कोटा रावण दहन – दशहरा की रोशनी में राजस्थान की चमक
जब बात कोटा रावण दहन, रावण की प्रतिमा को जलाने की परम्परा, जो हर साल दशहरा के अवसर पर कोटा, राजस्थान में मनाई जाती है. Also known as कोटा रावण पूजा, it स्थानीय लोगों के लिये सामाजिक एकता और धार्मिक उमंग का प्रतीक बनता है, तो यह सिर्फ एक जलोत्सव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक कहानी है। ये रस्म दशहरा, हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न का मुख्य भाग है और इसे देखने के लिये दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
मुख्य तत्व और उनका आपसी संबंध
कोटा रावण दहन तीन प्रमुख तत्वों पर टिका है: रावण, पात्र जो अहंकार और अतिआत्मविश्वास का प्रतीक है, राजस्थान, राज्य जहां परम्परागत उत्सवों का शान है और स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण के लिए जिम्मेदार। इस सेट‑अप में पहला सेमांटिक ट्रिपल बनता है – "कोटा रावण दहन encompasses दशहरा समारोह"। दूसरा ट्रिपल कहता है – "दशहरा influences रावण दहन की समयसारिणी" क्योंकि आधे महीने की तैयारी और मौसम की स्थिति सीधे जलते हुए अड्डे के आकार को निर्धारित करती है। तीसरा ट्रिपल बतलाता है – "स्थानीय प्रशासन requires सुरक्षा उपाय" ताकि भीड़ में कोई हादसा न हो।
इतिहास की बात करे तो कोटा में पहला रावण दहन 1953 में दर्ज है। तब से हर साल प्रतिमा की ऊँचाई, दहन सामग्री और लक्ष्य दर्शकों की संख्या बदलती आई है। आज का दहन अक्सर 30‑40 फुट ऊँचा और 10‑15 किलोमि चमकदार धुएँ के साथ होता है, जिससे फोटो‑सेशन और लाइव‑स्ट्रीमिंग के अवसर बनते हैं। इस प्रक्रिया में दो प्रमुख घटक प्रमुख होते हैं: सामग्री‑प्रबंधन (प्लास्टिक वर्जित, लकड़ी‑आधारित), और पर्यावरण‑सुरक्षा (धुएँ को कम करने के लिए जल‑पराबैरिक मैश). इसी कारण से "कोटा रावण दहन requires पर्यावरण‑अनुकूल उपाय" एक और महत्त्वपूर्ण ट्रिपल है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस बड़ी इवेंट में क्या नया है। इस साल कई बदलाव देखे गए – स्थानीय पुलिस ने ड्रोन‑सहायता वाले भीड़‑निरीक्षण को अपनाया, जबकि युवा समूहों ने सोशल मीडिया पर रिचुअल की डिजिटल रीमेकरिंग शुरू की। इससे दर्शकों को रिवीजनल कवरेज और रियल‑टाइम अपडेट मिलते हैं। साथ ही, दहन के बाद आयोजित दुर्गा पूजा, माँ दुर्गा की आरती और परम्परागत संगीत के साथ उत्सव की समाप्ति होती है, जिससे आध्यात्मिक संतुलन बना रहता है। यह फोल्लो‑अप रिव्यू दर्शाता है कि "कोटा रावण दहन complements दुर्गा पूजा" – एक पूर्ण सांस्कृतिक सर्कल बन जाता है।
यदि आप अगले दशहरे में कोटा रावण दहन देखना चाहते हैं, तो इस लेख में बताई गई तैयारी, सुरक्षा टिप्स और स्थानीय समय-सारणी से मदद ले सकते हैं। नीचे दिए गए लेखों में हम इस उत्सव के विभिन्न पहलुओं – इतिहास, तकनीकी तैयारी, दर्शक अनुभव और मीडिया कवरेज – को विस्तार से कवर करेंगे। पढ़ते रहें और जानें कि कोटा रावण दहन के साथ कौन‑कौन से रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं और इस साल आप कैसे इस महाकाव्य में हिस्सा ले सकते हैं।
भारत‑चीन हवाई सेवा फिर शुरू, मोदी ने रावण दहन किया
प्रकाशित किया गया अक्तू॰ 10, 2025 द्वारा Devendra Pandey
कर्णहार में नरेंद्र मोदी ने दशहरा रावण दहन किया, जबकि भारत‑चीन हवाई सेवाएँ अक्टूबर अंत तक फिर शुरू होंगी; यूरोपीय फ्री‑ट्रेड समझौता भी लागू।