Virat Kohli का Player of the Match अवॉर्ड पर ऐतराज़ : टीम भावना या चयन प्रक्रिया पर सवाल?
Posted on अप्रैल 21, 2025 by मेघना सिंह

Virat Kohli का नया विवाद: अवॉर्ड पाकर क्यों खफा हो गए कोहली?
क्रिकेट मैदान पर Virat Kohli की हर चाल सुर्खियाँ बनती हैं – चाहें वो बल्लेबाज़ी में गुस्से का इज़हार हो या टीम के लिए बेमिसाल जज़्बा। इस बार फिर चर्चा में हैं कोहली, लेकिन वजह उनकी कोई धमाकेदार सेंचुरी नहीं बल्कि Player of the Match अवॉर्ड को लेकर उनकी असहमति है। मैच खत्म होते ही जब उन्हें अवॉर्ड दिया गया, तो कोहली ने चौंकाने वाला सवाल पूछ पुलिसाया: 'मुझे ही अवॉर्ड क्यों दे रहे हो?'।
यह कोई पहली बार नहीं है। 2023 वर्ल्ड कप में भी कोहली इसी तरह अवॉर्ड लेने के बजाय, अपने साथी रविंद्र जडेजा से माफी मांग चुके हैं कि ये अवॉर्ड उनका बनता था। IPL के किसी मैच में तो उन्होंने खुद Man of the Match ट्रॉफी गौतम गंभीर को देकर सबको चौंका दिया था। इन घटनाओं ने शायद कोहली की छवि को और साफ किया – वह निजी पहचान की बजाय टीम की सफलता को तरजीह देते हैं।

खिलाड़ियों की मेहनत, चयन पर बहस और कोहली का नजरिया
क्रिकेट में चयन प्रक्रिया हमेशा से विवादों का हिस्सा रही है। बहुत बार ऐसा हुआ है जब किसी खिलाड़ी का योगदान नज़रअंदाज़ हो गया और अवॉर्ड किसी और को चला गया। इस बार भी, कोहली की आपत्ति ने फिर से यही सवाल खड़ा किया – क्या वाकई मैच में किसी एक शख्स की भूमिका को आंका जा सकता है? उनके मुताबिक, कई बार ऐसा होता है कि किसी खिलाड़ी का योगदान उतना हाईलाइट नहीं होता, पर उसकी भूमिका जीत में बराबर अहम होती है।
खुद कोहली ने मैच के बाद साफ कहा कि अवॉर्ड उनके बजाय किसी और टीममेट को मिलना चाहिए था, हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वह किस खिलाड़ी की बात कर रहे थे। ऐसे में कयास लगना लाज़मी है कि शायद गेंदबाज़ों या किसी स्पेशल फील्डर पर उनकी नज़र थी। सोशल मीडिया पर फैंस कोहली की इस विनम्रता की तारीफ कर रहे हैं। कई एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि अवॉर्ड चयन में पारदर्शिता की कमी और पर्फॉर्मेंस की सही समीक्षा ना होना एक बड़ी समस्या है।
- 2023 वर्ल्ड कप : कोहली की सेंचुरी के बावजूद, उन्होंने जडेजा के योगदान को अहम माना।
- 2023 IPL : कोहली ने फिफ्टी मारने के बाद भी अवॉर्ड गंभीर को सौंप दिया।
अक्सर देखा गया है कि जब टीम जीतती है, तब हर खिलाड़ी का छोटा-बड़ा योगदान मायने रखता है। और कोहली शायद यही दिखाना चाहते हैं कि एक अवॉर्ड पूरे मुकाबले की मेहनत का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। ऐसे रवैये से उनके फॉलोअर्स को जरूर प्रेरणा मिलती है।
अब मुद्दा सिर्फ कोहली के एटीट्यूड या क्रिकेट अवार्ड की चर्चा का नहीं रहा, बल्कि ये सवाल भी बार-बार उठ रहा है कि क्या चयनकर्ता-समिति को अवॉर्ड्स के लिए नए और ज्यादा पारदर्शी मानदंड अपनाने चाहिए? कम से कम कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ी की दो टूक राय इस दिशा में माहौल तैयार कर रही है।