Virat Kohli का Player of the Match अवॉर्ड पर ऐतराज़ : टीम भावना या चयन प्रक्रिया पर सवाल?

21अप्रैल
Virat Kohli का Player of the Match अवॉर्ड पर ऐतराज़ : टीम भावना या चयन प्रक्रिया पर सवाल?

Virat Kohli का नया विवाद: अवॉर्ड पाकर क्यों खफा हो गए कोहली?

क्रिकेट मैदान पर Virat Kohli की हर चाल सुर्खियाँ बनती हैं – चाहें वो बल्लेबाज़ी में गुस्से का इज़हार हो या टीम के लिए बेमिसाल जज़्बा। इस बार फिर चर्चा में हैं कोहली, लेकिन वजह उनकी कोई धमाकेदार सेंचुरी नहीं बल्कि Player of the Match अवॉर्ड को लेकर उनकी असहमति है। मैच खत्म होते ही जब उन्हें अवॉर्ड दिया गया, तो कोहली ने चौंकाने वाला सवाल पूछ पुलिसाया: 'मुझे ही अवॉर्ड क्यों दे रहे हो?'।

यह कोई पहली बार नहीं है। 2023 वर्ल्ड कप में भी कोहली इसी तरह अवॉर्ड लेने के बजाय, अपने साथी रविंद्र जडेजा से माफी मांग चुके हैं कि ये अवॉर्ड उनका बनता था। IPL के किसी मैच में तो उन्होंने खुद Man of the Match ट्रॉफी गौतम गंभीर को देकर सबको चौंका दिया था। इन घटनाओं ने शायद कोहली की छवि को और साफ किया – वह निजी पहचान की बजाय टीम की सफलता को तरजीह देते हैं।

खिलाड़ियों की मेहनत, चयन पर बहस और कोहली का नजरिया

खिलाड़ियों की मेहनत, चयन पर बहस और कोहली का नजरिया

क्रिकेट में चयन प्रक्रिया हमेशा से विवादों का हिस्सा रही है। बहुत बार ऐसा हुआ है जब किसी खिलाड़ी का योगदान नज़रअंदाज़ हो गया और अवॉर्ड किसी और को चला गया। इस बार भी, कोहली की आपत्ति ने फिर से यही सवाल खड़ा किया – क्या वाकई मैच में किसी एक शख्स की भूमिका को आंका जा सकता है? उनके मुताबिक, कई बार ऐसा होता है कि किसी खिलाड़ी का योगदान उतना हाईलाइट नहीं होता, पर उसकी भूमिका जीत में बराबर अहम होती है।

खुद कोहली ने मैच के बाद साफ कहा कि अवॉर्ड उनके बजाय किसी और टीममेट को मिलना चाहिए था, हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वह किस खिलाड़ी की बात कर रहे थे। ऐसे में कयास लगना लाज़मी है कि शायद गेंदबाज़ों या किसी स्पेशल फील्डर पर उनकी नज़र थी। सोशल मीडिया पर फैंस कोहली की इस विनम्रता की तारीफ कर रहे हैं। कई एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि अवॉर्ड चयन में पारदर्शिता की कमी और पर्फॉर्मेंस की सही समीक्षा ना होना एक बड़ी समस्या है।

  • 2023 वर्ल्ड कप : कोहली की सेंचुरी के बावजूद, उन्होंने जडेजा के योगदान को अहम माना।
  • 2023 IPL : कोहली ने फिफ्टी मारने के बाद भी अवॉर्ड गंभीर को सौंप दिया।

अक्सर देखा गया है कि जब टीम जीतती है, तब हर खिलाड़ी का छोटा-बड़ा योगदान मायने रखता है। और कोहली शायद यही दिखाना चाहते हैं कि एक अवॉर्ड पूरे मुकाबले की मेहनत का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। ऐसे रवैये से उनके फॉलोअर्स को जरूर प्रेरणा मिलती है।

अब मुद्दा सिर्फ कोहली के एटीट्यूड या क्रिकेट अवार्ड की चर्चा का नहीं रहा, बल्कि ये सवाल भी बार-बार उठ रहा है कि क्या चयनकर्ता-समिति को अवॉर्ड्स के लिए नए और ज्यादा पारदर्शी मानदंड अपनाने चाहिए? कम से कम कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ी की दो टूक राय इस दिशा में माहौल तैयार कर रही है।

टिप्पणि

NEEL Saraf
NEEL Saraf

ये कोहली का रवैया तो सच में दिल को छू जाता है... अवॉर्ड लेने की बजाय टीम को याद करना, ये असली लीडरशिप है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक खिलाड़ी खुद को नीचे रख सकता है, लेकिन वो ऐसा करता है।

अप्रैल 22, 2025 at 10:28

Ashwin Agrawal
Ashwin Agrawal

इस तरह के फैसले बहुत कम होते हैं। आजकल हर कोई अपना नाम ट्रॉफी पर लिखवा रहा है, लेकिन कोहली ने दिखाया कि टीम का नाम सबसे बड़ा होता है।

अप्रैल 22, 2025 at 19:27

Shubham Yerpude
Shubham Yerpude

ये सब एक बड़ा नाटक है। आपको लगता है कि वो वाकई विनम्र हैं? नहीं। ये बस ध्यान खींचने का एक तरीका है। अगर वो सच में टीम के लिए जीते होते, तो अवॉर्ड लेने से पहले ही टीम को बता देते। ये सब एक बड़ी लॉजिकल फॉक्स एक्सप्लॉइट है।

अप्रैल 23, 2025 at 17:37

Hardeep Kaur
Hardeep Kaur

मैंने देखा है कि जब कोहली बोलते हैं, तो उनकी आवाज़ में एक असली शांति होती है। शायद उन्हें लगता है कि जो लोग बिना बोले घर जाते हैं, वो भी जीत के हिस्से हैं। उनका ये रवैया बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है।

अप्रैल 25, 2025 at 02:21

Chirag Desai
Chirag Desai

सच बताऊँ तो मुझे लगता है ये बिल्कुल सही है। अवॉर्ड तो बस एक ट्रॉफी है, टीम जीतती है तो सब जीतते हैं।

अप्रैल 26, 2025 at 02:27

Abhi Patil
Abhi Patil

इस विषय पर गहराई से सोचने के लिए, हमें पहले यह समझना होगा कि आधुनिक खेलों में व्यक्तिगत उपलब्धियाँ कैसे एक सामाजिक निर्माण के रूप में व्यक्त होती हैं, और इसके अलावा, अवॉर्ड चयन प्रक्रिया में व्यक्तिगत प्रभाव का स्तर कितना विकृत हो गया है, जिसके कारण एक ऐसा व्यक्ति जो सभी बातों में समर्पित है, उसे अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, और इसी तरह के तथ्यों को देखते हुए, कोहली की इस प्रतिक्रिया को हमें एक आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि के रूप में लेना चाहिए, न कि एक सामान्य खेल की घटना के रूप में।

अप्रैल 26, 2025 at 07:38

Devi Rahmawati
Devi Rahmawati

कोहली की इस बात ने मुझे याद दिला दिया कि असली नेतृत्व क्या होता है। टीम के लिए खेलना नहीं, टीम के लिए अपने अधिकार छोड़ना भी एक तरह का बहादुरी है।

अप्रैल 27, 2025 at 09:13

एक टिप्पणी लिखें