रैगिंग – समझें, पहचानें, बचें

रैगिंग शब्द सुनते ही दिमाग में अक्सर ‘धोखा’ या ‘छल’ आता है। असल में रैगिंग का मतलब है किसी भी प्रक्रिया में छेड़छाड़ करके परिणाम को खुद के लिये फेवर बनाना। चाहे वह चुनाव हो, स्पोर्ट्स मैच हो या फिर किसी प्रोजेक्ट की बोली – अगर नियमों को बदल कर फेवर मिल रहा हो, तो वही रैगिंग है। इस पेज में हम रैगिंग के प्रकार, उसके संकेत और बचाव के आसान कदमों को सरल भाषा में बताएँगे, ताकि आप भी इसे तुरंत पहचान सकें।

रैगिंग के मुख्य रूप

1. चुनावी रैगिंग – वोटों का फर्जी रिपोर्टिंग, मतदान मशीन को हैक करना या बूथ अधिकारी को पैसे देकर वोट दिलाना। इस तरह के मामलों में अक्सर हाई‑कोर्ट या ईसीएफ के पास रिपोर्ट की जाती है।

2. खेल रैगिंग – मैच के परिणाम को तय करने के लिये खिलाड़ियों, रेफ़री या बुकमेकरों के बीच गुप्त समझौता। क्रिकेट में ‘मैच फिक्सिंग’ एहतियात के तौर पर बहुत सुना जाता है, लेकिन फुटबॉल, बैडमिंटन व अन्य खेलों में भी यह हो सकता है।

3. व्यावसायिक रैगिंग – कंपनियों के बीच टेंडर या बिड में झाँस मारकर अपना नाम लिखवाना। सरकारी अनुबंध या बड़े प्रोजेक्ट में यह अक्सर देखा जाता है, जहाँ कुछ कंपनियों को पहले से पता होता है कि कौन जीतेंगे।

4. डेटा रैगिंग – सर्वे, स्टैटिस्टिक या बाजार में डेटा को बदल कर गलत राय बनाना। कई बार मीडिया भी बिना भरोसेवाले आँकड़े दिखाकर रैगिंग में भाग लेती है।

रैगिंग से बचने के आसान उपाय

पहला कदम है ‘सावधानी’। अगर आपको किसी प्रक्रिया में अनैतिक लाभ मिल रहा है, तो तुरंत लिखित में सबूत इकट्ठा करें। मोबाइल फोटो, स्क्रीनशॉट या आवाज़ रेकॉर्डिंग मददगार होते हैं।

दूसरा, भरोसेमंद स्रोतों से जानकारी लें। सरकारी पोर्टल या विश्वसनीय समाचार साइट ‘स्वर्ण समाचार’ जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर अपडेटेड खबरें पढ़ें। यहाँ हमने कई रैगिंग मामलों की रिपोर्ट भी रखी है, जैसे फरीदाबाद में बारिश के आंकड़ों को छेड़छाड़ करने की कोशिश या चुनाव में अनियमित वोटिंग।

तीसरा, अगर आप किसी चुनाव या खेल में हिस्सा ले रहे हैं, तो आधिकारिक नियमों को ध्यान से पढ़ें और किसी भी अनियमित प्रैक्टिस को तुरंत सम्बंधित अधिकारी को बताएं। कई बार स्थानीय पुलिस या इलेक्शन कमिशनर को कॉल करने से मुद्दा जल्दी सुलझ जाता है।

चौथा, अपने अधिकारों को जानें। भारत में ‘आधार अधिनियम’ और ‘सूचना अधिकार अधिनियम’ दोनों ही आप को सरकार के कामकाज में पारदर्शिता की मांग करने का अधिकार देते हैं। आप इनका इस्तेमाल करके कोई भी छुपी हुई जानकारी निकाल सकते हैं।

आख़िर में, समाज के तौर पर रैगिंग को रोकने के लिये जागरूकता बहुत जरूरी है। दोस्तों, परिवार या सोशल मीडिया पर इस विषय पर चर्चा करें। जितनी अधिक लोग रैगिंग के नकारात्मक प्रभावों को समझेंगे, उतनी ही जल्दी इसे रोकना आसान होगा।

स्वर्ण समाचार में रैगिंग से जुड़ी हर नई ख़बर लाइव पढ़ें और अपने शहर या राज्य में चल रहे मामलों के बारे में अपडेट रहें। याद रखें, अगर आप खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो रैगिंग की कोई भी सुई धुंधली नहीं रहती – आपको बस सतर्क रहना है।

21जुल॰

UGC ने सभी कॉलेजों को आदेश दिया है कि वे छात्रों के व्हाट्सएप ग्रुप्स पर खास नजर रखें, जहां सीनियर्स जूनियर्स को परेशान कर सकते हैं। अब डिजिटल हैरेसमेंट को भी रैगिंग के तहत माना जाएगा। इस फैसले से छात्र सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है और नियम न मानने पर कॉलेज की ग्रांट भी रोकी जा सकती है।