आर्थिक सर्वेक्षण 2025 – क्या कहा गया?

आर्थिक सर्वेक्षण हर साल बजट से पहले सरकार की आर्थिक आकांक्षाओं को बताता है। 2025 का सर्वेक्षण भी कुछ नया नहीं, लेकिन इसमें कई ऐसी जानकारी है जो सीधे हमारे रोज़ाना के खर्चे से जुड़ी है। चलिए आसान शब्दों में समझते हैं कि इस रिपोर्ट में क्या खास है।

मुख्य आंकड़े और उभरते रुझान

सबसे पहले जीडीपी की बात करें। 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.7 % रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल से थोड़ा कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक मांग में गिरावट और ऊर्जा की कीमतों में उछाल आया है। महंगाई की दर 5.2 % बताई गई है – पहले से थोड़ा कम, पर अभी भी आम जनता के लिए बड़ी समस्या है।

फिस्कल डेफ़िसिट यानी बजट घाटा 4.5 % जीडीपी पर रहेगा, जो लक्ष्य से थोड़ा ऊँचा है। सरकार ने नकद खर्च को नियंत्रित करने की बात की है, लेकिन विकासशील परियोजनाओं को नहीं रोकना चाहती। विदेशी निवेश (एफडीआई) में 10 % की बढ़ोतरी की संभावना बताई गई, जिससे नई फैक्ट्री और तकनीकी स्टार्ट‑अप्स को फायदा होगा।

सेक्टर‑वार प्रदर्शन और नीतियों की राह

कृषि क्षेत्र ने 4 % की नरम वृद्धि दिखाई, लेकिन सिंचाई और कम पानी वाली खेती के लिए नई योजनाएँ घोषित की गईं। उद्योग में तेज़ी आई – विनिर्माण 7 % तक बढ़ने की उम्मीद है, खासकर इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन तकनीक में। सर्विसेज सेक्टर अभी भी सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, लेकिन रोजगार की गुणवत्ता पर सवाल बने रहेंगे।

सरकार ने कुछ प्रमुख नीति सुझाव पेश किए हैं: 1) रियल एस्टेट में पारदर्शिता बढ़ाना, 2) छोटे व्यापारियों के लिए आसान कर्ज, 3) डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, और 4) पर्यावरण‑अनुकूल ऊर्जा पर निवेश को बढ़ाना। ये कदम सिचुएशन को स्थिर रखने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हैं।

रोज़मर्रा के लोगों के लिए इसका क्या मतलब? अगर कीमतें थोड़ा स्थिर हों तो किराने की दुकान में खर्चा कम होगा, पर अगर आय की गति नहीं बढ़े तो परिवार के बजट पर दबाव रहेगा। नई स्कीम्स जैसे 'उज्ज्वला' के विस्तार या 'महा कर्मा' के जरिए कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन उनका असर देखना बाकी है।

समग्र रूप से आर्थिक सर्वेक्षण 2025 ने स्पष्ट संकेत दिया है – विकास की राह में कई मोड़ हैं, पर ठोस नीतियों से हम इन बाधाओं को पार कर सकते हैं। इस रिपोर्ट को पढ़ते समय यह याद रखें कि आँकड़े सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को प्रभावित करने वाले संकेत हैं। आगे भी ऐसे सर्वेक्षणों को देखें, ताकि अपने वित्तीय फैसले समझदारी से ले सकें।

1फ़र॰

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025 संसद में 31 जनवरी को प्रस्तुत किया गया, जिसमें भारत की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का विश्लेषण और आगामी वर्ष के लिए प्रमुख आर्थिक संकेतकों की अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है। सर्वेक्षण भारत की अर्थव्यवस्था के स्वस्थ गति पर बल देता है, और दीर्घकालिक औद्योगिक विकास के लिए सरकारी रणनीति पर जोर देता है। यह सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत के आर्थिक भविष्य की संभावनाओं की भविष्यवाणी करता है।