन्होंने अपनी आक्रमणात्मक क्षमता दिखायी।
कप्तान के रूप में द्रविड़
2005 में द्रविड़ को भारत का टेस्ट कप्तान बनाया गया। उनकी काबिलियत सिर्फ बल्लेबाजी तक सीमित नहीं थी, बल्कि टीम को वैरायटी के साथ बनाये रखना भी था। उनके नेतृत्व में भारत ने 2007-08 में एशिया कप जीताया और कई महत्वपूर्ण टेस्ट मचें जीत कर अपने स्टैन्डिंग को मजबूत किया।
कप्तान के दौरान उनका सबसे बड़ा योगदान टीम की भावना को मजबूत करना था। वह अक्सर युवा खिलाड़ियों को सुनहरा अवसर देते और उनके तकनीकी सुधार में मदद करते।
कोचिंग और बाद की भूमिका
रिटायरमेंट के बाद द्रविड़ ने कोचिंग के क्षेत्र में कदम रखा। 2019 में, उन्होंने भारत के टेस्ट टीम के प्रमुख कोच के रूप में जुड़ाव किया। उनके कोचिंग में भारत ने 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया पर ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसने भारतीय टेस्ट टीम को फिर से विश्व स्तर पर ऊपर ले आया।
द्रविड़ की कोचिंग शैली सरल और स्पष्ट है। वह बारीकी से डेटा का उपयोग करके खिलाड़ियों के तकनीकी पहलू को सुधारते हैं, साथ ही मनोवैज्ञानिक समर्थन भी देते हैं। उनका मानना है कि "दो चीज़ें ही क्रिकेट को जीतने के लिये चाहिए – तकनीक और मनोबल"।
वह अब कई अंतरराष्ट्रीय टीमों के सलाहकार और युवा क्रिकेट अकादमी में भी जुड़े हुए हैं, जहाँ उनका अनुभव नई पीढ़ी को आकार देता है।
राहुल द्रविड़ के रोचक तथ्य
- उनका पेननेम "द्रविड़िश" भी है, जो उनके विशिष्ट बैटिंग स्टाइल को दर्शाता है।
- रहस्यपूर्ण अंडरटर्न में कभी भी उनका स्ट्राइक रेट 30 से कम नहीं रहता।
- वो अपनी पढ़ाई को भी बेहद महत्व देते और अक्सर "पढ़ाई और खेल" के बीच संतुलन बनाते।
- उन्हें 2004 में "रिचर्ड हर्न एंड्रयू पुरस्कार" मिला, जो उनके खेल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है।
राहुल द्रविड़ की कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि उनके आदर्शों, अनुशासन और टीम भावना की भी है। चाहे आप क्रिकेट के दीवाने हों या सिर्फ खेल की सराहना करने वाले, द्रविड़ की यात्रा आपको प्रेरित करेगी। तो अगली बार जब आप किसी मैच में स्थिर फॉर्म देखेंगे, तो याद रखिए – बहुत कुछ द्रविड़ की सीख से ही सम्भव है।
टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत का 'पिच' फायदा? राहुल द्रविड़ का बयान
प्रकाशित किया गया जून 29, 2024 द्वारा Devendra Pandey
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच राहुल द्रविड़ ने टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में अपनी टीम के पिच के फायदे पर कहा कि उनकी टीम विभिन्न सतहों के अनुकूल होने में सक्षम रही है। उन्होंने टीम की सफलता को उनके प्रदर्शन और अलग-अलग पिचों पर टीम की समायोजन क्षमता का श्रेय दिया। दक्षिण अफ्रीका की टीम भी कठिन और अच्छी खेल रही है। उम्मीद है कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी।