बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता विक्रांत मैसी ने हाल ही में अपनी फिल्म करियर को अचानक अंत करने की घोषणा कर दी, जिससे उनके प्रशंसकों के बीच निराशा और आश्चर्य का माहौल है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट में इस निर्णय को अपनी इच्छा से आधारित बताया और कहा कि वे अब अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं। विक्रांत ने अपने फिल्मी करियर के प्रत्येक लम्हे को अपने लिए खास बताते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके सफर में उनका साथ दिया।
इस पोस्ट में विक्रांत मैसी ने साफ किया कि वह अब अपनी जिंदगी के एक नए अध्याय की ओर बढ़ना चाहते हैं, जहां उनका पूरा ध्यान उनके परिवार पर होगा। उन्होंने कहा कि 'यार जिगरी' और 'आंखों की गुस्ताखियां' नामक दो फिल्मों के बाद वे अपने फैंस से अलविदा कहेंगे। आंतरगीकरण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति बढ़ते ध्यान का हवाला देते हुए, विक्रांत ने कहा कि उनके ये फैसले एक लंबे विचार-विमर्श के बाद आए हैं।
इस निर्णय ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। कुछ फैंस यह मान रहे हैं कि विक्रांत का यह कदम महज एक पब्लिसिटी स्टंट है, जबकि कुछ गंभीर रूप से इसे स्थायी संन्यास मान रहे हैं। खासकर इसके पीछे 'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म के बाद उन्हें मिले धमकीभरे संदेशों को एक मुख्य कारण माना जा रहा है। कुछ समय पहले ही विक्रांत ने सार्वजनिक मंच पर इन धमकियों के बारे में चर्चा की थी और अपनी सुरक्षा और अपने नौ महीने के बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की थी।
फिल्म जगत से विक्रांत के करीबी साथी और अभिनेता हर्षवर्धन राणे ने उम्मीद जताई है कि विक्रांत जल्दी ही पर्दे पर वापसी करेंगे। हर्षवर्धन ने इसे एक पीआर गतिविधि का हिस्सा बताया और विक्रांत के जल्द वापसी की उम्मीद जताई। बॉलीवुड इंडस्ट्री ने विक्रांत की इस संभव विदाई पर अपनी मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। '12थ फेल,' 'सेक्टर 36,' और 'हसीन दिलरुबा' जैसी फिल्मों में अपनी दमदार परफॉर्मेंस से विक्रांत ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई थी।
विक्रांत का यह कदम व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों ही पहलुओं से खासा चर्चा का विषय बन गया है। कुछ विशेषज्ञ इसे मानसिक स्वास्थ्य और प्राइवेट लाइफ की प्राथमिकता के बदलाव के तौर पर देख रहे हैं। बॉलीवुड में हालांकि, इस प्रकार के पदों और प्रतिक्रियाओं का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन विक्रांत का यह कदम उनके फैंस को भी भविष्य के लिए उत्सुक कर रहा है। सवाल यही है कि क्या यह ब्रेक अस्थाई है या विक्रांत के फिल्मी करियर का वाकई में दी एंड है।
टिप्पणि
Rutuja Ghule
इस तरह के फैसले को समझना चाहिए, न कि उसे पब्लिसिटी का नाटक समझना। जब कोई व्यक्ति अपने बच्चे की सुरक्षा और परिवार के साथ समय बिताने की बात कर रहा हो, तो उसके लिए कोई भी दूसरा प्राथमिकता अस्वीकार्य है। बॉलीवुड ने उनकी आत्मा को खाया, अब वो अपनी आत्मा को वापस ले रहा है।
दिसंबर 3, 2024 at 05:36
vamsi Pandala
yaar ye sab kya bakwas hai... ekdum chhod diya? phir kya karega? ghar pe ghar ka kaam karega kya? bhai ye toh sirf hype hai... 6 mahine baad wapas aa jayega
दिसंबर 4, 2024 at 10:04
nasser moafi
Brooo 🙏🔥 ये तो सच्ची जीत है! बॉलीवुड के बाहर जीने का फैसला लेना एक बहादुरी का काम है। जिंदगी में फिल्में नहीं, बच्चे की मुस्कान और सुबह की चाय ही असली है। विक्रांत तुमने जो किया, वो हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। जय हिंद 🇮🇳❤️
दिसंबर 5, 2024 at 00:14
Saravanan Thirumoorthy
अगर फिल्में छोड़ दी तो देश का नाम बनाएगा कैसे? हमारे युवाओं को इंस्पायर करना है न कि डर के मारे भागना। ये लोग देश के लिए नहीं बल्कि अपने लिए काम करते हैं
दिसंबर 6, 2024 at 00:08
Tejas Shreshth
यह एक अत्यंत अस्तित्ववादी चयन है - एक अभिनेता जो सामाजिक अपेक्षाओं से विमुख हो रहा है, जिसका अर्थ है कि वह अपनी आत्मा को अस्तित्व दे रहा है। बॉलीवुड एक व्यापारिक मशीन है, और उसमें अभिनय का कोई असली स्थान नहीं। विक्रांत ने अपने अस्तित्व को बचाया, न कि अपने करियर को त्यागा।
दिसंबर 7, 2024 at 14:59
Hitendra Singh Kushwah
क्या ये निर्णय वाकई व्यक्तिगत है? या फिर उसने इसे एक नए फिल्म के लिए प्रचार के रूप में इस्तेमाल किया है? इस तरह के बयान अब बहुत आम हो गए हैं। कुछ लोग तो इसे एक अनुष्ठान की तरह मानते हैं।
दिसंबर 7, 2024 at 18:26
sarika bhardwaj
यह एक निर्णय जो आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। विक्रांत ने अपने बाहरी आत्मा को छोड़कर आंतरिक शांति की ओर रुख किया है। यह एक अनुभव है जिसे समझने के लिए एक गहरी आत्म-अन्वेषण की आवश्यकता है। अब उसकी आत्मा का आधार बच्चे की सांसों में है, न कि कैमरे के सामने। 🌿✨
दिसंबर 8, 2024 at 21:34
Dr Vijay Raghavan
इस तरह के फैसले के बाद भी बॉलीवुड अपना नाम बनाएगा। विक्रांत ने अपने बेटे के लिए जो किया, वो हमारे देश के लिए भी एक नया मानक है। जिसने भी उसे धमकी भरे संदेश भेजे, वो अपने अंदर की बुराई को देखे। देश का नाम नहीं, इंसानियत का नाम बनाना है
दिसंबर 10, 2024 at 06:54
एक टिप्पणी लिखें