ITR फाइलिंग डेडलाइन – सबकुछ जानें
जब आप ITR फाइलिंग डेडलाइन, आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि, जिसे हर वित्तीय वर्ष में निर्धारित किया जाता है. Also known as आयकर रिटर्न ड्यू डेट, it sets the clock for taxpayers to avoid penalties and interest. समझें कि यह डेडलाइन क्यों महत्वपूर्ण है, कौन‑से दस्तावेज़ चाहिए, और ऑनलाइन पोर्टल कैसे काम करता है।
एक प्रमुख आयकर रिटर्न, वित्तीय वर्ष के सभी आय‑व्यय का सारांश दस्तावेज़ तैयार करने से पहले आपको आकलन वर्ष, वह कर वर्ष जिसमें आय को देखकर कर लगाया जाता है को समझना ज़रूरी है। अक्सर लोग फाइलिंग डेडलाइन को 31 जुलाई समझ लेते हैं, पर असली ड्यू डेट बदल सकती है अगर आप फॉर्म 16 या ए‑डिट रिपोर्ट नहीं भेज रहे हों। देरी से जुड़े दण्ड, लगे हुए जुर्माने और ब्याज भी एक बड़ा बोझ बन सकते हैं, इसलिए समय पर फाइलिंग से बचाव संभव है।
मुख्य बातें जो आपको जाननी चाहिए
पहला कदम है ITR फाइलिंग डेडलाइन को अपने कैलेंडर में मार्क करना। यह सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि एक सीरीज है: आय के स्रोत एकत्रित करना, फॉर्म चुनना, दस्तावेज़ अपलोड करना, और पोर्टल पर वैरिफ़िकेशन करना। अगर ऑनलाइन फाइलिंग कर रहे हैं तो ट्रेडिंग पोर्टल, आयकर विभाग का आधिकारिक ई‑फाइलिंग साइट पर लॉग‑इन करके स्क्रीनशॉट या ई‑वेरिफ़िकेशन कर सकते हैं। कई बार टैक्स‑डेडिकेटेड अकाउंटेंट (TDA) मदद लेते हैं, पर खुद भी आसान ट्यूटोरियल्स उपलब्ध हैं जो चरण‑बद्ध गाइड देते हैं।
दूसरा महत्वपूर्ण एंटिटी है ट्रांसफ़र प्रिंसिपल, आयकर रिटर्न जमा करने का मूल नियम – सभी आय को बताना अनिवार्य है। यह सिद्धांत बताता है कि चाहे आपका आय स्रोत सैलरी हो, फ्रीलांस, किराया या पूँजीगत लाभ, सभी को सही फ़ॉर्म में दिखाना ज़रूरी है। नियमों में बदलाव अक्सर होते हैं; उदाहरण के लिये 2023‑24 में फॉर्म 44 एस से फॉर्म 44 ए में बदलाव आया था, जिससे फॉर्म‑फ़िलिंग की प्रक्रिया भी बदल गई। इसलिए आप जो भी कर वर्ष फाइल कर रहे हैं, उसके अनुसार सही फ़ॉर्म चुनना और डेडलाइन से पहले सब कुछ जमा करना आवश्यक है।
तीसरा एंटिटी है ट्रैकिंग आईडी, आयकर पोर्टल पर फाइलिंग की स्थिति दिखाने वाला यूनिक कोड। फ़ाइलिंग के बाद आपको इस आईडी से अपनी रिटर्न की पुष्टि करनी चाहिए, क्योंकि कभी‑कभी तकनीकी गड़बड़ी से फाइलिंग असफल हो जाती है। इस आईडी को ई‑मेल या एसएमएस के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, और इसे सुरक्षित रखकर आप भविष्य में रिटर्न स्थिति देख सकते हैं।
डेडलाइन के बाद जुर्माना दो भागों में आता है: एक स्थिर फ़्लैट रेट, और दूसरा बकाया टैक्स पर प्रतिशत। उदाहरण के तौर पर, 30 दिन तक देर होने पर 1 % पेनाल्टी और फिर प्रत्येक माह 1 % अतिरिक्त जुर्माना लागू हो सकता है। इसलिए देर के साथ जुड़ने वाले ब्याज को भी गणना में लेना चाहिए, नहीं तो कुल राशि में बहुत इज़ाफ़ा हो सकता है। ये पेनाल्टी इस बात को उजागर करती हैं कि समय पर फाइलिंग न केवल कानूनी कर्तव्य है बल्कि आर्थिक बचत भी है।
अंत में, अगर आप पहली बार फाइल कर रहे हैं तो आयकर पोर्टल पर रजिस्टर करना एक छोटा कदम लगता है, पर यही आपका डिजिटल प्रवेश द्वार बनता है। इस प्रक्रिया में मोबाइल नंबर, ई‑मेल और पैन कार्ड की जरूरत पड़ती है। एक बार रजिस्टर हो जाने पर आप कई सालों की फाइलिंग इतिहास देख सकते हैं, जिससे पिछली रिटर्न ठीक से देखने और सुधारने में मदद मिलती है।
अब आप जानते हैं कि ITR फाइलिंग डेडलाइन केवल एक तिथि नहीं, बल्कि कई एंटिटीज़ जैसे आयकर रिटर्न, आकलन वर्ष, दण्ड और पोर्टल सुविधाओं से जुड़ी एक पूरी प्रक्रिया है। नीचे दी गई लेखों में आप और गहराई से देखेंगे कि कैसे फॉर्म‑फ़िलिंग करना है, किसे मदद चाहिए, और डेडलाइन से पहले कौन‑से ट्रिक्स इस्तेमाल कर सकते हैं। इन जानकारियों को पढ़कर आप अपनी टैक्स फाइलिंग को आसान और सुरक्षित बना सकते हैं।
ITR फाइलिंग डेडलाइन 16 सितम्बर तक बढ़ी: आगे भी बढ़ेगा क्या?
प्रकाशित किया गया सित॰ 26, 2025 द्वारा Devendra Pandey
आयकर विभाग ने आय कर वर्ष 2025-26 की ITR फाइलिंग डेडलाइन 15 से 16 सितम्बर तक बढ़ा दी। तकनीकी गड़बड़ी, ऑडिट मामलों की संभावित आगे की बढ़ोतरी और देर से फाइल करने पर लागू दंडों पर विस्तृत चर्चा।