इमैनुएल मैक्रों – फ्रांस के राष्ट्रपति और उनकी मुख्य पहलें

इमैनुएल मैक्रों अब लगभग एक दशक से फ्रांस के राष्ट्रपति हैं। उनका नाम अक्सर आर्थिक सुधार, जलवायु नीति और यूरोपीय एकीकरण से जुड़ा रहता है। अगर आप फ्रांस या यूरोप की राजनीति में रूचि रखते हैं, तो मैक्रों के निर्णयों को समझना उतना ही जरूरी है जितना भारत में कोई नई नीति को समझना।

मैक्रों की आर्थिक और सामाजिक नीतियां

मैक्रों ने पहली बार 2017 में पद संभालते ही "लैबोर रिफ़ॉर्म" पर काम शुरू किया। उन्होंने श्रम कानूनों को लचीला किया, जिससे कंपनियों को कर्मचारियों को जल्दी हायर या फायर करना आसान हो गया। यह कदम कुछ लोगों को पसंद आया तो कुछ ने कामगारों के अधिकार घटते देखे। वहीं, उन्होंने "यूलर टॅक्स" (डिज़िटल टैक्स) जैसे करों को लागू किया, जिससे बड़ी टेक कंपनियों से अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद थी। यह नीति भारत जैसे देशों में भी चर्चा का विषय बनी, क्योंकि दोनो देशों में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है।

विदेश नीति में मैक्रों की प्रमुख चालें

विदेश में मैक्रों ने कई बार यूरोपीय एकीकरण को मजबूत करने की कोशिश की। उन्होंने यूरोपीय संघ को "सुरक्षित और स्वच्छ" बनाने की राह दिखाने की बात की, विशेषकर जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा के मुद्दों में। भारत-फ़्रांस संबंधों के बारे में बात करें तो मैक्रों ने कई बार भारतीय स्टार्ट‑अप्स और फॉर्मूला 1 जैसी खेल‑इवेंट्स में सहयोग बढ़ाने की बात की। 2023 में पेरिस में आयोजित भारत‑फ़्रांस बिजनेस फ़ोरम ने दोनो देशों के व्यापार को 10 % तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया।

अगर आप सोच रहे हैं कि ये सब आपके रोज़मर्रा के जीवन से कैसे जुड़ता है, तो एक आसान उदाहरण ले सकते हैं। फ्रांस की सौर ऊर्जा नीति ने कई यूरोपीय देशों में सस्ते बिजली दरें लाएँगी, और इस तरह भारतीय कंपनियों भी सस्ती ऊर्जा के लिए फ्रांस के साथ साझेदारी कर सकती हैं। इसी तरह, मैक्रों की महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की नीति ने यूरोप में जेंडर इक्विटी को आगे बढ़ाया, जिससे भारतीय स्टार्ट‑अप्स में भी समान अवसर मिल रहे हैं।

मैक्रों के बोलबाला में एक और अहम बात है उनका पर्यावरणीय दृष्टिकोण। उन्होंने 2020 में "ग्रीन फ्रांस" योजना शुरू की, जिसका लक्ष्य 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 40 % कम करना है। इस योजना से यूरोप में इलेक्ट्रिक कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भारत भी इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में कदम रख रहा है, इसलिए दोनों देशों की नीतियां एक-दूसरे को प्रेरित कर रही हैं।

मैक्रों के कार्यकाल में कई चुनौतियों का सामना भी हुआ। पेंशन सुधार, ग्रीष्मकालीन विरोध प्रदर्शन और एंटी‑सेमिटिक घटनाओं ने उनका सिफ़रबद्ध किया। परंतु उन्होंने इन चुनौतियों को पार करने के लिए संवाद और सुधार पर ज़ोर दिया। अगर आप फ्रांस या यूरोप की राजनीति में रुचि रखते हैं, तो मैक्रों के अनुभव से सीख सकते हैं कि कैसे बड़े फैसले छोटे‑छोटे चरणों में लागू होते हैं।

आखिरकार, इमैनुएल मैक्रों की कहानी सिर्फ फ्रांस की नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति की भी है। उनकी नीतियां भारत में भी असर डाल रही हैं – चाहे वह व्यापारिक समझौते हों, जलवायु पर सहयोग या तकनीकी साझेदारी। इसलिए, मैक्रों के बारे में पढ़ते समय यह देखना चाहिए कि उनका कदम आपके जीवन या काम को कैसे बदल सकता है।

16जून

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच तनावपूर्ण आदान-प्रदान दिखाया गया है। यह वीडियो G7 शिखर सम्मेलन के दौरान गर्भपात अधिकारों पर विवाद के बाद का है।