आयकर डेडलाइन – आखिरी तिथि से कैसे बचें जुर्माने की डर

जब आयकर डेडलाइन, वित्तीय वर्ष के अंत में निर्धारित वह अंतिम तारीख है, जिस तक टैक्सपेयर को अपना आयकर रिटर्न जमा करना अनिवार्य होता है. Also known as टैक्स डेडलाइन, it determines when penalties start लगना.

आइए देखें कि आयकर रिटर्न, विवरणी फॉर्म जिसमें आय, कटौतियां और कर गणना दिखाते हैं और आयकर छूट, वो घटक जो कर योग्य आय को कम कर देते हैं, जैसे धारा 80C, 80D आदि कैसे सीधे आयकर डेडलाइन से जुड़ी हुई हैं। यदि रिटर्न समय पर नहीं दाखिल किया, तो विभाग की आयकर विभाग, भारत में टैक्स संग्रह और अनुपालन का मुख्य प्राधिकारी जुर्माना लगाता है, और ब्याज भी बढ़ता है।

मुख्य डेडलाइन और उनका महत्व

2025‑26 वित्तीय वर्ष में सबसे महत्त्वपूर्ण तिथियां हैं: 31 जुलाई – व्यक्तिगत आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि, 30 सितंबर – यदि आयु सीमा 60 से अधिक है या आय कृषि‑बाहरी स्रोतों से है, 31 अक्टूबर – रिटर्न में संशोधन (विलंबित फाइलिंग) की सीमा, और 31 दिसंबर – टैक्स ऑडिट रिटर्न की जमा तिथि। इन डेट्स को याद रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि हर एक डेडलाइन अलग‑अलग दंड को ट्रिगर करती है। उदाहरण के तौर पर, 31 जुलाई के बाद जमा की गई रिटर्न पर ₹5,000 का फिक्स्ड लेट फाइलिंग निकास और 1% प्रतिमाह का ब्याज लगता है।

डेडलाइन चुनने का कारण सिर्फ कागजी काम नहीं है; यह आयकर स्लैब (कर दर) पर भी असर डालता है। अगर आप 30 % स्लैब में आते हैं और रिटर्न देर से फाइल होता है, तो अतिरिक्त पेमेन्ट बकाया कर पर 1% प्रतिमाह का ब्याज आपके कुल भुगतान को बढ़ा देता है। इसलिए, रिटर्न फाइल करने से पहले स्लैब की सही पहचान और छूटों का पूरा उपयोग करना चाहिए। इस चरण में कई लोग 80C के तहत निवेश किये हुए PPF, ELSS या जीवन बीमा की रसीदें भूल जाते हैं, जिससे अतिरिक्त टैक्स बचत का मौका खो जाता है।

कौन‑कौन सी छूटें लागू हो सकती हैं, यह समझना भी आयकर डेडलाइन को सहज बनाता है। अगर आप 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम देते हैं, तो वह 25,000 रुपये (सिनियर सिटिजन के लिए 50,000) तक घटाया जा सकता है। 80G के तहत दान पर भी छूट मिलती है, पर इसे रसीद के साथ रिटर्न में दिखाना ज़रूरी है। ये छूटें केवल रिटर्न में सही ढंग से दर्ज होने पर ही लाभ देती हैं, इसलिए आयकर डेडलाइन से पहले अपने दस्तावेज़ तैयार रखें।

डेडलाइन के करीब आते‑आते कई लोग ऑनलाइन पोर्टल पर फेस्टिवल‑जैसे लेन‑देन दिखाते हैं, लेकिन असली काम है सही गणना। आयकर विभाग की वेबसाइट पर ‘आयकर कैलकुलेटर’ का इस्तेमाल करके आप पहले से ही अनुमान लगा सकते हैं कि आपका टैक्स कितना बनता है। इस कैलकुलेटर में आय, कटौतियां, निवेश और छूटों को भरने पर तुरंत टैक्स रिटर्न का प्रीव्यू मिल जाता है। इससे आप समय पर फाइलिंग के लिए आवश्यक टोटल को अकलन कर सकते हैं और लेट फाइलिंग से बच सकते हैं।

यदि कभी डेडलाइन पास हो गई और तब भी रिटर्न नहीं फाइल किया, तो घबराएँ नहीं। आयकर विभाग के पास ‘विलंबित रिटर्न’ नामक सुविधा है, जहाँ आप दी गई तिथि के बाद भी फाइल कर सकते हैं, बस जुर्माना और ब्याज भरना पड़ेगा। इस प्रक्रिया में “अतिरिक्त देरी” (अतिरिक्त 3 महीने) के लिए अतिरिक्त ₹5,000 का दंड लग सकता है, पर यह अभी भी “नॉन‑फाइलिंग” की तुलना में सस्ता है। इसलिए, देर से भी फाइलिंग करना बेहतर है।

सार में, आयकर डेडलाइन समझना सिर्फ तारीख याद रखने की बात नहीं, बल्कि अपने टैक्स प्लान को व्यवस्थित करने, सभी छूटें लागू करने और विभाग की दंड नीतियों से बचने का एक रणनीतिक कदम है। नीचे आप देखेंगे विभिन्न लेख – आयकर रिटर्न फाइल करने के आसान चरण, छूटों का पूरा उपयोग, और डेडलाइन के बाद के विकल्प – जिससे आप बिना झंझट के अपने टैक्स को सटीक रूप से जमा कर सकेंगे। अब आगे स्क्रॉल करके देखें हमारे चयनित पोस्ट, जो आपके हर सवाल का जवाब देने में मदद करेंगे।

26सित॰

ITR फाइलिंग डेडलाइन 16 सितम्बर तक बढ़ी: आगे भी बढ़ेगा क्या?

प्रकाशित किया गया सित॰ 26, 2025 द्वारा Devendra Pandey

आयकर विभाग ने आय कर वर्ष 2025-26 की ITR फाइलिंग डेडलाइन 15 से 16 सितम्बर तक बढ़ा दी। तकनीकी गड़बड़ी, ऑडिट मामलों की संभावित आगे की बढ़ोतरी और देर से फाइल करने पर लागू दंडों पर विस्तृत चर्चा।