भारतीय अर्थव्यवस्था: क्या बदल रहा है?
आपने हाल ही में खबरों में कई बार ‘भारतीय अर्थव्यवस्था’ शब्द सुना होगा – कभी जीडीपी की तेज़ी, कभी महंगाई की धक्के, तो कभी विदेशियों को भारत में निवेश करने का नया प्रोत्साहन. तो आइए, एक नजर डालते हैं कि असल में आज हमारी आर्थिक तस्वीर कैसी है और सामने कौन‑कौन से बड़े मुद्दे हैं.
वर्तमान स्थिति और प्रमुख संकेतक
2024‑25 वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी लगभग 7‑8% की दर से बढ़ रही है. यह नंबर हमारे पड़ोसी देशों से बेहतर है, पर फिर भी रोज़मर्रा की जिंदगी में कीमतों की तेज़ी हमें परेशान कर रही है. इनफ़्लेशन रेट 2024 में 5‑6% के बीच रहा, जिससे एंटी‑इन्फ्लेशन टारगेट को थोड़ा मार मार के पार किया गया. इसके जवाब में भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल में दो बार रेपो रेट बढ़ाया, अब वह 6.5% पर टिकी है.
वेतन में भी सालाना 8‑9% की वृद्धि देखी गई, पर कीमतों की बढ़ोतरी के साथ जूझ रहे कई परिवारों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल रहा. बजट 2025 में सरकार ने ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा पर भारी खर्च करने की घोषणा की, जिससे लंबी अवधि में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, लेकिन भविष्य में टैक्स ढांचे को कैसे संतुलित किया जाएगा, यही मुख्य सवाल है.
भविष्य की दिशा और चुनौतियाँ
अगले पाँच सालों में भारत को दो बड़े मोड़ पार करने पड़ेंगे – डिजिटल बदलाव और पर्यावरणीय स्थिरता. डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम, 5G रोल‑आउट और ई‑कॉमर्स का विस्तार महत्वपूर्ण है. साथ ही, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियों में हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं का निवेश बढ़ाने की जरूरत है.
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) अब लगभग 70 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, लेकिन कई निवेशकों ने विनियमों की जटिलता और बुनियादी ढांचे की कमी को बड़ी चुनौती बताया है. अगर हम इन्फ्रास्ट्रक्चर – पोर्ट, रेल, हवाई अड्डे – को तेज़ी से अपग्रेड करें, तो निर्यात में बढ़ोतरी और रोजगार सृजन दोहरी जीत होगी.
अंत में, कृषि क्षेत्र की उत्पादकता अभी भी पूरे आर्थिक विकास की नींव है. जलसंसाधन प्रबंधन, आधुनिक बीज और फसल बीमा को एक साथ लाकर हम किसान की आय बढ़ा सकते हैं, जिससे ग्रामीण उपभोक्ताओं की ख़रीद शक्ति भी सुधर जाएगी.
संक्षेप में, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, पर साथ में कई चुनौतियों का सामना भी कर रही है. यदि नीति निर्माताओं ने सही दिशा में कदम उठाए, तो आगे के सालों में हमें स्थिर विकास, कम महंगाई और बढ़ते रोजगार के अवसर देखने को मिल सकते हैं. तब तक हमें जो खबरें मिल रही हैं, उन्हें समझना और अपने वित्तीय निर्णयों में उनका इस्तेमाल करना ही सबसे समझदारी भरा कदम है.
आर्थिक सर्वेक्षण 2025: भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा और भविष्यवाणियाँ
प्रकाशित किया गया फ़र॰ 1, 2025 द्वारा Devendra Pandey
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025 संसद में 31 जनवरी को प्रस्तुत किया गया, जिसमें भारत की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का विश्लेषण और आगामी वर्ष के लिए प्रमुख आर्थिक संकेतकों की अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है। सर्वेक्षण भारत की अर्थव्यवस्था के स्वस्थ गति पर बल देता है, और दीर्घकालिक औद्योगिक विकास के लिए सरकारी रणनीति पर जोर देता है। यह सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत के आर्थिक भविष्य की संभावनाओं की भविष्यवाणी करता है।