फ्यूचर्स और ऑप्शंस क्या है? आसान समझ और शुरुआती टिप्स

यदि आप शेयर बाजार में नया हैं और “भविष्य में खरीदना‑बेचना” शब्द सुनते हैं, तो शायद आपने फ्यूचर्स और ऑप्शंस के बारे में सुना होगा। ये दो शब्द सुनने में थोडे जटिल लगते हैं, पर असल में यह सिर्फ एक अनुबंध है जो आपको भविष्य में तय कीमत पर चीज़ें खरीदने या बेचने की सुविधा देता है। चलिए, इसे बड़े आसान शब्दों में समझते हैं।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग की बुनियादी बातें

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक ऐसा समझौता है जहाँ आप किसी कमोडिटी (जैसे सोना, तेल) या इंडेक्स (जैसे NIFTY) को भविष्य में एक तय कीमत पर खरीदने या बेचने का वादा करते हैं। अगर आज कीमत 1800 रु/ईंट है और आप फ्यूचर में 1750 रु पर खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट लेते हैं, तो दो महीने बाद अगर कीमत 1900 रु हो गई, तो आपका फायदा 150 रु पर इकाई होगा। पर अगर कीमत गिरकर 1600 रु हो गई, तो आपको नुकसान होगा।

फ्यूचर में ट्रेड करने का मुख्य फायदा लिवरेज है—आप कम पैसे से बड़ी पोजीशन खोल सकते हैं। इसका मतलब है कि आपका पूँजी कम है, पर जोखिम भी अधिक होता है। इसलिए शुरुआती लोग पहले डेमो अकाउंट या बहुत छोटे पोजिशन से शुरुआत करें।

ऑप्शंस से कम जोखिम में लाभ कैसे कमायें

ऑप्शंस फ्यूचर का वैकल्पिक रूप है। यहाँ दो प्रकार के ऑप्शन होते हैं: कॉल (Buy) और पुट (Sell)। कॉल ऑप्शन आपको भविष्य में तय कीमत पर खरीदने का हक देता है, लेकिन जरुरी नहीं कि आपको खरीदना ही पड़े। पुट ऑप्शन आपको बेचने का हक देता है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए NIFTY 18,000 पर ट्रेड कर रहा है और आप सोचते हैं कि वह आगे बढ़ेगा। आप 18,200 की कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, जिसकी प्रीमियम (कीमत) 100 रु है। अगर NIFTY 18,500 तक पहुंच जाता है, तो आप ऑप्शन का इस्तेमाल करके 18,200 पर खरीद सकते हैं और तुरंत बेच कर 300 रु का लाभ कमा सकते हैं, जबकि आपका वास्तविक नुकसान केवल 100 रु (प्रीमियम) रहेगा। अगर NIFTY नीचे गिरता है, तो आप ऑप्शन नहीं इस्तेमाल कर सकते, लेकिन आपका नुकसान फिर भी प्रीमियम तक सीमित रहेगा।

ऑप्शन का बड़ा फायदा यह है कि आपका जोखिम पहले से तय होता है—आप केवल प्रीमियम ही खोते हैं। इसलिए ये शुरुआती ट्रेडर्स के लिए सुरक्षित विकल्प माना जाता है, बशर्ते आप सही स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट चुनें।

आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि फ्यूचर और ऑप्शन दोनों में मार्केट की गति बहुत तेज़ होती है। इसलिए ट्रेड करने से पहले आप अपने लक्ष्य, समय सीमा और जोखिम सहनशीलता को स्पष्ट रखें। स्ट्रेटेजी बनाते समय “स्टॉप‑लॉस” और “टेक‑प्रॉफिट” लेवल सेट करना बुनियादी लेकिन जरूरी कदम है।

यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं, तो इन कदमों को अपनाएँ:

  • डेमो अकाउंट से प्रैक्टिस करें, वास्तविक पैसे से पहले.
  • छोटी पोजीशन से शुरू करें, लिवरेज को कम रखें.
  • मार्केट न्यूज़ और आर्थिक कैलेंडर पर नज़र रखें.
  • अपना निवेश केवल वही हिस्सा रखें जो आप खोने के लिए तैयार हों.
  • ट्रेडिंग जर्नल रखें, हर ट्रेड के कारण और परिणाम लिखें.

इन बेसिक नियमों को फॉलो करने से आप फ्यूचर्स और ऑप्शंस में बेहतर समझ विकसित करेंगे और अनावश्यक नुकसान से बचेंगे। याद रखें, कोई भी ट्रेड 100% सुरक्षित नहीं है, पर सही जानकारी और डिसिप्लिन से आप जोखिम को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं।

आगे बढ़ते हुए, आप विभिन्न स्ट्रेटेजी जैसे “स्प्रेड”, “स्ट्रैडल” और “हेजिंग” को भी सीख सकते हैं। लेकिन शुरुआती दौर में बेसिक कॉन्सेप्ट और जोखिम प्रबंधन पर ही फोकस रखें। इससे आपका ट्रैडिंग एक्सपीरियंस अधिक संतोषजनक और लाभदायी रहेगा।

31जुल॰

सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने घरेलू निवेशकों द्वारा फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में सालाना 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान झेलने पर चिंता जताई है। उन्होंने कड़े नियामकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल दिया है ताकि छोटे निवेशकों को ऐसे जोखिमों से बचाया जा सके। बुच ने फ्यूचर्स और ऑप्शंस के महत्त्वपूर्ण वृद्धि का भी उल्लेख किया है और पेटीएम जैसी गड़बड़ियों से बाजार को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया है।