कोलकाता में डॉक्टर की दर्दनाक हत्या और बलात्कार का मामला
14 अगस्त, 2024 की रात को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे पश्चिम बंगाल को हिला कर रख दिया। इस घटना के खिलाफ, हजारों महिलाएँ विभिन्न क्षेत्रों से सड़कों पर उतरीं और ‘रात वापस लो’ अभियान के तहत जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन रात 11:55 बजे से शुरू हुए और स्वतंत्रता दिवस के दिन सुबह तक जारी रहे।
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत
प्रदर्शनकर्ताओं ने कोलकाता के प्रमुख स्थलों समेत छोटे-छोटे कस्बों और बड़े शहरों में अपनी आवाज़ बुलंद की। “हम न्याय चाहते हैं” के नारे बुलंद होते रहे और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने की मांग की गई। प्रदर्शन में किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे की अनुमति नहीं थी, लेकिन हाशियाकृत समुदायों जैसे LGBTQ+ समूहों के झंडे अनुमति दी गई थी।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हिंसा
हालांकि प्रदर्शन सामान्य रूप से शांतिपूर्ण था, लेकिन आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हिंसा भड़क उठी। कुछ बाहरी तत्वों ने अस्पताल के परिसर में तोड़फोड़ की और मीडिया कर्मियों पर हमला किया। इसके बाद नौ लोगों को हिरासत में लिया गया।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस हमले के पीछे राजनीतिक रूप से प्रेरित बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया और विरोध कर रहे डॉक्टरों से वापस काम पर लौटने की अपील की। बावजूद इसके, जूनियर डॉक्टर, मेडिकल छात्र और नर्सें लगातार अपने आंदोलन को जारी रखे हुए हैं और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की नई नियुक्त प्राचार्या सुहृता पाल ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि अस्पताल में सुरक्षा कड़ी की जाएगी। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से मुलाकात की और समर्थन और न्याय का आश्वासन दिया।
अधिकारियों पर गुस्सा और चिंता
यह विरोध प्रदर्शन महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारियों की कार्रवाई के खिलाफ व्यापक आक्रोश और निराशा को दर्शाता है। कई प्रतिभागियों ने अपने गहरे चिंता व्यक्त की और कहा कि सच्ची स्वतंत्रता तब तक नहीं हो सकती जब तक महिलाओं के लिए सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती।
डॉक्टर, बलात्कार, हिंसा, कोलकाता जैसे *keywords* ने इस घटना को राष्ट्रीय स्तर पर उभरता हुआ मुद्दा बना दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिलती और सुरक्षा उपायों को मजबूत नहीं किया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
टिप्पणि
Chirag Desai
ये बात सच है कि हम सब बस इंतजार कर रहे थे कि कोई आवाज उठाएगा।
अगस्त 16, 2024 at 11:43
Uday Teki
रात को जब तक सुरक्षा नहीं होगी, हम सच में कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं 😢
अगस्त 17, 2024 at 06:44
Hardeep Kaur
मैंने अस्पताल में काम किया है, और ये घटना सिर्फ एक डॉक्टर के लिए नहीं, बल्कि हर महिला के लिए एक झटका है। हमें अपने अधिकारों के लिए खड़े होना होगा, बिना डरे।
अगस्त 17, 2024 at 20:33
Ira Burjak
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहरी तत्व जिम्मेदार हैं... यानी हम जो आंदोलन कर रहे हैं, वो भी बाहरी तत्व हैं? 😒
अगस्त 18, 2024 at 05:01
Haizam Shah
अगर ये बात सिर्फ एक डॉक्टर के लिए है तो हम आज नहीं तो कल उस डॉक्टर की जगह खड़े हो जाएंगे। न्याय नहीं तो अगली बार बंगाल के हर अस्पताल का दरवाजा बंद कर देंगे।
अगस्त 20, 2024 at 03:28
Prerna Darda
ये सिर्फ एक बलात्कार और हत्या का मामला नहीं है, ये एक पुराने पुरुष-केंद्रित संरचना के अंतिम श्वास का दर्द है। हम जिस समाज में जन्मे हैं, वो एक ऐसा समाज है जहां महिलाओं की शरीर और आत्मा को सिर्फ एक अधिकार के रूप में नहीं, बल्कि एक विषय के रूप में देखा जाता है। न्याय की मांग करना अब एक नैतिक आवश्यकता है, न कि एक राजनीतिक गतिविधि।
अगस्त 20, 2024 at 04:28
Vipin Nair
सुरक्षा के लिए कानून हैं लेकिन लागू होते नहीं अस्पतालों में जहां डॉक्टर रात को अकेले घूमते हैं और कोई नहीं सुनता। जब तक हम इस अनुशासन के अंदर नहीं आएंगे, ये घटनाएं दोहराई जाएंगी
अगस्त 21, 2024 at 18:38
VIKASH KUMAR
मैं रो रहा हूं... ये देश का अंत है... मेरी बहन डॉक्टर है... अगर ये उसके साथ हो गया तो मैं खुद को खत्म कर दूंगा... 🥺💔
अगस्त 22, 2024 at 11:13
Shardul Tiurwadkar
अरे भाई, अस्पताल में अपनी नींद खराब करने वाले लोगों को जेल में डालो, बाकी सब चिंता न करो। बात तो बस इतनी है कि जो लोग शांति से आंदोलन कर रहे हैं, उनका सम्मान करो।
अगस्त 23, 2024 at 04:40
Abhi Patil
हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां एक बलात्कार की घटना को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की जाती है, लेकिन एक शिक्षक के द्वारा बच्चे के साथ हुए दस वर्षों के यौन शोषण की बात को अनदेखा किया जाता है। हमारी सामाजिक चेतना अभी भी बहुत चुनौतीपूर्ण है। यहां तक कि जब हम न्याय की मांग करते हैं, तो हम अपने आप को अधिकारियों के सामने एक अपील करने वाले बच्चे की तरह लगाते हैं, न कि एक नागरिक के रूप में। यह विकृति तब तक बनी रहेगी जब तक हम अपने आप को एक जनता के रूप में नहीं देखेंगे।
अगस्त 24, 2024 at 06:19
Devi Rahmawati
मैं इस आंदोलन के समर्थन में हूँ। न्याय एक अधिकार है, न कि एक दया। इस घटना के बाद, हमें अपने स्वयं के घरों में भी बातचीत शुरू करनी चाहिए - पुरुषों को बताना चाहिए कि शक्ति का अर्थ हिंसा नहीं, संरक्षण है।
अगस्त 26, 2024 at 05:49
Abhijit Padhye
अरे यार, अगर ये डॉक्टर ने रात को अकेले घूमना बंद कर दिया होता तो ये होता ही नहीं। अस्पताल में बाहरी लोगों को घुसने न देना चाहिए था। लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार होना चाहिए।
अगस्त 27, 2024 at 00:17
rohit majji
हम लोग जब तक अपने घरों में बच्चों को लड़कियों के साथ बराबरी के साथ बड़ा नहीं करेंगे, तब तक ये सब बस एक बार की बात होगी। जिंदगी बदलनी है तो घर से शुरू करो 🙏
अगस्त 27, 2024 at 20:53
UMESH ANAND
इस प्रकार की घटनाओं के विरुद्ध लोगों के विरोध का अर्थ है कि समाज के नैतिक आधार टूट रहे हैं। अधिकारियों को इस घटना के लिए उचित न्याय देना चाहिए, और नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक होना चाहिए।
अगस्त 29, 2024 at 07:59
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